चैप्टर 48 : ज़िन्दगी गुलज़ार है नॉवेल | Chapter 48 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

Chapter 48 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

Chapter 48 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi
image : hindustantimes.com

Chapter 1 | 2| 3 | 4 | 5| 6| 7| 8 | 9| 10 | 11 | 12 | 1314 | 1516| 17 | 18 | 19 | 20 | 212223 24 25 26272829 | 303132333435363738394041 424344454647 48 4950 

Prev | NextAll Chapters

२१ जुलाई  कशफ़

आज डिप्लोमेटिक की पार्टी में मेरी मुलाकात आसमारा से हुई और मेरी तरह उसने भी फौरन मुझे पहचान लिया था. उसने मेरी हेलो का जवाब बड़े फीके अंदाज में दिया था और फिर पूछा था, “तुम यहाँ कैसे?”

मेरे जवाब देने से पहले ही उसने कहा, “लगता है किसी की सेक्रेटरी बन कर आई हो. वैसे तुम्हारे जैसी सेक्रेटरी किसी अहमक (बेवकूफ़) की हो सकती है. ज़रा अपने बॉस से तो मिलवाओ.”

मुझे उसकी किसी बात पर गुस्सा नहीं आया, क्योंकि मैं आज बहुत अच्छे मूड में थी. फिर मैंने उससे कहा, “नहीं! मैं यहाँ अपने शौहर के साथ आई हूँ.”

“ओह! लगता है कि लंबा हाथ मारा है.”

उसका लहज़ा और अंदाज़ पहले की तरह ही जहरीला था. मैंने उसके किसी अगले सवाल से बचने के लिए पूछा, “तुम यहाँ पर शौहर के साथ आई हो?”

“हाँ! मेरे शौहर तुर्की में चीफ ऑफ मिशन है. आजकल छुट्टियों में हम लोग यहाँ आये हैं। तुम ज़रा अपने शौहर से मिलवाओ.”

मेरी बात का जवाब देते-देते उसने मुझसे फ़रमाइश कर दी थी. शायद यह देखना चाहती थी कि मेरा शौहर कौन है. मेरे कुछ कहने से पहले ही ज़ारून हम लोगों के पास आ गया. शायद उसने आसमारा को देख लिया था. आसमारा भी उसे देखकर हैरान हुई थी. फिर कुछ देर तक वह दोनों मुझे नज़रअंदाज़ करके एक-दूसरे का हाल-हवाल पूछते रहे. फिर आसमारा ने ही ज़ारून को मेरी तरफ़ मु-तवज्जह (ध्यान दिया) किया और बड़े अजीब अंदाज़ में से पूछा था, “ज़ारून! तुमने इन्हें नहीं देखा.”

ज़ारून ने हैरान होकर मुझे देखा और फिर आसमारा से कहा, “इन्हें तो मैं दिन में दस दफा देखता हूँ. बल्कि रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद सबसे पहले इन्हें ही देखता हूँ.”

“क्या मतलब?” उसकी बात पर आसमारा ने बड़े उलझे हुए अंदाज़ में मुझे और ज़ारून को देखा था.

“मतलब ये कि मेरी बीवी है.”

मेकअप की गहरी तहें भी आसमारा के चेहरे का बदलता रंग नहीं छुपा सकी. उसकी आँखों की चमक एकदम गायब हो गई थी और उसके मुँह से सिर्फ़ एक जुमला निकला था, “तुम कशफ़ के शौहर हो?”

“ऑफकोर्स क्यों कशफ़ ! तुमने बताया नहीं?”

ज़ारून ने उसकी बात पर हैरान होकर मुझसे पूछा था.

“मेरे बताने से पहले ही तुम आ गए थे.” मैं उसे यह कहकर माज़रत (माफ़ी मांगकर) करती हुई कुछ दूसरे लोगों की तरफ़ चली गई. मेरे जाने के बाद उन दोनों के दरमियान क्या बातें हुई थी, यह मैं नहीं जानती, लेकिन फिर पूरे डिनर में आसमारा मेरी तरफ़ नहीं आई और मुझसे बचने की कोशिश करती रही. मैंने उसका बुरा नहीं माना क्योंकि मैं जानती हूँ वह ज़ारून को पसंद करती थी और मुझे नापसंद करती थी. आज ये जानकर कि मैं ज़ारून की बीवी हूँ, उसे यकीनन बहुत तकलीफ़ हुई होगी. उसने सोचा होगा कि मैं और ज़ारून कॉलेज में दूसरों की आँखों में धूल झोंकते रहे, जबकि हकीकत में हम एक-दूसरे की मोहब्बत में गिरफ्तार थे, हालांकि ऐसा नहीं था. मुझसे शादी ज़ारून  का जाति फैसला था और उस वक्त मैंने बहुत मजबूर होकर शादी की थी. मुझे याद है, एक दफ़ा मैंने ज़ारुन से कहा था, “कितना अच्छा होता, अगर हम कॉलेज में दोस्त होते. तुम्हारे नोट्स कितने अच्छे होते थे, हो सकता है मेरी भी एम.ए. में फर्स्ट डिवीजन आ जाती.”

मेरी बात पर उसने एकदम फाइल को बंद कर के डायरेक्ट मेरी आँखों में देखा था और बड़े साफ़ लहजे में कहा था, “अगर तुम कॉलेज में मेरी दोस्त बन जाती, तो आज मेरी बीवी नहीं बनती. ” मुझे उसकी साफ़गोई अच्छी लगी थी.

सोने से पहले उसका मूड बहुत अच्छा था. वह बार-बार मुझे तंग कर रहा था. फिर वो ऐबक को कॉट से निकाल कर अपने पास ले आया और उससे खेलने लगा और जब मैं एबक को सुलाने लगी, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मैंने उससे कहा, “कहीं आज तुम  मुझे आसमारा तो नहीं समझ रहे?”

वह मेरी बात पर हँसने लगा, “यार तुम कुछ ज्यादा ही समझदार नहीं होती जा रही हो?”

उसने मेरे ही अंदाज़ में कहा और फिर मेरा हाथ चूमने लगा. बहुत अरसे बाद उसे इतना रोमांटिक मैंने देखा था. “तुम्हारा और आसमारा का क्या मुकाबला है? तुमसे इश्क करता हूँ और आसमारा सिर्फ़ टाइमपास थी. जिस तरह घर तक पहुँचने के लिए आदमी बहुत से रास्ते से गुजरता है, उसी तरह आसमारा  भी एक रास्ता थी, पर तुम तो मेरी जान हो.”

बहुत सारी बातें करने के बाद अब वह मज़े से सो रहा था और मैं सोच रही हूँ कि उसके अच्छे मूड के लिए अगर कभी उसकी कोई पुरानी दोस्त मिल जाया करें, तो यह कोई इतना महंगा सौदा को नहीं है.

Prev | NextAll Chapters

Chapter 1 | 2| 3 | 4 | 5| 6| 7| 8 | 9| 10 | 11 | 12 | 1314 | 1516| 17 | 18 | 19 | 20 | 212223 24 25 26272829 | 303132333435363738394041 424344454647 48 4950 

पढ़ें उर्दू उपन्यास हिंदी में :

पढ़ें : मेरी ज़ात ज़र्रा बेनिशान ~ उमरा अहमद का नॉवेल 

पढ़ें : कुएँ का राज़ ~ इब्ने सफ़ी

पढ़ें : जंगल में लाश ~ इब्ने सफी 

Leave a Comment