चैप्टर 1 : ज़िन्दगी गुलज़ार है | Chapter 1 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi




Chapter 1 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

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९ सितंबर – कशफ़

गवर्नमेंट कॉलेज में मेरा पहला दिन था. मेरी रूममेट फ़रज़ाना मेरे ही डिपार्टमेंट में थी, इसलिए सुबह मुझे टेंशन नहीं थी कि अकेले क्लासेज कैसे ढूंढूंगी. वो ख़ासी बोल्ड लड़की थी. बड़े शहरों में रहने वाले शायद ऐसे ही होते हैं.

सुबह जब हम लोग कॉलेज पहुँचे, तो बारिश हो रही थी और ऐसे मौसम स्टडीज के लिए काफ़ी नुकसानदेह होते हैं. लेकिन उम्मीद के ख़िलाफ़ कॉलेज में काफ़ी लोग थे.

आज सिर्फ़ अबरार सर ने इंट्रोडक्टरी क्लास ली थी और किसी दूसरे प्रोफेसर ने क्लास में आने की ज़हमत नहीं की थी. इनके बारे में पहले ही बहुत लोगों से सुन चुकी थी कि वो वक़्त के बहुत पाबंद हैं. मुझे डर था कि वो बहुत सख्त होंगे, मगर पहली मुलाक़ात में उनका इम्प्रैशन बहुत नरम दिल आदमी का था.

आज क्लास में स्टूडेंट्स कम ही थे और इनमें भी लड़कियों की तादात काफ़ी कम थी. आज मेरे और फ़रज़ाना के अलावा दो और लड़कियाँ आई थी : असमारा और आरज़ू. दोनों ही हाई क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती थीं. मैं तो शायद उनसे अपना इंट्रोडक्शन ही नहीं करवाती, लेकिन फ़रज़ाना उनके पास चली गई थी. वो उन लोगों के साथ ही ‘क्वीन मेरी’ से ग्रेजुएशन कर के आई थी. इसलिए उन्हें अच्छी तरह जानती थी.

फ़रज़ाना की वजह से मजबूरन मुझे भी उनसे सलाम-दुआ करनी पड़ी. बातों के दौरान उन लोगों ने मुझे नज़र-अंदाज़ किया, लेकिन इस चीज़ ने मुझे ज्यादा हर्ट नहीं किया. मेरी मामूली शक्ल और लिबास देख कर वो मुझे वी.आई.पी. ट्रीटमेंट देने से तो रही. वैसे भी ये चीज़ अब मेरे लिए इतनी नई नहीं रही.

अबरार सर ने सबसे पहले असमारा से ही अपना इंट्रो करवाने के लिए कहा था.

“मेरा नाम असमारा इब्राहीम है. मैं ‘क्वीन मेरी’ कॉलेज से फर्स्ट डिवीज़न से ग्रेजुएशन कर के आई हूँ. हर किस्म की एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज में हिस्सा लेती हूँ. आपकी क्लास में एक अच्छा इज़ाफ़ा साबित होंगी.”

बड़ी फ़्लूएंट इंग्लिश में उसने कहा था. उसका लहज़ा बेहद पुर-एतमाद था. और मैं सिर्फ़ ये सोच कर रह गई थी कि दौलत और ख़ूबसूरती के बगैर भी एतमाद से बात की जा सकती है?

फ़रज़ाना, असमारा, और आरज़ू से इंट्रोड्यूसड होने के बाद अबरार सर ने मेरी तरफ़ तवज़्ज़ो दी थी. मुझे फ़ौरन तारुफ़ करवाने को कहने के बजाय वो कुछ देर तक मुझे बा-गौर देखते रहे, फ़िर मुस्कुराते हुए कहा, “आप भी हमारे ही क्लास की हैं?”

“यस सर” मैं उनके सवाल पर हैरान हुई थी.

“मैंने इसलिए पूछा है, क्योंकि आप बहुत छोटी लग रही हैं.”

“नो सर. मैं छोटी सी तो नहीं हूँ. मेरी हाइट ५’४’’ है.” मैंने उनकी बात समझे बगैर फ़ौरन कह दिया. मेरे जुमले पर अबरार सर हँस पड़े और अगली रो में बैठे हुए दो लड़कों ने एकदम पीछे मुड़कर देखा था. उनके चेहरे पर मुझे मुस्कराहट नज़र आई. फ़िर उनमें से एक ने अबरार सर से कहा, “सर, दैट इस जस्ट द राईट हाइट फॉर अ गर्ल नैदर टू टॉल नॉर टू शार्ट.” 

सारी क्लास एकदम कहकहे से गूंज उठी थी. अबरार सर ने कफ़ के बहाने अपनी हँसी कण्ट्रोल की और लड़के से कहा, “नो ज़ारून, डोंट ट्राय तो एमबैरस हर.” फ़िर उन्होंने मुझसे मेरा नाम पूछा.

“मेरा नाम कशफ़ मुर्तज़ा है. मैं गुजरात से आई हूँ.” मैंने मुख़्तसर अपना तारुफ़ करवाया. मेरी तारुफ़ के बाद अबरार सर ने लड़कों के तारुफ़ लिए और जब उस लड़के, जिसका नाम ज़ारून था, ने ख़ुद का इंट्रोडक्शन दिया, तो मैंने भी उसी तरह कोमेंट किया, जैसे उसने किया था. मैं ऐसा ना करती, लेकिन उसका अंदाज़ ही मुझे इतना बुरा लगा कि मैं ना चाहते हुए भी अपनी नापसंदगी का इज़हार कर बैठी.

उस वक़्त तो मुझे अपना कोमेंट ठीक नहीं लगा था, लेकिन अब मैं सोच रही हूँ कि शायद मैंने गलत किया था. मैं यहाँ इस किस्म के फ़िज़ूल झड़पों के लिए तो नहीं आई. मैं अब दोबारा ऐसा कभी नहीं करूंगी. एक दिन गुज़र आया, काश बाकी दिन भी इज्ज़त से गुजर जायें.  




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