चैप्टर 35 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 35 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 35 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters विनयसिंह आबादी में दाखिल हुए, तो सबेरा हो गया था। थोड़ी दूर चले थे कि एक बुढ़िया लाठी टेकती सामने से आती हुई दिखाई दी। इन्हें देखकर बोली-बेटा, गरीब हूँ। बन पडे, तो कुछ दे दो। धरम होगा। नायकराम-सवेरे राम-नाम नहीं लेती, … Read more

चैप्टर 34 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 34 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 34 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters प्रभु सेवक ने घर आते ही मकान का जिक्र छेड़ दिया। जान सेवक यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए कि अब इसने कारखाने की ओर धयान देना शुरू किया। बोले-हाँ, मकानों का बनना बहुत जरूरी है। इंजीनियर से कहो, एक नक्शा बनाएँ। मैं … Read more

चैप्टर 12 आँख की किरकिरी उपन्यास (चोखेर बाली उपन्यास) रवींद्रनाथ टैगोर | Chapter 12 Aankh Ki Kirkiri (Chokher Bali) Novel By Rabindranath Tagore

Chapter 12 Aankh Ki Kirkiri Novel By Rabindranath Tagore एक दिन आखिर आ कर महेंद्र ने माँ से कहा – ‘यह अच्छी बात है, माँ? दूसरे के घर की एक जवान विधवा को घर रख कर एक भारी जिम्मेदारी कंधे पर लाद लेने की क्या पड़ी है? जाने कब क्या मुसीबत हो?’ राजलक्ष्मी ने कहा … Read more

चैप्टर 11 आँख की किरकिरी उपन्यास (चोखेर बाली उपन्यास) रवींद्रनाथ टैगोर | Chapter 11 Aankh Ki Kirkiri (Chokher Bali) Novel By Rabindranath Tagore

Chapter 11 Aankh Ki Kirkiri Novel By Rabindranath Tagore Prev | Next | All Chapters आशा को एक साथी की बड़ी जरूरत थी। प्यार का त्योहार भी महज दो आदमियों से नहीं मनता – मीठी बातों की मिठाई बांटने के लिए गैरों की भी जरूरत पड़ती है। भूखी-प्यासी विनोदिनी भी नई बहू से प्रेम के … Read more

चैप्टर 11 गुनाहों का देवता : धर्मवीर भारती का उपन्यास | Chapter 11 Gunahon Ka Devta Novel By Dharmveer Bharti Read Online

Chapter 11 Gunahon Ka Devta Novel By Dharmveer Bharti Prev | Next | All Chapters  रात-भर चंदर को ठीक से नींद नहीं आयी। अब गरमी काफी पड़ने लगी थी। एक सूती चादर से ज्यादा नहीं ओढ़ा जाता था और चंदर ने वह भी ओढ़ना छोड़ दिया था, लेकिन उस दिन रात को अक्सर एक अजब-सी … Read more

चैप्टर 10 गुनाहों का देवता : धर्मवीर भारती का उपन्यास | Chapter 10 Gunahon Ka Devta Novel By Dharmveer Bharti Read Online

Chapter 10 Gunahon Ka Devta Novel By Dharmveer Bharti Prev | Next | All Chapters  जब चंदर पम्मी के बंगले पर पहुँचा, तो शाम होने में देर नहीं थी। लेकिन अभी फर्स्ट शो शुरू होने में देरी थी। पम्मी गुलाबों के बीच में टहल रही थी और बर्टी एक अच्छा-सा सूट पहने लॉन पर बैठा … Read more

चैप्टर 9 आँख की किरकिरी उपन्यास (चोखेर बाली उपन्यास) रवींद्रनाथ टैगोर | Chapter 9 Aankh Ki Kirkiri (Chokher Bali) Novel By Rabindranath Tagore

Chapter 9 Aankh Ki Kirkiri Novel By Rabindranath Tagore Prev | Next | All Chapters इतने में दुतल्ले से महेंद्र भैया की पुकार सुनाई पड़ी। ‘अरे रे, आओ… आओ…’ महेंद्र ने जवाब दिया। बिहारी की आवाज से उसका हृदय खिल उठा। विवाह के बाद वह इन दोनों के सुख का बाधक बन कर कभी-कभी आता … Read more

चैप्टर 10 आँख की किरकिरी उपन्यास (चोखेर बाली उपन्यास) रवींद्रनाथ टैगोर | Chapter 10 Aankh Ki Kirkiri (Chokher Bali) Novel By Rabindranath Tagore

Chapter 10 Aankh Ki Kirkiri Novel By Rabindranath Tagore Prev | Next | All Chapters बिहारी ने खुद बैठ कर महेंद्र से चिट्ठी लिखवाई और उस पत्र के साथ दूसरे ही दिन राजलक्ष्मी को लेने गया। राजलक्ष्मी समझ गई, चिट्ठी बिहारी ने लिखवाई है- मगर फिर भी उससे रहा न गया। साथ-साथ विनोदिनी आई। लौट … Read more

चैप्टर 8 आँख की किरकिरी उपन्यास (चोखेर बाली उपन्यास) रवींद्रनाथ टैगोर | Chapter 8 Aankh Ki Kirkiri (Chokher Bali) Novel By Rabindranath Tagore

Chapter 8 Aankh Ki Kirkiri Novel By Rabindranath Tagore Prev | Next | All Chapters आशा को डर लगा। क्या हुआ यह? माँ चली गईं, मौसी चली गईं। उन दोनों का सुख मानो सबको खल रहा है, अब उसकी बारी है शायद। सूने घर में दांपत्य की नई प्रेम-लीला उसे न जाने कैसी लगने लगी। … Read more

चैप्टर 7 आँख की किरकिरी उपन्यास (चोखेर बाली उपन्यास) रवींद्रनाथ टैगोर | Chapter 7 Aankh Ki Kirkiri (Chokher Bali) Novel By Rabindranath Tagore

Chapter 7 Aankh Ki Kirkiri Novel By Rabindranath Tagore Prev | Next | All Chapters राजलक्ष्मी मैके पहुँचीं। तय था कि उन्हें छोड़ कर बिहारी आ जाएगा, लेकिन वहाँ की हालत देख कर वह ठहर गया। राजलक्ष्मी के मैके में महज दो-एक बूढ़ी विधवाएं थीं। चारों तरफ घना जंगल और बांस की झाड़ियाँ; पोखर का … Read more