चैप्टर 13 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 13 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

Chapter 13 Do Sakhiyan Munshi Premchand Prev | All Chapters  दिल्ली 20-2-26 प्यारी बहन, तुम्हारा पत्र पढ़कर मुझे तुम्हारे ऊपर दया आयी। तुम मुझे कितना ही बुरा कहो, पर मैं अपनी यह दुर्गति किसी तरह न सह सकती, किसी तरह नहीं। मैंने या तो अपने प्राण ही दे दिये होते, या फिर उस सास का … Read more

चैप्टर 12 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 12 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

चैप्टर 12 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 12 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Chapter 12 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  काशी 10-2-26 प्रिय पद्मा, कई दिन तक तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा करने के बाद आज यह खत लिख रही हूँ। मैं अब भी आशा कर … Read more

चैप्टर 11 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 11 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

चैप्टर 11 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 11 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Chapter 11 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  दिल्ली 5-2-26 प्यारी चंदा  क्या लिखूं,, मुझ पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा! हाय, वह चले गए। मेरे विनोद का तीन दिन से पता … Read more

बाबा जी का भोग मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Babaji Ka Bhog Munshi Premchand Ki Kahani

बाबा जी का भोग कहानी मुंशी प्रेमचंद, Baba Ji Ka Bhog Story Munshi Premchand, Baba Ji Ka Bhog Munshi Premchand Ki Kahani Read Online  Baba Ji Ka Bhog Story Munshi Premchand रामधन अहीर के द्वार पर एक साधु आकर बोला – “बच्चा तेरा कल्याण हो, कुछ साधु पर श्रद्धा कर।” रामधन ने जाकर स्त्री से … Read more

चैप्टर 10 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 10 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

Chapter 10 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  काशी 5-1-26 बहन, तुम्हारा पत्र पढ़कर मुझे ऐसा मालूम हुआ कि कोई उपन्यास पढ़कर उठी हूं। अगर तुम उपन्यास लिखों, तो मुझे विश्वास है, उसकी धूम मच जाए। तुम आप उसकी नायिका बन जाना। तुम ऐसी-ऐसी बातें कहां सीख गयी, मुझे तो … Read more

चैप्टर 9 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 9 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

Chapter 9 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  दिल्ली 1-2-26 प्यारी बहन, तुम्हारे प्रथम मिलन की कुतूहलमय कथा पढ़कर चित्त प्रसन्न हो गया। मुझे तुम्हारे ऊपर हसद हो रहा है। मैंने समझा था, तुम्हें मुझ पर हसद होगा, पर क्रिया उलटी हो गयी, तुम्हें चारों ओर हरियाली ही नजर आती … Read more

राष्ट्र का सेवक मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Rashtra Ka Sevak Story By Munshi Premchand

प्रस्तुत है : राष्ट्र का सेवक मुंशी प्रेमचंद की कहानी  (Rashtra Ka Sevak Story By Munshi Premchand) Rashtra Ka Sevak Munshi Premchand Ki Kahani कथनी और करनी के अंतर को दर्शाती है।  Rashtra Ka Sevak Story By Munshi Premchand राष्ट्र के सेवक ने कहा—देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों … Read more

चैप्टर 8 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 8 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

चैप्टर 8 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 8 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Chapter 8 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  काशी 25-12-25 प्यारी पद्मा, तुम्हारा पत्र पढ़कर मुझे कुछ दु:ख हुआ, कुछ हँसी आयी, कुछ क्रोध आया। तुम क्या चाहती हो, यह तुम्हें खुद नहीं … Read more

चैप्टर 48 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 48 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 48 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters काशी के म्युनिसिपल बोर्ड में भिन्न-भिन्न राजनीतिक सम्प्रदायों के लोग मौजूद थे। एकवाद से लेकर जनसत्तावाद तक सभी विचारों के कुछ-न-कुछ आदमी थे। अभी तक धन का प्राधान्य नहीं था, महाजनों और रईसों का राज्य था। जनसत्ता के अनुयाई शक्तिहीन थे। उन्हें … Read more

चैप्टर 47 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 47 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 47 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters संध्या हो गई थी। मिल के मजदूर छुट्टी पा गए थे। आजकल दूनी मजदूरी देने पर भी बहुत थोड़े मजदूर काम करने आते थे। पाँड़ेपुर में सन्नाटा छाया हुआ था। वहाँ अब मकानों के भग्नावशेष के सिवा कुछ नजर न आता था। … Read more