चैप्टर 7 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 7 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

Chapter 7 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  दिल्ली 15-12-25 प्यारी बहन, तुझसे बार-बार क्षमा मांगती हूँ, पैरों पड़ती हूँ। मेरे पत्र न लिखने का कारण आलस्य न था, सैर-सपाटे की धुन न थी। रोज सोचती थी कि आज लिखूंगी, पर कोई-न-कोई ऐसा काम आ पड़ता था, कोई ऐसी बात … Read more

चैप्टर 46 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 46 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 46 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters चारों आदमी शफाखाने पहुँचे, तो नौ बज चुके थे। आकाश निद्रा में मग्न, आँखें बंद किए पड़ा हुआ था, पर पृथ्वी जाग रही थी। भैरों खड़ा सूरदास को पंखा झल रहा था। लोगों को देखते ही उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे। … Read more

बड़े भाई साहब मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Bade Bhai Sahab Munshi Premchand Ki Kahani 

बड़े भाई साहब मुंशी प्रेमचंद की कहानी, Bade Bhai Sahab Munshi Premchand Story In Hindi, Bade Bhai Sahab Munshi Premchand Ki Kahani  Bade Bhai Sahab Munshi Premchand Ki Kahani  (1) मेरे भाई साहब मुझसे पांच साल बड़े थे, लेकिन तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया; … Read more

चैप्टर 6 दो सखियाँ मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 6 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas

Chapter 6 Do Sakhiyan Munshi Premchand Ka Upanyas Prev | Next| All Chapters  गोरखपुर 25-9-25 प्यारी पद्मा, कल तुम्हारा खत मिला, आज जवाब लिख रही हूँ। एक तुम हो कि महीनों रटाती हो। इस विषय में तुम्हें मुझसे उपदेश लेना चाहिए। विनोद बाबू पर तुम व्यर्थ ही आक्षेप लगा रही हो। तुमने क्यों पहले ही … Read more