August 2022

चैप्टर 44 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 44 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 44 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters गंगा से लौटते दिन के नौ बज गए। हजारों आदमियों का जमघट, गलियाँ तंग और कीचड़ से भरी हुई, पग-पग पर फूलों की वर्षा, सेवक-दल का राष्ट्रीय संगीत, गंगा तक पहुँचते-पहुँचते ही सबेरा हो गया था। लौटते हुए जाह्नवी ने कहा-चलो, जरा […]

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आवारागर्द आचार्य चतुरसेन शास्त्री की कहानी | Awaragard Acharya Chatursen Shastri Story

आवारागर्द आचार्य चतुरसेन शास्त्री की कहानी  (Awaragard Acharya Chatursen Shastri Story) Awaragard Acharya Chatursen Shastri Ki Kahani एक आवारागर्द इंसान के प्रेम की कहानी है. Awaragard Acharya Chatursen Shastri Story जो आवारागर्द नहीं, उन्हें आवारागर्दी के मजे कैसे समझाए जाएँ। लोग सभ्य हैं, इज्जत-आबरू वाले हैं, उनकी समाज में पद मर्यादा है, बहुत लोग उन्हें

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चैप्टर 43 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 43 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 43 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters सोफिया के धार्मिक विचार, उसका आचार-व्यवहार, रहन-सहन, उसकी शिक्षा-दीक्षा, ये सभी बातें ऐसी थीं, जिनसे एक हिंदू महिला को घृणा हो सकती थी। पर इतने दिनों के अनुभव ने रानीजी की सभी शंकाओं का समाधान कर दिया। सोफिया अभी तक हिंदू धर्म

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शांति मुंशी प्रेमचंद की कहानी मानसरोवर भाग 1 | Shanti Munshi Premchand Ki Kahani Mansarovar Bhag 1

शांति मुंशी प्रेमचंद की कहानी मानसरोवर भाग 1 | Shanti Munshi Premchand Ki Kahani Mansarovar Part 1| Shanti Short Story By Munshi Premchand Read Online  Shanti Munshi Premchand Ki Kahani जब मैं ससुराल आयी, तो बिलकुल फूहड़ थी। न पहनने-ओढ़ने को सलीका , न बातचीत करने का ढंग। सिर उठाकर किसी से बातचीत न कर सकती थीं। आँखें

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चैप्टर 42 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 42 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 42 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters अदालत ने अगर दोनों युवकों को कठिन दंड दिया, तो जनता ने भी सूरदास को उससे कम कठिन दंड न दिया। चारों ओर थुड़ी-थुड़ी होने लगी। मुहल्लेवालों का तो कहना ही क्या, आस-पास के गाँववाले भी दो-चार खोटी-खरी सुना जाते थे-माँगता तो

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चैप्टर 41 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 41 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 41 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters प्रभु सेवक ने तीन वर्ष अमेरिका में रहकर और हजारों रुपये खर्च करके जो अनुभव और ज्ञान प्राप्त किया था, वह मि. जॉन सेवक ने उनकी संगति से उतने ही महीनों में प्राप्त कर लिया। इतना ही नहीं, प्रभु सेवक की भाँति

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अनाथ लड़की मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Anath Ladki Munshi Premchand Ki Kahani

अनाथ लड़की मुंशी प्रेमचंद की कहानी (Anath Ladki Munshi Premchand Ki Kahani) Anath Ladki Story By Munshi Premchand  Anath Ladki Munshi Premchand Ki Kahani (1) सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले, तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। सेठ जी रुक गये और मुहब्बत से उसकी

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नरक का मार्ग मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Narak Ka Maarg Munshi Premchand Ki Kahani Read Online

नरक का मार्ग प्रेमचंद की कहानी | Narak Ka Maarg Munshi Premchand Ki Kahani | Narak Ka Maarg Story By Munshi Premchand Read Online  Narak Ka Maarg Munshi Premchand Ki Kahani (1) रात ‘भक्तमाल’ पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद आ गयी। कैसे-कैसे महात्मा थे, जिनके लिए भगवत्-प्रेम ही सबकुछ था, इसी में मग्न रहते थे।

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चैप्टर 40 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 40 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 40 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters मिल के तैयार होने में अब बहुत थोड़ी कसर रह गई थी। बाहर से तम्बाकू की गाड़ियाँ लदी चली आती थीं। किसानों को तम्बाकू बोने के लिए दादनी दी जा रही थी। गवर्नर से मिल को खोलने की रस्म अदा करने के

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चैप्टर 39 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 39 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 39 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters तीसरे दिन यात्रा समाप्त हो गई, तो संधया हो चुकी थी। सोफिया और विनय दोनों डरते हुए गाड़ी से उतरे कि कहीं किसी परिचित आदमी से भेंट न हो जाए। सोफिया ने सेवा-भवन (विनयसिंह के घर) चलने का विचार किया; लेकिन आज

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