चैप्टर 42 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 42 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 42 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters अदालत ने अगर दोनों युवकों को कठिन दंड दिया, तो जनता ने भी सूरदास को उससे कम कठिन दंड न दिया। चारों ओर थुड़ी-थुड़ी होने लगी। मुहल्लेवालों का तो कहना ही क्या, आस-पास के गाँववाले भी दो-चार खोटी-खरी सुना जाते थे-माँगता तो … Read more