चैप्टर 35 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 35 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 35 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters विनयसिंह आबादी में दाखिल हुए, तो सबेरा हो गया था। थोड़ी दूर चले थे कि एक बुढ़िया लाठी टेकती सामने से आती हुई दिखाई दी। इन्हें देखकर बोली-बेटा, गरीब हूँ। बन पडे, तो कुछ दे दो। धरम होगा। नायकराम-सवेरे राम-नाम नहीं लेती, … Read more