चैप्टर 46 : ज़िन्दगी गुलज़ार है नॉवेल | Chapter 46 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

Chapter 46 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

Chapter 46 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi
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19 जून कशफ़

आज ज़ारून को अमेरिका गए हुए पूरा एक हफ्ता हो गया है और आज वह मुझे बहुत याद आ रहा है. शायद अब मैं उसकी आदी हो गई हूँ या फिर शायद मैं उसके बगैर ख़ुद को अकेला महसूस करती हूँ. मुझे उसके बगैर रहना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. हालांकि अब तक मुझे आदी हो जाना चाहिए था, क्योंकि वह जिस पोस्ट पर है, वहाँ वह ज्यादा देर तक एक जगह टिक कर नहीं रह सकता, फिर भी पता नहीं मुझे उसकी गैर-मौजूदगी क्यों इतनी महसूस हो रही है. वह ख़ुद भी तो बाहर जाना ज्यादा पसंद नहीं करता. अब वह बाहर जाकर पहले की तरह लंबी-लंबी कॉल्स नहीं करता है. पहले से बहुत संजीदा हो गया है. शायद उम्र और वक्त गुजरने के साथ ज़रूरी होता है. उसे भी तो आखिर मैच्योर होना था और अगर अब भी नहीं होता, तो फिर कब होता. फिर अब उस पर काम का बोझ भी बहुत ज्यादा नहीं है.

फिर अब मुझ पर भी तो बहुत ज्यादा जिम्मेदारियाँ हैं और वक्त गुजरने के साथ उनमें और इज़ाफ़ा होगा. कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि अब जॉब छोड़ दूंगी, क्योंकि अब मुझे उसकी ज़रूरत नहीं है. मेरे पास रूपये की कोई कमी नहीं है और अब तैमूर के साथ-साथ ऐबक की जिम्मेदारियाँ भी है. दो बच्चों को जॉब के साथ संभालना कद्र-ए-मुश्किल काम है. लेकिन फिर मुझे ख़याल आता है कि मैंने इस पोस्ट तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत की थी. अब क्या मैं उससे सिर्फ़ अपने थोड़े से आराम के लिए छोड़ दूं और यही सोच मुझे रिज़ाइन करने से रोक देती है. शायद उस वक्त मैं दिल के बजाय दिमाग से काम लेती हूँ और ज़िन्दगी में हमेशा दिमाग से लिए गए फ़ैसले ही काम आते हैं.

क्या लिखना चाह रही थी और क्या लिख रही हूँ. मैं आज काफ़ी गायब-दिमाग का मुज़ाहिरा (इज़हार, प्रदर्शन) करती रही. कोई भी काम ठीक से नहीं कर सकी और यह सिर्फ़ इसलिए है क्योंकि मैं ज़ारून को बहुत मिस कर रही हूँ. मैंने कभी यह सोचा नहीं था कि मैं जिस शख्स को जान से मारना चाहती थी, एक वक्त ऐसा आएगा कि मैं उसकी मोहब्बत में मुब्तला (पड़ जाऊंगी) हो जाऊंगी और उसकी एब्सेंस मेरे लिए ना-काबिले-बर्दाश्त होगी.

वह बहुत ख़ूबसूरत बंदा है. सिर्फ़ ज़ाहिरी तौर पर ही नहीं, बल्कि अंदर से भी और इतना ही ख़ूबसूरत है, लेकिन इस बात को जानने के लिए वक्त लगता है. पता नहीं इस वक्त जब मुझे वह इतना याद आ रहा है, वह ख़ुद क्या कर रहा होगा. शायद कॉन्फ्रेंस हॉल में कोई तक़रीर (भाषण, वक्तव्य) कर रहा होगा या किसी रिजर्वेशन की ड्राफ्टिंग में मशरूफ़ होगा, जो भी हो कम-अज़-कम वह इस वक्त हमें याद नहीं कर रहा होगा क्योंकि अमेरिका में इस वक्त सुबह होगी और वर्किंग ऑवर्स में अपने काम के अलावा वो कुछ और नहीं सोचता.

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