चैप्टर 47 : ज़िन्दगी गुलज़ार है नॉवेल | Chapter 47 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

Chapter 47 Zindagi Gulzar Hai Novel In Hindi

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२१ जुलाई – ज़ारून

आज पाँच साल बाद आसमारा से मिला. हम लोग एक डिनर में गए थे और वहाँ  मुझे वह नज़र आई. वो पहले ही की तरह ख़ूबसूरत है, बल्कि पहले से ज्यादा ग्लैमरस और अट्रैक्टिव लग रही थी. वह कशफ़ के पास खड़ी थी, जब मैं उसके पास गया और जब उसे हमारे ताल्लुक का पता चला, तो वह हैरान हुई थी, बल्कि यूं कहना चाहिए कि शॉक्ड रह गई थी. फिर कशफ़ के जाने के बाद उसने मुझसे पूछा था, “तो यह थी तुम्हारी चॉइस! जब तुम उससे मोहब्बत करते थे और उसी से शादी करनी थी, तो कॉलेज में वह सारा ड्रामा करने की क्या ज़रूरत थी?”

मैं उसकी बात पर मुस्कुराने लगा था, “नहीं वह सब ड्रामा नहीं था. उससे मोहब्बत का एहसास मुझे कॉलेज छोड़ने की कई साल बाद हुआ था.”

मेरी बात सुनने के बाद उसने अजीब से लहज़े में कहा था, “मुझमें क्या कमी थी? क्या कशफ़ मुझसे ज्यादा ख़ूबसूरत थी? क्या उसके पास मुझसे ज्यादा दौलत थी. क्या वह मुझसे ज्यादा ज़हीन थी? फिर तुमने मुझे रिजेक्ट क्यों किया?”

“नहीं असमारा! तुम में कोई कमी नहीं थी. तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, तुम्हें बहुत से ख़बियाँ है. प्रॉब्लम सिर्फ़ ये था कि मुझे इन ख़ूबियों की ज़रूरत नहीं थी. नो डाउट हुस्न में वह तुम्हारे पासंग (बराबर) नहीं है, लेकिन उसकी वजह से मेरा घर और मेरे बेटे ख़ूबसूरत है और यह उसमें तुमसे बहुत ज्यादा है.”

“फिलॉसफी मत झाड़ो, मुझे लफ़्ज़ों से मत बहलाओ.”

उसने मेरी बात बड़ी तेज आवाज में काटी थी और मैं मुस्कुराने लगा था.

“अच्छा चलो तुम्हारे लिए आसान ज़ुबान में बात करता हूँ. तुम अपने शौहर के साथ यहाँ आई हो. ज़रा सोच कर बताओ कि यहाँ आने से पहले तुमने अपनी तैयारी और अपने शौहर को तैयार करवाने में कितना वक्त लिया था?”

मेरे सवाल उसको कुछ ऑकवर्ड फ़ील हुआ, “अपनी तैयारी में काफ़ी वक्त लगा था, लेकिन मेरा शौहर कोई बच्चा नहीं है, जिसे तैयार करवाओ. वह ख़ुद सब मैनेज कर सकता है.”

“मैं भी कोई बच्चा नहीं हूँ, लेकिन फिर भी यहाँ आने से पहले मेरी टाई की नॉट  कशफ़ ने अपने हाथों से लगाई थी. मेरे कोर्ट के कॉलर का रुमाल भी उसने लगाया था. मेरे घर में मुलाज़िमों की लंबी कतार है, इसके बावजूद जो शूज़ मैंने इस वक्त पहने हैं, वह उसने पॉलिश किये हैं. यहाँ आने से पहले वह मेरे बड़े बेटे को होमवर्क करवा कर आई है और मेरे छोटे बेटे को उसने ख़ुद फीड किया है, हालांकि उसके लिए गवर्नेंस है और उसके बाद वह यहाँ आने के लिए ड्रेसअप हुई. एंड  जस्ट लुक एट हर, क्या उसे देखकर ऐसा लगता है कि वह इतने बहुत सारे काम कर के आई है और यह सब यहीं पर खत्म नहीं होता. अभी यहाँ से जाने के बाद वह मेरे लिए नाइट सूट निकालेगी, दूध का गिलास देगी, फिर सुबह ऑफिस जाने के लिए मेरी सारी चीजें तैयार करेगी, मेरा ब्रीफकेस चेक करेगी और फिर वह सोयेगी और सुबह मेरे उठने से पहले वह बेदार (जाग) हो चुकी होगी।”

“अगर वह यह सब करती है, तो इसमें कमाल की बात क्या है? वह एक हाउसवाइफ़ है, उसकी कोई सोशल लाइफ़ नहीं है. अगर उससे यह भी नहीं करना तो और क्या करना है?”

इस दफ़ा में आसमारा की बात पर हँस पड़ा था, “वो हाउसवाइफ़ नहीं है. शायद उसने बताया नहीं, वो ऐसी आईपीएस ऑफिसर है. इस वक्त वो स्टेटमेंट डिवीजन में काम कर रही है.”

मेरी बात के जवाब में वह पहली दफ़ा ख़ामोश हुई थी और उसने मेरे चेहरे से नज़रें हटा ली थी. फिर चंद लम्हों के बाद उसने मुझसे कहा था, “इसके बावजूद मैं नहीं मानूंगी कि उसमें ऐसा कुछ था कि तुम उससे शादी करते.”

फिर मैंने मजीद कुछ कहना बेकार समझा और मौज़ू बदल दिया. मैंने उससे कहा, “चलो यार तुम इतने अरसे बाद मिली हो, तुम्हारी बात मान लेता हूँ. चलो कशफ़ को छोड़ो और मुझे अपने शौहर से मिलवाओ.”

मैं उसे यह बात कभी समझा नहीं सकता कि कशफ़ में कितनी ख़ूबियाँ है. वह मेरे लिए एक लग्जरी की तरह है. पहले मैं उस औरत से मोहब्बत करता था और अब मैं उससे इंप्रेस हूँ. उसने मेरे लिए जो किया, कोई दूसरी औरत नहीं कर सकती थी. कशफ़ ने अपने आपको मेरी मर्ज़ी के मुताबिक ढाल दिया है और अगर मैं आसमारा से शादी करता, तो वह मुझे अपनी मर्ज़ी के मुताबिक ढालने की कोशिश करती, नतीजा क्या होता? चंद माह बाद अल्हदगी, क्योंकि मैं उसकी बात नहीं मानता और वह मेरी बात नहीं मान सकती थी. आसमारा भी एक डिप्लोमेटिक की बीवी है, लेकिन उसकी अदायें देखकर सबके दिल एक तरह से ही धड़कते होंगे. कशफ़ उसके मुकाबले में कुछ नहीं है, लेकिन कम से कम लोग उसकी इज्ज़त  तो करते हैं. उसे ऐसी वैसी नज़रों से तो नहीं देखते और मुझे यही सब कुछ पसंद है. वरना यह भी हो सकता था कि जिस तरह से आसमारा ने डिनर में अपने शौहर के होते हुए भी मुझे ऐसे सवाल पूछे थे, अगर मैं अपनी सोसाइटी की किसी लड़की से शादी करता, तो हो सकता है था, वह भी ऐसे किसी फंक्शन में अपने किसी पुराने जानने वाले से कुछ ऐसे ही सवाल कर रही होती और मैं बेखबर होता.

जब हम वहाँ से वापस आ रहे थे, तो गाड़ी ड्राइव करते हुए मैं मसलसल (लगातार) आसमारा के बारे में सोच रहा था. कशफ़ ने मेरी खामोशी देखते हुए पूछा था, “ज़ारून क्या सोच रहे हो?”

“अगर मैं तुम्हें बता दूं, तो तुम नाराज़ तो नहीं होगी?” मेरे पूछने पर उसने नहीं में सिर हिलाया.

“आसमारा मुझसे कह रही थी कि कशफ़ में ऐसा कुछ नहीं था कि तुम उससे शादी करते और मैंने उससे कहा कि तुम ठीक कह रही हो, बस गलती हो गई.”

मैंने उसे छेड़ते हुए कहा, लेकिन वह मेरी बात पर नाराज़ होने की जगह वो मुस्कुराने लगी, “मैं जानती हूँ, तुम ऐसा कह ही नहीं सकते.”

“इतना एतमाद (विश्वास) मुझ पर!” मैंने उससे पूछा था और उसने उसी तरह मुस्कुराते हुए कहा था –

“अगर एतमाद नहीं होता, तो आज तुम्हारे साथ नहीं होती.” उसके इस जुमले पर मुझे कई साल पहले उसकी कही एक बात याद आ गई थी. एक दिन मैंने मज़ाक में से पूछा था, ” कशफ़ अगर मैं कभी दूसरी शादी कर लूं, तो?”

उसने बड़ी बेरुखी से कहा था, “तुम यह काम करने वाले दुनिया के पहले या आखरी मर्द नहीं होंगे. मर्द तो ऐसे काम करते ही रहते हैं और तुम पर तो मुझे पहले ही कोई एतमाद नहीं, इसलिए मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा.”

उस वक्त वो ऐसे ही मुँह तोड़ जवाब दिया करती थी, पर आज वो बड़े इत्मीनान से कह रही थी कि उसे मुझ पर एतमाद है. अजीब चीज़ है यह कशफ़. हर वक्त मुझे हैरान करती रहती है. मुझे वह हमेशा एक मिस्ट्री की तरह लगती है, जिसे कोई हल नहीं कर सकता. शादी के इतने साल बाद भी मैं उसे पूरी तरह जान नहीं सकता और शायद कभी जान नहीं सकूंगा, क्योंकि वह बहुत गहरी औरत है, जो कभी पूरी तरह खुलकर सामने नहीं आती और शायद उसकी इसी मिस्ट्री ने मुझे उसका असीर (प्यार में गिरफ़्तार) कर रखा है. वह बहुत ताकतवर है. आज तक मेरे सामने उसकी कोई कमजोरी नहीं आई. शायद उसका कोई कमज़ोरी आई ही नहीं और अगर कोई है, तो शायद दूसरों की तरह मैं भी हमेशा इससे बेखबर होऊंगा. मैं हमेशा उसके साथ हर बात शेयर करता हूँ. वह ऑफिस की कोई प्रॉब्लम हो या फिर कोई पर्सनल प्रॉब्लम. वह हमेशा मेरी हर बात से वाकिफ़ रहती है. लेकिन आज तक कभी उसने मुझे अपनी कोई प्रॉब्लम शेयर नहीं. फिर भी मैं उसे पसंद करता हूँ, क्योंकि मैं अपनी ज़िन्दगी को एंजॉय कर रहा हूँ और हकीकत में ज़िन्दगी है भी यही. मुझे ज़िन्दगी से मोहब्बत है, क्योंकि ख़ुदा ने मुझे एक ख़ूबसूरत घर दे रखा है.

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