चैप्टर 16 खौफनाक इमारत : इब्ने सफ़ी का उपन्यास | Chapter 16 Khaufnaak Imarat Novel By Ibne Safi

Chapter 16 Khaufnaak Imarat Novel By Ibne Safi

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इमरान चंद लम्हे में बैठा रहा। फिर उठकर तेजी से बाहर निकल गया। उसने क्लब के बाहर एक कार के स्टार्ट होने की आवाज सुनी। वह फिर अंदर वापस आ गया।

“कहाँ भागते फिर रहे हो?” लेडी जहांगीर ने पूछा। उसकी आँखें नशे से बोझिल हो रही थी।

“जरा खाना हज़म कर रहा हूँ।” इमरान ने अपनी कलाई पर बंधी हुई घड़ी की तरफ देखते हुए कहा। लेडी जहांगीर आँखें बंद करके हँसने लगी। इमरान की नज़र बदस्तूर घड़ी पर जमी रही। वह फिर उठा। टेलीफोन बूथ की तरफ जा रहा था। उसने रिसीवर उठाकर नंबर डायल किया और माउथपीस में बोला, “हलो सुपर फैयाज़! मैं इमरान बोल रहा हूँ। बस अब रवाना हो जाओ।”

रिसीवर रखकर वह फिर हॉल में चला आया। लेकिन वह इस बार लेडी जहांगीर के पास नहीं बैठा।

चंद लम्हे खड़ा इधर-उधर देखता रहा। फिर एक ऐसी जगह जा बैठा, जहाँ तीन आदमी पहले ही से बैठे हुए थे और यह तीनों उसके परिचित थे, इसलिए उन्होंने बुरा नहीं माना। शायद पंद्रह मिनट तक इमरान उनके साथ कहकहे लगाता रहा, लेकिन इस दौरान बार-बार उसकी नज़र दरवाजे की तरफ उठ जाती थी। अचानक उसे दरवाजे में वह बूढ़ा दिखाई दिया, जिससे उसने कुछ दिन पहले कागजात वाला हैंडबैग छीना था। इमरान और ज्यादा डूबकर गुफ्तगू करने लगा। लेकिन थोड़ी ही देर बाद उसने अपने दाहिने कंधे में किसी चीज की चुभन महसूस की। उसने कनखियों से दाहिनी तरफ देखा। बूढ़ा उससे लगा हुआ खड़ा था। उसका बायां हाथ कोट की जेब में था और उसी जेब में रखी हुई कोई सख्त चीज इमरान के कंधे में चुभ रही थी। इमरान को यह समझने में कठिनाई ना हुई कि वह रिवाल्वर की नली ही हो सकती है।

“इमरान साहब!” बूढ़ा बड़ी विनम्रता से बोला, “क्या आप चंद मिनट के लिए बाहर तशरीफ़ ले चलेंगे?”

“आहा! चचा जान!” इमरान चहक कर बोला, “ज़रूर ज़रूर! मगर मुझे आपसे शिकायत है, इसलिए आपको भी कोई शिकायत न होनी चाहिए।”

“आप चलिए तो!” बूढ़े ने मुस्कुरा कर कहा, “मुझे उस गधे की हरकत पर अफ़सोस है।”

इमरान खड़ा हो गया, लेकिन अब रिवाल्वर की नाल उसके पहलू में चुभ रही थी। वह दोनों बाहर आ गये। फिर जैसे ही वे पार्क में पहुँचे, बूढ़े के दोनों साथी भी पहुँच गये।

“कागजात कहाँ है?” बूढ़े ने इमरान का कॉलर पकड़कर झिंझोड़ते हुए कहा।

पार्क में सन्नाटा था। अचानक इमरान ने बूढ़े का बायां हाथ पकड़कर ठोड़ी के नीचे एक जोरदार घूंसा रसीद किया। बूढ़े का रिवाल्वर इमरान के हाथ में था और बूढ़ा लड़खड़ा कर गिरने ही वाला था कि उसके साथियों ने उसे संभाल लिया।

“मैं कहता हूँ कि दस हजार कहाँ है?” इमरान ने चीखकर कहा।

अचानक मेहंदी की बाड़ के पीछे से आठ-दस आदमी उछलकर तीनों पर आ पड़े और फिर एक खतरनाक कशमकश शुरू हो गई। वह तीनों बुरी तरह लड़ रहे थे।

“फैयाज़!” इमरान ने चीख कर कहा, “दाढ़ी वाला!”

लेकिन दाढ़ी वाला उछल कर भागा। मेहंदी की बाड़ फर्लांगने ही वाला था कि इमरान के रिवाल्वर से शीला निकला। गोली टांग में लगी और बूढ़ा मेहंदी की बाड़ में फंस कर रह गया।

“अरे बाप रे बाप!” इमरान रिवाल्वर फेंक कर अपना मुँह पीटने लगा।

वे दोनों पकड़े जा चुके थे। फैयाज़ बूढ़े की तरफ लपका, जो अब भी भाग निकलने की कोशिश कर रहा था। फैयाज़ से टांग पकड़कर उसे मेहंदी की बाड़ से घसीट लिया।

“ये कौन?” फैयाज़ ने उसके चेहरे पर रोशनी डाली। फायर की आवाज सुनकर पार्क में बहुत से लोग इकट्ठे हो गए थे। बूढ़ा बेहोश नहीं हुआ था। वह किसी ज़ख्मी सांप की तरह बल खा रहा था। इमरान ने झुककर उसकी नकली दाढ़ी नोंच डाली।

“हांय!” फैयाज़ तकरीबन चीख पड़ा, “सर जहांगीर!”

सर जहांगीर ने फिर उठकर भागने की कोशिश की, लेकिन इमरान की ठोकर ने उसे उठने नहीं दिया।

“हाँ, सर जहांगीर!” इमरान बड़बड़ाया, “एक गैर मुल्क का जासूस, कौम फ़रोश, गद्दार…”

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