चैप्टर 15 खौफनाक इमारत : इब्ने सफ़ी का उपन्यास | Chapter 15 Khaufnaak Imarat Novel By Ibne Safi

Chapter 15 Khaufnaak Imarat Novel By Ibne Safi

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वह आदमी हैंडबैग लिए हुए जैसे ही बाहर निकला, क्लब के कार पार्क से दो आदमी उसकी तरफ बढ़े।

“क्या रहा?” एक ने पूछा।

“मिल गया।” बैग वाले ने कहा।

“कागजात है भी या नहीं?”

“मैंने खोल कर नहीं देखा।”

“गधे हो।”

“वहाँ कैसे खोल कर देखता?”

“लाओ.. इधर लाओ।” उसने हैंडबैग अपने हाथ में लेते हुए कहा। फिर चौंक कर बोला, “ओह! यह इतना वजनी क्यों है?”

उसने बैग खोलना चाहा, लेकिन उसमें ताला लगा हुआ था।

“चलो यहाँ से!” तीसरा बोला, “यहाँ खोलने की ज़रूरत नहीं!”

बाहर पहुँचकर वे एक कार में बैठ गए। उनमें से एक कार ड्राइव करने लगा। शहर की सड़कों से गुज़रकर कार एक वीरान रास्ते पर चल पड़ी। आबादी से निकल आने के बाद उन्होंने कार के अंदर रौशनी कर दी। उनमें से एक, जो काफ़ी उम्रदराज और अपने दोनों साथियों से ज्यादा ताकतवर मालूम होता था, एक पतले से तार की मदद से हैंडबैग का ताला खोलने लगा। जैसे ही हैंडबैग का फ्लैप उठाया गया, पिछली सीट पर बैठे हुए दोनों आदमी एकदम उछल पड़े। कोई चीज बैग से उछलकर ड्राइवर की खोपड़ी से टकराई और कार सड़क के किनारे के एक दरख्त से टकराते हुए बची। रफ्तार ज्यादा तेज नहीं थी, वरना कार के टकरा जाने में कोई कमी नहीं रह गई थी। तीन बड़े-बड़े मेंढक कार में उछल रहे थे।

बूढ़े आदमी के मुँह से एक मोटी सी गाली निकली और दूसरा हँसने लगा।

“शट अप!” बूढ़ा गले के पूरे जोर से चीखा, “तुम गधे हो। तुम्हारी बदौलत…”

“जनाब, मैं क्या करता? मैं उसे वहाँ कैसे खोल सकता था? इसका भी तो ख़याल था कि कहीं पुलिस न लगी हो।”

“बकवास मत करो। मैं पहले ही इत्मीनान कर चुका था, वहाँ पुलिस का कोई आदमी नहीं था। क्या तुम मुझे मामूली आदमी समझते हो? अब इस लौंडे की मौत आ गई है। अरे, तुम गाड़ी रोक दो।”

कार रुक गई।

बुरा थोड़ी देर तक सोचता रहा, फिर बोला, “क्लब में उसके साथ और कौन था?”

“एक खूबसूरत सी औरत, दोनों शराब पी रहे थे।”

“गलत है, इमरान शराब नहीं पीता।”

“पी रहा था जनाब!”

बूढ़ा फिर किसी सोच में पड़ गया।

“चलो, वापस चलो।” वह कुछ देर बाद बोला, “मैं उसे वही क्लब में मार डालूंगा।”

कार फिर शहर की तरफ मुड़ी।

“मेरा ख़याल है कि वह अब तक मर चुका होगा।” बूढ़े के करीब बैठे हुए आदमी ने कहा।

“नहीं! वह तुम्हारी तरह बेवकूफ नहीं है।” बूढ़ा झुंझला कर बोला, “उसने हमें धोखा दिया है, तो खुद भी गाफिल न होगा।”

“तब तो वह क्लब ही से चला गया होगा।”

“बहस मत करो!” बूढ़े ने गरज कर कहा, “मैं उसे ढूंढ कर मारूंगा। चाहे वह अपने घर ही में क्यों ना हो।”

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