चैप्टर 20 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 20 Kayakalp Novel By Munshi Premchand

चैप्टर 20 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 20 Kayakalp Novel By Munshi Premchand Chapter 20 Kayakalp Novel By Munshi Premchand मिस्टर जिम ने दूसरे दिन हुक्म दिया कि चक्रधर को जेल से निकालकर शहर के बड़े अस्पताल में रखा जाए । वह उन जिद्दी आदमियों में न थे, जो मार खाकर भी बेहयाई … Read more

चैप्टर 19 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 19 Kayakalp Novel By Munshi Premchand

चैप्टर 19 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 19 Kayakalp Novel By Munshi Premchand Chapter 19 Kayakalp Novel By Munshi Premchand ठाकुर हरिसेवकसिंह दावत खाकर घर पहुंचे, तो डर रहे थे कि लौंगी पूछेगी तो क्या जवाब दूंगा। अगर यह कहूँ कि मुंशीजी ने मेरे साथ चाल चली, तो जिन्दा न छोड़ेगी, तानों से … Read more

चैप्टर 18 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 18 Kayakalp Novel By Munshi Premchand

चैप्टर 18 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 18 Kayakalp Novel By Munshi Premchand Chapter 18 Kayakalp Novel By Munshi Premchand चक्रधर को जेल में पहुँचकर ऐसा मालूम हुआ कि वह एक नई दुनिया में आ गए, जहां मुनष्य ही मनुष्य हैं, ईश्वर नहीं। उन्हें ईश्वर के दिये हुए वायु और प्रकाश के मुश्किल … Read more

चैप्टर 17 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 17 Kayakalp Novel By Munshi Premchand

चैप्टर 17 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 17 Kayakalp Novel By Munshi Premchand Chapter 17 Kayakalp Novel By Munshi Premchand राजा विशालसिंह की जवानी कब की गुजर चुकी थी, किंतु प्रेम से उनका हृदय अभी तक वंचित था। अपनी तीनों रानियों में केवल वसुमती के प्रेम की कुछ भूली हुई-सी याद उन्हें आती … Read more

चैप्टर 16 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 16 Kayakalp Novel By Munshi Premchand

चैप्टर 16 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 16 Kayakalp Novel By Munshi Premchand Chapter 16 Kayakalp Novel By Munshi Premchand संध्या हो गयी है। ऐसी उमस है कि सांस लेना कठिन है, और जेल की कोठरियों में यह उमस और भी असह्य हो गई है। एक भी खिड़की नहीं; एक भी जंगला नहीं। … Read more

चैप्टर 15 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 15 Kayakalp Novel By Munshi Premchand

चैप्टर 15 कायाकल्प मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 15 Kayakalp Novel By Munshi Premchand Chapter 15 Kayakalp Novel By Munshi Premchand राजाओं-महाराजाओं को क्रोध आता है, तो उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं पड़ती। जाने क्या गजब हो जाए, क्या आफत आ जाए। विशालसिंह किसी को फांसी न दे सकते थे, यहां तक कि … Read more