Chapter 8 Langada Khooni Novel By Babu Nayamdas
Table of Contents
Chapter 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8
आठवां भेद
परिशिष्ट
उसके चले जाने के उपरांत कमरे में सन्नाटा छा गया और कई मिनटों के बाद मेरा जासूस यों कहने लगा – “परमात्मा मेरी सहायता करें। भाग्य भी आदमी के साथ कैसे-कैसे खेल खेलती है। वास्तव में मुझे आज तक ऐसे मामले से भेंट नहीं हुई थी।”
न्यायालय में मेरे परम मित्र अजय सिंह के केवल इजहार ही पर महादेव से छोड़ दिया गया। अनेक यतन करने पर भी बुड्ढा हरिहर सिंह एक महीने से अधिक न जी सका। दोनों प्रेमी अर्थात महादेव और मनोहर लता आराम से जीवन निर्वाह करते हैं और स्याह बादल से बचे हुए हैं, जो किसी समय उनके ऊपर छाया हुआ था।
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