चैप्टर 1 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल कृपा धानी | Chapter 1 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

चैप्टर 1 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल कृपा धानी,  Chapter 1 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi By Kripa Dhaani, School Love Story Novel In Hindi 

Chapter 1 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel

Chapter 1 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel

जुलाई 2022

भोपाल

शाम के 5 बजे ‘लव ज़िन्दगी’ मैगज़ीन ऑफिस  के गलियारे में टक-टक करती हील की आवाज गूंजी। कई दीवानी नज़रें पलटी और ठहर गई। मगर वो कयामत बिजली गिराकर गुज़र गई। आँखें सेंकने वाले आँखें मलते रह गये और दिलफेंक आहें भरते रह गये।

वह सबसे बेपरवाह अपनी धुन में लचकती बलखाती पार्किंग एरिया की तरफ़ बढ़ गई। दूध सी रंगत, कजरारे नैन, घनी पलकें, गुलाब की पंखुड़ियों से नाज़ुक होंठ, हसीन-तरीन मुखड़ा…उस पर छरहरा बदन – वो बला की खूबसूरत थी या खूबसूरत बला! जो भी थी, बनाने वाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया था

नाम था नैना खन्ना। उम्र २६ बरस, कद ५’६’’ ! स्टेटस सिंगल नॉट रेडी टू मिंगल

उसके बढ़ते कदम तब थमे, जब किसी ने उसका नाम पुकारा, “नैना!”

एक झटके में वह पलट गई। ऑफिस गेट के पास खड़ी सुरभि उसकी तरफ देखकर हाथ हिला रही थी, “बाय नैना!

सुरभि नैना की कलीग थी और उसके साथ ही ‘लव ज़िन्दगी’ मैगज़ीन में काम किया करती थी।

नैना ने वहीं से चिल्लाकर पूछा – “आज पैदल?”

सुरभि ने उसे इशारों में कुछ बताने की कोशिश की, मगर इशारे समझना नैना ने सीखा नहीं था। सब सिर के ऊपर से गुज़र गया। वह चिल्लाकर और कुछ पूछती, उसके पहले ही सुरभि उसे पास आती दिखाई पड़ी

“वहीं से बता देती यार। यहाँ तक आने की ज़हमत उठाने की क्या ज़रूरत थी?” सुरभि के पास पहुँचने पर नैना ने कहा।

“वहाँ से चिल्लाकर तुझे ये नहीं बता सकती थी कि स्कूटी नहीं लाई, क्योंकि आज डेट पर जा रही हूँ। किसी ने सुन लिया, तो हमारी ‘लव ज़िन्दगी’ मैगज़ीन ऑफिस के हर डिपार्टमेंट में सिर्फ़ मेरी लव ज़िन्दगी के चर्चें होंगे।“ सुरभि धीमी आवाज़ में तकरीबन फुसफुसाती हुई बोली।

“प्यार किया, तो डरना क्या?” नैना मुस्कुरा उठी।

“प्यार-व्यार नहीं है यार। आज तो बस पहली डेट है और पहली ही डेट के बाद किसी गॉसिप में नहीं पड़ना मुझे।”

“बात तो सही है…वैसे ये तो बता कि बंदा कैसा है…!” नैना ने भौंहें उचकाई।

“वो गेट के पास खड़ा गॉगल पहले स्मार्टी दिख रहा है ना! बस वही है।” सुरभि ने गेट की तरफ इशारा किया।

“मिलवाएगी नहीं?” नैना गेट की तरफ नज़र मारते हुए बोली।

“पहली डेट पर जा रही हूँ नैना। पहली डेट के पहले ही पत्ता नहीं कटवाना अपना…बात बन जाये, तब मिलवाऊंगी। हसीन दोस्त हो, तो बॉय फ्रेंड को बचाकर रखना पड़ता है।

सुरभि अपनी डेट के पहले कोई रिस्क लेना नहीं चाहती थी। हालांकि वह नैना को अच्छी तरह जानती थी और उसके इरादे भी कि अभी उसका प्यार मोहब्बत से कोई वास्ता नहीं। लेकिन लड़कों के मचलते दिल, जो नैना पर लट्टू हुए जाते थे, उनसे भी वो अच्छी तरह वाकिफ़ थी। इसलिए बेस्ट ऑप्शन यही था कि डेट के पहले  अपना बॉयफ्रेंड बचाकर रखो। 

सुरभि की बात सुनकर नैना हँस पड़ी और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली, “सुरभि! तुझे पता है कि दूसरों के बॉय फ्रेंड पर झपट्टा मारना नैना की फ़ितरत नहीं। वैसे भी नैना फ्री-बर्ड है और फ्री ही रहना चाहती है।”

“जानती हूँ। लेकिन, देखती हूँ ये फ्री-बर्ड कब तक फ्री रहती है। कोई न कोई तो प्यार का ऐसा जाल ज़रूर फेंकेगा कि तू फंस ही जायेगी।“ 

“नैना को फांसने वाला अभी पैदा नहीं हुआ।“ नैना ने इठलाकर कहा और दोनों हँस पड़ी।

“चल बाय…जाती हूँ…नहीं तो लेट हो जाऊंगी।” सुरभि बोली और मेन गेट की तरफ बढ़ गई। नैना पार्किंग की तरफ बढ़ गई।

नैना अपनी कार के पास पहुँची और कार का दरवाजा खोलने लगी। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसका मोबाइल बजने लगा। नैना ने कॉल पिक की, तो दूसरी तरफ से एक सख्त आवाज़ उसके कानों में पड़ी, “कल आ रही है ना तू?”

“आना ज़रूरी है क्या मम्मा!” नैना ने कुछ खीझे हुए अंदाज़ में कहा।

“हाँ! कभी तो अपनी माँ की बात मान लिया कर।”

माँ की गरजती आवाज़ सुनकर नैना डिफेंस मॉड में आ गई, “ओके बाबा ओके! आ जाऊंगी। रिलैक्स!”

“रिलैक्स तो मैं तब होऊंगी, जब तू शादी करेगी।“ माँ ने बाउंसर फेंका।

“अभी शुरू मत हो जाओ मम्मा। कल आ तो रही हूँ ना…जो सुनाना है, कल घर पर सुना लेना। अभी मैं ऑफिस में ही हूँ। चलो…बाय!”

नैना ने कॉल काट दी और कार में बैठकर स्टीयरिंग पर सिर टिकाकर बड़बड़ाई, “जिसे देखो, मेरे पर कतरने पर तुला है।”

वह कुछ देर यूं ही बैठी रही। फिर गहरी सांस भरकर कार मोड़ ली और ऑफिस से बाहर निकल गई। रास्ते भर उसकी छोटी-सी फैमिली की तस्वीर उसकी आँखों के सामने झिलमिलाती रही, जिसमें पिता नरेन्द्र खन्ना, माँ रानी खन्ना और छोटी बहन पिया थी। सभी भोपाल के नज़दीकी शहर रायसेन में रहते थे। नैना जॉब के सिलसिले में पिछले दो सालों भोपाल में थी। वैसे भोपाल शहर से उसका नाता पुराना था, पर फिलहाल पिछले दो सालों से वो ‘लव ज़िन्दगी’ नाम की एक मैगजीन में बतौर राइटर काम कर रही थी। वहाँ वह रिलेशनशिप्स पर कॉलम लिखा करती थी। उसके लिखे कॉलम्स युवा लड़कियों से लेकर बुज़ुर्ग महिलाओं तक काफ़ी फ़ेमस थे।

नैना ख़ूबसूरत शक्ल के साथ ही मखमली आवाज़ की मलिका भी थी। अपनी मखमली आवाज में वह रेडियो पर साप्ताहिक शो ‘मसाला चाय’ पेश किया करती थी। ये एक यूथ शो था, जिसमें उनके किस्से उनकी बातें हुआ करती थी। नैना के ख़ुशनुमा अंदाज़ ने इस शो को ब्लॉकबस्टर बना रखा था।

घर के सामने पहुँचकर नैना की कार के पहिये थमे और ज़हन में पारिवारिक मिलन का जो कार्यक्रम चल रहा था, वो समाप्त हुआ।

अंदर जाकर बैग सोफे पर फेंककर वो सीधे किचन में गई और फ्रिज़ से पानी की बोतल निकालकर गले को तर करने लगी। दस मिनट मोबाइल स्क्रॉल करते हुए उसने रिलैक्स किया और फ्रेश होने चली गई। फ्रेश होकर और चेंज करके उसने माँ को एक मैसेज डाल दिया, “पैकिंग कर रही हूँ।” और पैकिंग में जुट गई।

माँ का भी जवाब फौरन हाज़िर था – “मेरी प्यारी नैना! तूने कह दिया, तू आ रही है, तो मेरा आधा बोझ उतर गया।”

माँ का मैसेज देखकर नैना मुस्कुरा उठी, “मम्मा! आप भी ना…पल में शोला हो, पल में शबनम।”

वह फिर से पैकिंग में जुट गई। अभी वह पैकिंग कर ही रही थी कि उसके घर की डोरबेल बज उठी। घड़ी पर नज़र डालते हुए वह दरवाज़े की ओर बढ़ गई।

उसने दरवाजा खोलकर बाहर देखा। हैरानी की बात थी कि दरवाजे पर कोई नहीं था, अलबत्ता नीचे एक रैप किया हुआ बॉक्स रखा हुआ था। नैना ने इधर-उधर नज़र घुमाई, मगर उसे कोई नज़र नहीं आया। उसने झुककर बॉक्स उठा लिया। बॉक्स पर एक नेमचिट लगी थी, जिस पर लिखा था –

टू माय लव नैना

क्रमश:

Next | All Chapters 

Author – ‘Kripa Dhaani’

 (All Rights Reserved)

किसने भेजा है नैना को बॉक्स? क्या होगा बॉक्स में? कुछ गड़बड़ तो नहीं? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।

अन्य उपन्यास :

प्यार की अजब कहानी फैंटेसी उपन्यास कृपा धानी

प्राइड एंड प्रिज्युडिस जेन ऑस्टिन का उपन्यास 

सूचना : इस कहानी के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। बिना लेखक की अनुमति के इस कहानी या इसके किसी भी अंश की कॉपी और रिकॉर्डिंग सहित इलेक्ट्रॉनिक अथवा किसी अन्य माध्यम से अथवा ज्ञान के संग्रहण एवं पुनः प्रयोग की प्रणाली द्वारा, किसी भी रूप में पुरुत्पादित अथवा संचारित-प्रसारित नहीं किया जा सकता।

© 2024 Zindagi Gulzar, All rights reserved.

Leave a Comment