चैप्टर 2 जाने तू जाने ना बिलियनर रोमांस नॉवेल | Chapter 2 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel In Hindi

चैप्टर 2 जाने तू जाने ना बिलियनर रोमांस नॉवेल, Chapter 2 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel In Hindi

Chapter 2 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel

Chapter 2 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel

“सिमी क्या मैं तुम्हें…” साहिल ने मदहोश कर देने वाली आवाज में कहा और सिमी के गुलाबी होंठों को देखा। सिमी के होंठ कंपकपाने लगे। साहिल उसके होंठों की तरफ झुका और उसी समय हॉल में एक कर्कश आवाज गूंजी –

“कोई है अंदर?” 

साहिल ठिठक गया। खुद को संभालकर, साहिल और सिमी सीधे बैठ गये। उनकी नज़रें आवाज़ की दिशा में घूम गई। फर्श पर रगड़ते जूतों की आवाज़ उनके कानों में पड़ी, तो उनका चोर दिल कुलबुलाने लगा। कुछ देर बाद ऑफिस का गार्ड उनके सामने खड़ा था। 

“सर! आप लोग और रुकेंगे क्या? ऑफिस बंद करना है।” गार्ड ने एक नज़र साहिल और एक नज़र सिमी पर डालकर कहा।

सिमी उसकी नज़रों को भांप गई और अपना बैग कंधे पर लटकाकर उठ खड़ी हुई, “नहीं! हम लोग जा रहे हैं। साहिल सर ये रहा प्रिंट आउट।“

डेस्क पर पड़ा प्रिंट आउट उठाकर सिमी ने फिर से साहिल के हवाले किया और कुर्सी खिसकाकर, डगमगाते क़दमों से दरवाजे की तरफ बढ़ गई। साहिल भी कुछ देर में ऑफिस से बाहर निकल गया। उसने सिमी को ढूंढा, मगर वह जा चुकी थी।

अपने दिल के ज़ज्बातों को साहिल अपने साथी इंटर्न्स से छुपाये हुए था और उन्हें यूं जताया करता था, मानो सिमी जैसी लड़की को ज़रा सा भाव देकर और प्यार से बातें करके वो उस पर दया कर रहा है। 

वहीं सिमी अपने दीवानेपन में इस कदर खोई हुई थी कि उसे साहिल के इरादों की ज़रा भी भनक नहीं थी। पिछली शाम साहिल की करीबी के बारे में सोचकर उसे रात भर नींद नहीं आई थी। वह रात भर करवटें बदलते यही सोचती रही थी कि क्या साहिल भी उसे पसंद करने लगा है? इस वक़्त, जब वो उसके लिए चाय लेने कैफ़ेटेरिया की तरफ बढ़ रही थी, वह उसके ही कॉम्प्लीमेंट के बारे में सोच रही थी।

“नाइस ड्रेस सिमी!” साहिल के इस कॉम्प्लीमेंट ने उसके गाल गुलाबी कर दिए थे। साहिल पहले भी कई दफ़ा उसे इस ड्रेस के लिए कॉम्प्लीमेंट दे चुका था और यही वजह थी कि वो ये ड्रेस, कई बार रिपीट किया करती थी। उसे ऐसा लगता था कि साहिल को उसकी ये ड्रेस बहुत पसंद है। उसे क्या पता था कि साहिल ने उसकी ड्रेस पर कभी ध्यान दिया ही नहीं था। वह तो बिना देखे ही उसे कॉम्प्लीमेंट दे दिया करता था। उसे तो पता ही नहीं था कि एक ही ड्रेस पर सिमी को बार-बार कॉम्प्लीमेंट देकर वो उसकी गलतफ़हमी बढ़ा रहा हैं।

कैफ़ेटेरिया के सामने पहुँचकर सिमी ने साइन बोर्ड की तरफ सिर उठाया, जहाँ बड़े-बड़े अक्षरों में स्टाइलिश फॉण्ट में लिखा था – कैफ़े डिलाइट। वह अंदर दाखिल हुई और सीधे काउंटर पर चली गई। काउंटर पर तकरीबन साठ बरस का एक लंबा-सा आदमी बैठा हुआ था, जिसने सिर पर काउबॉय हैट पहन रखी थी।

“हलो अंकल जॉर्ज!” सिमी ने वहाँ पहुँचते ही होंठों पर हल्की मुस्कान सजाकर कहा।

“हलो सिमी बेटा, कैसी हो?” 

“ठीक हूँ अंकल!” सिमी ने शालीनता से जवाब दिया। 

जॉर्ज फर्नांडिस ‘कैफ़े डिलाइट’ रेस्टोरेंट चेन का मालिक था। कैफ़े डिलाइट के मुंबई में कई लोकेशन्स पर आउटलेट्स थे, जिनमें से एक आउटलेट जे. एंड जे. लॉ फर्म की ऑफिस बिल्डिंग में भी था। जॉर्ज फर्नांडिस कभी-कभी ही इस कैफ़े में आया करता था। तीन-चार बार उसकी सिमी से मुलाक़ात हुई थी और इन मुलाक़ातों में सिमी की सादगी, भोलापन और शालीनता ने उसका दिल जीत लिया था। वह उसे अपनी बेटी की तरफ मानने लगा था।

“बताओ क्या चाहिए?”

“पाँच चाय अंकल!” 

जॉर्ज फर्नांडिस ने स्टाफ को पाँच चाय रेडी करने का ऑर्डर दिया और सिमी से पूछा, “तुम्हारी मम्मी का रेस्टोरेंट कैसा चल रहा है सिमी?”

“वो रेस्टोरेंट नहीं अंकल, छोटा-सा ढाबा है। पापा की निशानी है वो। उनके बाद मम्मी ही उसकी देखभाल करती आ रही हैं। उस छोटे से कस्बे में हमारा ढाबा बस इतना चल जाता है कि मम्मी को दिन भर बिज़ी रख सके।” सिमी ने मुस्कुराकर जवाब दिया।

“तुम कहो, तो मैं वहाँ इन्वेस्टमेंट करने को रेडी हूँ। रेनोवेशन करवाकर टॉप क्लास रेस्टोरेंट बनवा दूंगा। फिर देखना, चलेगा नहीं दौड़ेगा।” कई दिनों से मन में दबी बात आज जॉर्ज फर्नांडिस ने कह ही दी।

“पता नहीं अंकल मम्मी मानेंगी या नहीं! इमोशनल कनेक्शन है उनका उस ढाबे से।”

“बात करना अपनी मम्मी से!”

“जी अंकल!” 

तब तक सिमी का ऑर्डर रेडी हो चुका था। 

“अंकल! पैसे इंटर्न साहिल गर्ग के अकाउंट में लिखना है।”

“हूं!”

“हैव ए नाइस डे अंकल!”

“गॉड ब्लेस यू बेटा!”

सिमी अपना ऑर्डर लेकर कैफ़ेटेरिया से बाहर निकली और ऑफिस की तरफ बढ़ने लगी। तभी किसी ने ज़ोर से उसका नाम पुकारा, “सिमी!” 

सिमी के कदम ठिठक गये। उसने पलटकर देखा। कुछ दूरी पर उसे गार्गी खड़ी नज़र आई, जो उसके साथ ही जे. एंड जे. लॉ फर्म में कम्प्यूटर ऑपरेटर थी। 

गार्गी गोरे की रंग की भूरी आँखों वाली भरे-भरे शरीर की लड़की थी। उस टाइप की लड़की, जिसे लोग अक्सर क्यूट की श्रेणी में रखा करते हैं। उसने पिंक कलर की वन पीस लॉन्ग ड्रेस पहनी हुई थी और कंधे पर बड़ा-सा बैग लटका रखा था। सिमी के पलटते ही वह दौड़कर उसके पास गई और तकरीबन हाँफते हुए बोली, “सर नहीं आये ना?” 

“नहीं!”

गार्गी ने सिमी के दोनों बाजू पकड़ लिये और उसके कंधे पर सिर टिकाकर बोली, “थैंक गॉड बच गई। बड़ी टेंशन हो रही थी मुझे।“

“इतनी टेंशन होती है, तो टाइम पर ऑफिस क्यों नहीं आती।” सिमी ने कहा और प्यार से उसके सिर पर चपत जमा दी।

गार्गी ने उसके कंधे से अपना सिर उठाया और मुस्कुराकर बोली, “मेरा यही टाइम है।“

सिमी भी मुस्कुरा दी। दोनों ऑफिस की तरफ बढ़ने लगीं। सिमी के हाथ के कप होल्डर में पाँच चाय देखकर गार्गी ने कहा, “तू फिर अपनी ड्यूटी पर लग गई।“

सिमी ने शरमाकर सिर झुका लिया।

“कितनी बार कह चुकी हूँ सिमी कि ये सब काम मत किया कर। तू यहाँ कम्प्यूटर ऑपरेटर है।”

“मना करती, तो उसे बुरा लग जाता ना।” सिमी ने धीरे से कहा।

“किसे?”

“साहिल को!”

“बुरा लग जाता, तो लग जाता। जब देखो, अपना काम लाकर तेरे मत्थे मढ़ देता है। तू उसकी नौकर नहीं लगी है यहाँ।”

सिमी ख़ामोशी से गार्गी की बात सुनती रही।

“मना करना सीख सिमी, वरना दुनिया तेरा फ़ायदा उठाते रहेगी। आज साहिल तुझ पर काम थोप रहा है। कल उसके साथ के वो तीन नमूने इंटर्न तुझ पर काम थोपने लगेंगे।”

“नमूने!” सिमी खिलखिला उठी।

“वो सारे इंटर्न नमूने ही तो हैं, और नहीं तो क्या?”

“सारे नहीं है।” सिमी साहिल का चेहरा याद कर धीरे से बोली।

“हाँ हाँ…तेरा साहिल नहीं है…पर बाकी सारे हैं।”

‘तेरा साहिल’ सुनकर सिमी शरमा गई। ‘इस वक्त तेरी ज़ुबान पर सरस्वती बैठी हो गार्गी और साहिल मेरा हो जाये।’ – उसने मन ही मन सोचा।

“हाय गाल गुलाबी हो गए तेरे…पसंद है ना साहिल तुझे…बोल..!” गार्गी ने उसे छेड़ा।

सिमी शरमाने लगी। 

“चल ठीक है! साहिल का काम कर दिया कर, पर उन नमूनों का नहीं। समझी!”

सिमी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया। तब तक दोनों ऑफिस पहुँच गई थीं। अंदर दाखिल होते वक़्त गार्गी ने ध्यान दिया कि सिमी के हाथ में पाँच चाय है। 

“वो तो चार हैं। ये पांचवीं चाय किसके लिये? तू तो चाय पीती नहीं। इसे मैं ले लेती हूँ। बस से ऑफिस आते-आते सारी एनर्जी निचुड़ गई है।“ गार्गी ने कहा और चाय का एक कप उठाकर अपने डेस्क की तरफ बढ़ गई। सिमी साहिल के केबिन की तरफ बढ़ गई।  

साहिल के केबिन में पहुँचकर सिमी ने चार कप टेबल पर रख दिये। चार कप देखकर साहिल ने पूछा, “तुम्हारी चाय?”

“फिर कभी!” सिमी ने एक तरफ सिर झुकाकर धीमे से कहा और केबिन से बाहर निकल गई। सिमी चाय नहीं पीती थी। अगर पीती थी, तो सिर्फ साहिल के साथ। जिसके पीछे उसका मकसद साहिल के साथ कुछ लम्हें गुज़ारना होता था। मगर आज गार्गी अनजाने में उसकी चाय के साथ उन लम्हों को भी पी गई थी, जिन्हें साहिल के साथ बिताने का सिमी ने ख़्वाब देखा था।

सिमी केबिन से बाहर निकल गई और साहिल, मनीष, राजन और पंकज चाय की चुस्कियों के साथ उसका मज़ाक उड़ाने में लग गये। सिमी इन सबसे अनजान थी। वह ख़ामोशी से अपनी डेस्क पर पहुँची और एक नज़र साहिल पर डालकर कम्प्यूटर में वह फाइल खोल ली, जिस पर वो काम कर रही थी। गहरी साँस भरकर वह टाइपिंग में जुट गई। फटाफट उंगलियाँ चलाते हुए उसने एक पैरा टाइप किया और एंटर मारकर, अगली ‘की’ प्रेस करने के लिए जैसे ही उंगली आगे बढ़ाई, उसकी डेस्क पर रखा इंटरकॉम बज उठा। उसने कॉल रिसीव की। 

“टाइप हो गया।“ श्याम आहूजा ने बिना लागलपेट के पूछा।

“सर! बस पाँच मिनट में करके लाती हूँ।” सिमी घबराकर बोली।

“कोई काम टाइम पर होता है तुमसे? गप्पे लड़ाने से फ़ुर्सत मिलेगी, तब तो काम कर पाओगी। पंद्रह मिनट में एग्रीमेंट मेरी टेबल पर होना चाहिए, नहीं तो आज तुम्हारी कंप्लेन जलानी सर तक पहुँच जायेगी। फिर सोच लो कि क्या होगा।” श्याम आहूजा ने सिमी को डांट लगाई और उसके सफाई में कुछ कहने के पहले ही फोन काट दिया।

सिमी रुआंसी हो गई। इस तरह डांट खाना उसे अच्छा नहीं लगता था। मगर क्या करती? गलती तो उसी की थी। आजकल वह अपने काम से ज्यादा साहिल का काम किया करती थी। और जब साहिल का काम नहीं कर रही होती, तब या तो साहिल को निहारा करती या उसके ख़यालों में डूबी रहा करती थी। उसने चश्मा उतारकर आँखों के कोरों पर छलक आये आँसुओं को पोंछा, गहरी साँस भरी और कम्प्यूटर स्क्रीन पर नज़रें जमाकर आँखों पर चश्मा चढ़ा लिया। अबकी बार उसने जैसे ही की-बोर्ड का पहला बटन दबाया, साहिल उसकी डेस्क के पास आकर खड़ा हो गया।

“ये पिटीशन टाइप कर दो ना सिमी। कुछ देर में इसे फाइल करने कोर्ट जाना है। प्लीज!” साहिल ने एक हैंड-रिटन ड्राफ्ट सिमी की तरफ बढ़ाकर कहा।

सिमी उसे मना नहीं कर पाई और सिर हिला दिया। उसे लगा था कि साहिल उसके चेहरे की उदासी पढ़ लेगा और उसके उदास होने का कारण पूछेगा, मगर साहिल बस इतना कहकर ऑफिस से बाहर निकल गया, “जल्दी कर देना सिमी!”

सिमी एग्रीमेंट छोड़कर साहिल की रिट पिटीशन टाइप करने लगी। पंद्रह मिनट बाद इंटरकॉम फिर बजा। सिमी ने डरते-डरते रिसीवर उठाया।

“हो गया?” श्याम आहूजा ने बस इतना ही पूछा।

“सर वो…” सिमी घबराते हुए अपनी बात कहने को हुई, मगर श्याम आहूजा ने रिसीवर पटक दिया।

कुछ देर बाद श्याम आहूजा सिमी को पूरे ऑफिस के सामने खरी खोटी सुना रहा था। सिमी सिर झुकाये ख़ामोशी से उसकी डांट सुन रही थी। इस तरह पूरे ऑफिस के सामने पहली बार उसे डांट पड़ रही थी। उसकी आँखें आँसुओं से डबडबाने लगी थी। 

“कामचोर भर्ती हो गए हैं ऑफिस में। अब बस सर से शिकायत होगी और तुम अपना बोरिया बिस्तरा समेटकर यहाँ से कूच करोगी। गार्गी…गार्गी!” सिमी को जली कटी सुनाकर आहूजा ने गार्गी को पुकारा।

“सर!” गार्गी दौड़कर आहूजा के पास आई।

“पंद्रह मिनट!” सिमी के डेस्क पर पड़ा कागज़ का पुलिंदा उठाकर गार्गी के हाथ में थमाते हुए आहूजा ने कहा और तेज कदमों से अपने केबिन में चला गया।

उसके जाते ही सारा स्टाफ खुसुर-फुसुर करने लगा। कुछ आकर सिमी को सलाह देने लेगे। गार्गी ने किसी तरह सबको वहाँ से चलता किया और सिमी के कंधे हाथ रख दिया।

“मैं ठीक हूँ गार्गी, तू जा! एग्रीमेंट टाइप कर दे, नहीं तो तुझे भी डांट खानी पड़ेगी।” सिमी ने भरे गले से कहा।

गार्गी अपनी डेस्क पर चली गई और एग्रीमेंट टाइप करने लगी। सिमी भी खुद को संभालकर साहिल की दी हुई रिट पिटीशन टाइप करने लगी। कुछ देर बाद जब साहिल ऑफिस लौटा, तो सीधा सिमी के पास आया।

“सिमी! हो गया।”

सिमी ने सिर हिलाकर पिटीशन का प्रिंट आउट साहिल की तरफ बढ़ा दिया। 

“थैंक्स सिमी!” साहिल ने कहा और अपने केबिन में चला गया। 

सिमी अपने डेस्क से उठकर ऑफिस से बाहर निकल गई। बाहर निकलकर वह लिफ्ट के सामने पहुँची। लिफ्ट उसी फ्लोर पर मौजूद थी। वह लिफ्ट के अंदर गई और टॉप फ्लोर का बटन दबा दिया। लिफ्ट में वो अकेली थी। अकेलेपन का साथ पाकर, उसकी पलकों पर रुके आँसू बहने लगे। वह सिसकने लगी। 

जब लिफ्ट एक फ्लोर ऊपर पहुँची, तो वहाँ लिफ्ट का दरवाजा खुला और गॉगल पहने, ब्लैक कलर के लग्जरी ऑफिस सूट में, एक शख्स अंदर दाखिल हुआ। चेहरा आँसुओं से भीगा होने की वजह से उसके अंदर आते ही सिमी पलटकर खड़ी हो गई। वह पूरी कोशिश कर रही थी, बावजूद इसके अपनी सिसकी संभाल नहीं पा रही थी। उसकी सिसकी सुनकर उस शख्स ने अपना सिर पीछे की तरफ घुमाया और गॉगल ज़रा नीचे गिराकर गहरी भूरी आँखों से एक नज़र सिमी को देखा, फिर कंधे उचकाकर गॉगल आँखों पर चढ़ाकर सामने देखने लगा। सिमी यूं ही सुबकती रही।

लिफ्ट जैसे ही टॉप फ्लोर पर रुकी, सिमी उस शख्स के बगल से निकलकर तेजी से सीढ़ियों की तरफ भागी और सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। छत पर पहुँचकर वह एक कोने में बैठ गई और दोनों हाथों में चेहरा छुपाकर फूट-फूटकर रोने लगी। उस वक़्त उसे किसी बात का होश नहीं था। वह बस जी भरकर रो लेना चाहती थी और दिल का सारा दर्द आँसुओं में बहा देना चाहती थी। रोते हुए उसे इस बात का भी गुमान नहीं था कि कोई उसकी तरफ बढ़ा चला आ रहा है। अचानक एक रुमाल उसके ऊपर गिरा और कानों में एक मर्दानी आवाज़ गूंजी, “रोने से दिल के बोझ के साथ-साथ चेहरे का मेकअप भी उतर जाता है। रोना बंद करो।“

क्रमश:

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Author  – Kripa Dhaani

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कौन आया है सिमी के आंसू पोंछने ? साहिल या कोई और? जानने के लिए पढ़िए Jane tu Jane Na Upanyas का अगला भाग।

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