चैप्टर 2 दीवाने होके हम रोमांटिक सस्पेंस नॉवेल | Chapter 2 Deewane Hoke Hum Romantic Suspense Novel In Hindi Read Online
Chapter 2 Deewane Hoke Hum Romantic Suspense Novel In Hindi
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7 फ़रवरी 2021
अपने बॉयफ्रेंड की शादी न देख सकी दीवानी माशूका, उसी हॉटल की बिल्डिंग से कूदकर दी जान, जहाँ हो रही थी शादी….
शहर के तक़रीबन हर न्यूज़पेपर पर हैडलाइन बनकर चमक रही थी अपनी ज़िन्दगी की चमक खो चुकी एक मासूम लड़की।
घर के लॉन में खड़ी रूपल की मायूस नज़र न्यूज़पेपर की हेडलाइन पर फिसल रही थी। अजीब जज़्बातों की लहर उसे भिगोने लगी थी। तभी अचानक उसका मोबाइल बज उठा। उसने कॉल पिक की, “हलो!”
“रूपल! नींद आई तुझे..” दूसरी तरफ से नेहा की आवाज़ सुनाई पड़ी।
“नहीं!”
“मुझे भी नहीं आई यार! यकीन ही नहीं हो रहा था कि मौसम ने ऐसा कुछ कर लिया है। क्यों कर लिया उसने ऐसा?” नेहा अब तक इस बात पर यकीन नहीं कर पा रही थी।
“शायद प्यार में!” रूपल ने धीरे-से कहा।
“कैसा प्यार यार…कैसा प्यार? जिस प्यार ने तुम्हें छोड़ दिया, उसके लिए कोई दुनिया छोड़ता है भला! क्या ये हिम्मत है?”
“हिम्मत ही तो थी उसमें, जो मुझमें नहीं थी….” रूपल धीरे-से बोली। उसकी आवाज़ में उदासी झलक रही थी।
“पागल क्या सोच रही है तू? हिम्मत दुनिया छोड़कर भाग जाना नहीं, दुनिया में रहकर आगे बढ़ना है। समझी!”
“हम्म!”
“सुन रही है ना तू…?”
“हूं!”
“फिर आज जा रही है ना…?” नेहा ने बात बदलकर पूछा।
“जाना ही पड़ेगा, और कोई चारा भी तो नहीं है।” रूपल की आवाज बुझी-बुझी सी थी।
“गुड! अपना दिल और दिमाग दोनों खोलकर जाना। चल अभी रखती हूँ, कॉलेज के लिए रेडी होना है।” नेहा ने उसे हिदायत देकर कहा, फिर अनमने ढंग से बोली, “मन नहीं है यार जाने का। पता नहीं क्या होगा आज वहाँ। पुलिस आयेगी पक्का। अच्छा…चल बाय! शाम को कॉल करूंगी।”
नेहा जैसे ही कॉल काटने को हुई, रूपल उससे पूछ बैठी, “दीपक का क्या हुआ नेहा?”
नेहा ठिठक गई और बुझी आवाज में बोली, “अब तक पुलिस स्टेशन में ही है। पता नहीं, ऐसी भी क्या पूछताछ चल रही है उससे।”
“उनका रिश्ता तो काफ़ी पहले टूट गया था ना?”
“हम सबको तो यही पता है। असल बात क्या है, ये तो वही लोग जाने। वैसे दीपक बुरा तो कभी लगा नहीं। हम लोग काफ़ी लंबे समय से जानते हैं उसे। है ना!”
“हाँ! पर किसी के अंदर क्या छुपा है, कहा नहीं जा सकता। किसी को हम समझते कुछ हैं, और वो निकलता कुछ है।” रूपल ने कहा।
नेहा रूपल की बात के पीछे छुपी गहराई समझ रही थी। इसलिए बात बदलते हुए बोली, “अभी ये सब बातें भूल जा रूपल। आज तुझे जहाँ जाना है, सिर्फ़ वहाँ के बारे में सोच।”
“मैं न वहाँ के बारे में सोचना चाहती हूँ, न वहाँ जाना चाहती हूँ…”
“मगर तुझे जाना है…और तू जायेगी। समझी! चल अब रखती हूँ। शाम को कॉल करूंगी। बाय!” नेहा ने कॉल काट दी।
कॉल कटने के बाद रूपल ने एक हाथ में मोबाइल और एक हाथ में न्यूपेपर थामे आसमान की ओर चेहरा उठाया। आसमान में काले बादल घुमड़ रहे थे और बस बरसने ही वाले थे। वह कुछ देर तक वहीं खड़ी मौसम के बारे में सोचती रही। उसका चेहरा बार-बार उसकी आँखों के सामने तैर जाता। ज्यादा क़रीबी तो नहीं थी, मगर जान-पहचान तो थी मौसम से। उसे याद कर रूपल के ज़ेहन में एक ही ख़याल आ रहा था – ‘प्यार ऐसा ही होता है। ये दिल ही नहीं तोड़ता, प्यार करने वाले को भी तोड़ देता है और उसके जीने की चाहत को भी।’
वह मौसम के दिल का हाल समझ सकती थी, क्योंकि प्यार उसने भी किया था और प्यार के दूर चले जाने का दर्द अब भी नश्तर बनकर उसके दिल को चुभा करता था। बादल अब बरसने लगे थे। रूपल घर के अंदर दाखिल हुई और अपने कमरे में चली गई।
रूपल के घर से कुछ ही गज की दूरी पर एक आलीशान बिल्डिंग के फ्लैट में नरम बिस्तर पर लेटे तकिये में मुँह घुसाये शख्स का मोबाइल लगातार बज रहा था। उसने हाथ बढ़ाकर साइड टेबल पर रखा मोबाइल उठाया और अपने कान के नज़दीक ले आया।
“कबसे कॉल कर रही हूँ, कॉल क्यों नहीं उठा रहे, कहाँ हो?” दूसरी तरफ से एक लड़की की आवाज आई, जिसमें नाराज़गी घुली हुई साफ़-साफ़ झलक रही थी।
“मुम्हाहा…” जवाब कुछ ऐसा था कि लड़की एक लम्हे के लिए ख़ामोश रह गई, फिर कहने लगी –
“तुम ऐसे ही हो, इसी तरह मेरा गुस्सा उड़ा देते हो। पर आज मैं कुछ नहीं सुनूंगी। बताओ क्यों नहीं उठा रहे थे कॉल?”
लड़की की आवाज थोड़ी नरम पड़ गई थी।
“मुम्हाहा…” वह अब भी आँखें मूंदे तकिये में मुँह घुसाये लेटा था।
लड़की की आवाज़ नरम पड़ने लगी, “देखो, तुम सुबह-सुबह यूं मुझे…”
“शश्श…!”
“पहले नाराज़ करते हो, फिर ख़ामोश…कल शाम से तुम्हें ट्राय कर रही हूँ…पर तुम हो कि कॉल ही नहीं उठाते…क्या दिल भर गया है मुझसे?” लड़की के सवालों की बौछार अब भी जारी थी।
“हूं!”
“क्या…यू….चीट….धोखेबाज…मक्कार… समझ गई तुम्हें और तुम्हारे प्यार को। खेल रहे थे तुम मेरे दिल से?”
जवाब में एक हँसी गूंजी।
“हँस रहे हो…मुझ पर या मेरे इस दिल पर, जो तुम्हारे प्यार में पागल है? लेकिन तुम क्या जानो प्यार…गले में किसी के प्यार की निशानी लटका लेने से प्यार नहीं हो जाता…क्यों लटकाये फिर रहे हो मेरा लॉकेट? निकाल फेंको!”
ये सुनते ही झटके से उस शख्स का हाथ अपने गले पर गया और अगले ही पल उसकी आँख खुल गई।
“मैं करता हूँ तुम्हें कॉल!” गले पर हाथ फिराते हुए उसने कहा।
“देखो तुम…”
“आई लव यू!”
प्यार करने वाला हर शख्स ये तीन शब्द सुनकर पिघल जाता है। वह लड़की भी पिघल गई, “आई लव यू टू!” उसने कहा और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।
वह उठकर बैठ चुका था। उसके माथे पर सलवटें आ चुकी थीं। मोबाइल हाथ में थामे वह ऑनलाइन लोकल न्यूपेपर की ख़बरों को स्क्रॉल करता हुआ सोच रहा था – ‘ मेरी चेन कहाँ गिर गई…कहीं वहाँ तो नहीं…’
सारे न्यूजपेपर में यही ख़बर थी कि मौसम ने खुदकुशी की है।
‘सबको यकीन है कि वो खुदकुशी है…मुझे फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं…लेकिन मेरी चेन और वो लॉकेट…’
उसे याद आया कि सीढ़ियों से उतरकर नीचे आते समय वो किसी लड़की से टकराया था और उसने उसे आवाज भी दी थी, पर वह रुका नहीं था।
‘शायद मेरी चेन उससे टकराते समय गिर गई होगी और उसने वो उठा ली होगी। तभी वो मुझे आवाज़ दे रही थी…पर कौन थी वो? वहाँ से निकल भागने की जल्दबाज़ी में मैंने उसका चेहरा ही नहीं देखा। कहीं वो पुलिस के पास…नहीं नहीं! पार्टी में कई लोग मौजूद थे, मुझ पर शक करने की कोई वजह नहीं बनती। लेकिन फिर भी मुझे चौकन्ना रहना होगा।’
ये सोचकर उसने राहत की सांस ली और फिर से बिस्तर पर लुढ़क गया।
क्रमश:
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किसने मिलने जाना है रूपल को और कहां? कौन आने वाला है उसकी जिंदगी में? पढ़े अगले भाग में। comment द्वारा अपनी राय ज़रुर बतायें। कहानी से जुड़े रहें। थैंक्स!
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