चैप्टर 1 जाने तू जाने ना बिलियनर रोमांस नॉवेल | Chapter 1 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel In Hindi

चैप्टर 1 जाने तू जाने ना बिलियनर रोमांस नॉवेल कृपा धानी का उपन्यास, Chapter 1 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel In Hindi By Kripa Dhaani 

Chapter 1 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel 

Chapter 1 Jane Tu Jane Na Billionaire Romance Novel

“आई लव यू!”

थ्री मैजिकल वर्ड्स शिमला की खूबसूरत वादियों की ऊँची पहाड़ियों से टकराये और गूंज बनकर सिमी के कानों में लौटे। उसका दिल धड़क उठा। कितना प्यारा अहसास था, इन थ्री मैजिकल वर्ड्स में। 

“मैं तुमसे प्यार करती हूँ साहिल और अपने दिल की बात तुमसे कहना चाहती हूँ। पर मुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं। तुम कह दो ना कि तुम्हें मुझसे प्यार है। प्लीज कह दो ना साहिल!” सिमी आँखें बंद किए धीमे-धीमे होंठों ही होंठों में बुदबुदाई। ठीक उसी वक्त किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया। वह झट से पलटी। सामने साहिल खड़ा था। सांवला सलोना, गहरी काली आँखों वाला साहिल, जो उसकी नज़र में दुनिया का सबसे हैंडसम नौजवान था। 

“क्या कह दूं सिमी?” साहिल ने प्यार से पूछा।

‘कहीं साहिल ने उसकी बात सुन तो नहीं ली?’- ये ख़याल उसे डरा गया।

“बोलो सिमी!” साहिल ने उसके गाल पर हाथ रखा और उसकी आँखों में झांककर बोला। उस ठंडी छुअन से सिमी कंपकंपा सी गई। 

“क…क….कुछ नहीं!”

“तुम्हें ठंड लग रही है सिमी। इतनी ठंड में तुम यूं ही बाहर कैसे चली आई?”

“वो मुझे…” सिमी अपनी बात पूरी नहीं कर पाई। साहिल ने खींचकर उसे अपनी बाहों में भरा और अपने लॉन्ग ओवरकोट में छुपा लिया। 

‘कितना सुकून है तुम्हारी बाहों में! जी चाहता है, इन बाहों में सिमटकर पूरी ज़िन्दगी गुज़ार दूं।’ सोचते हुए सिमी ने आँखें बंद कर अपना सिर साहिल के सीने पर टिका दिया।

“क्या सोच रही हो सिमी?”

“वो…” सिमी हड़बड़ा गई, “वो…तुम्हारा दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है साहिल।”

“तुम जो करीब हो मेरे।” साहिल ने सिमी का चेहरा अपने दोनो हाथों से ऊपर उठाकर कहा। एक अजीब अहसास से सिमी का दिल मचलने लगा।

“साहिल…!”

“कुछ मत कहो सिमी…कुछ मत कहो…” साहिल ने कहा और अपने होंठ सिमी के लरज़ते होंठों पर रख दिये। गुलाबी ठंड में दो थरथराते होंठ मिले और उनके सीने में ठंडी पड़ चुकी आग सुलगने लगी। सिमी ने अपने दोनों हाथ साहिल की पीठ पर कस लिये। 

“साहिल…”

“शश्श…कहा ना कुछ मत कहो।” और साहिल ने अपने होंठ सिमी की गर्दन की तरफ बढ़ा दिये। सिमी सकुचाकर पीछे हटी और गिर पड़ी।

“उफ्फ…!” कमर पर हाथ रखे वह उठकर बैठी और अपनी नज़रें चारों तरफ घुमाई। अब न साहिल था और न शिमला की खूबसूरत वादियाँ! वह अपने छोटे से कमरे में नीचे फर्श पर बैठी हुई थी। 

“ये सपना था।” अपने माथे पर हाथ मारकर सिमी बड़बड़ाई और नज़र फिराकर अपने छोटे से बेड को देखा, जिससे वह नीचे गिर पड़ी थी।

“सुबह का सपना सच हो जाता है। काश ये सपना भी सच हो जाये और साहिल मुझे…” ये सोचकर सिमी के होंठ मुस्कुरा उठे।

“ख़्वाब में ही सही…कितना खूबसूरत अहसास था फर्स्ट किस का! मैं चाहती हूँ कि मेरा फर्स्ट किस बिल्कुल ऐसा हो। पर साहिल तुमने आई लव यू तो कहा ही नहीं। देखो! ख़्वाब में जो किया, सो किया, पर रियल लाइफ में पहले आई लव यू, फिर फर्स्ट किस!” 

सिमी उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़ी हो गई।

“कब पूरा होगा मेरा ख़्वाब? कब मुझे आई लव यू कहोगे साहिल और कब होगा हमारा फर्स्ट किस?” सोचते हुए सिमी ने ड्रेसिंग टेबल पर पड़ा चश्मा उठाकर आँखों पर चढ़ा लिया और वो ख़्वाबों के ऊँचे आसमान से सीधे हक़ीकत की जमीन पर आ गिरी। हकीकत आईना दिखाते उसके सामने थी। 

आइने में एक बिखरे उलझे बालों वाली लड़की नज़र आ रही थी। सिमी ने फ़ौरन दोनों हाथों से अपने बालों को समेटा और उसे पोनीटेल में बांध लिया। फिर से उसकी नज़र आइने में दिख रहे अपने अक्स पर फिसलने लगी। गोरा रंग, पर नैन नक्श एकदम साधारण; मध्यम कद की दुबली पतली लड़की; उस पर आँखों पर चढ़ा चश्मा, जिसके पार झांककर कभी किसी लड़के ने उसके दिल की गहराइयों में छुपे एहसासों को नहीं देखा। हर लड़की की तरह वो भी चाहती थी कि कोई उसे प्यार करे, दिल से प्यार करे, सच्चा वाला प्यार करे और हमेशा प्यार करे। मगर आज तक कभी किसी लड़के ने उसे पलटकर नहीं देखा था। 

“तुम मुझे क्यों आई लव यू कहोगे साहिल? मुझमें ऐसा भी क्या है?” ये सोचकर सिमी का मुँह लटक गया।

तभी उसे माँ की बात याद आई – “देख सिमी, उम्मीद पर दुनिया क़ायम है, उम्मीद का दामन कभी मत छोड़ना।”

माँ की बात याद कर सिमी के बुझते हुए मन में उम्मीद की चिंगारी जल उठी।

“साहिल दूसरों जैसा नहीं है। उसे मेरी सादगी पसंद आयेगी और एक दिन वो मुझे ज़रूर आई लव यू कहेगा। कहीं आज ही तो वो दिन नहीं। अरे ऐसा है, तो मुझे जल्दी ऑफिस पहुँचना चाहिए।”

ये ख़याल आते ही सिमी की नज़र दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ घूमी और वह चीख पड़ी, “हे भगवान! नौ बज गये। दस बजे तक ऑफिस पहुँचना है। लेट हो गई, तो साहिल की आई लव यू नहीं, बल्कि आहूजा की खरी खोटी सुननी पड़ेगी।”

सिमी ने चश्मा उतारकर ड्रेसिंग टेबल पर रखा और कुर्सी पर झूलता टॉवेल लेकर बाथरूम की तरफ भागी। 

कुछ देर बाद वह ऑफिस जाने के लिए तैयार थी और आइने में खुद को निहारते हुए सोच रही थी – ‘साहिल आज मैंने तुम्हारी फेवरेट ड्रेस पहनी है। तुम्हें अच्छी लगूंगी ना मैं!’ 

वह अपना बैग उठाकर बस पकड़ने के लिए घर से निकल गई और ठीक दस बजे अपने ऑफिस ‘जे. एंड जे. लॉ फर्म’ की बिल्डिंग में दाखिल हुई। ‘जे. एंड जे. लॉ फर्म’ मुंबई के नामचीन एडवोकेट जगन जलानी की लॉ फर्म थी, जहाँ सिमी कम्प्यूटर ऑपरेटर की जॉब किया करती थी। साहिल वहाँ इंटर्न था।

“थैंक गॉड! टाइम पर पहुँच गई।” अपनी डेस्क पर पहुँचकर सिमी मन ही मन बोली और डेस्क पर रखा कम्प्यूटर ऑन कर लिया। बैग कुर्सी के हत्थे पर लटकाकर वह जैसे ही बैठने को हुई, डेस्क पर रखा इंटरकॉम बज उठा। उसने रिसीवर उठाया, तो एक कड़क आवाज उसके कानों में पड़ी, “ड्राफ्ट टाइप हो गया?” ये एडवोकेट जगन जलानी का असिस्टेंट श्याम आहूजा था।

“सर! आधे घंटे में हो जायेगा।” सिमी ने घबराकर धीरे-से कहा।

“आधा घंटा मतलब आधा घंटा। आधे घंटे में प्रिंट आउट मेरी टेबल पर होना चाहिए।”

“जी सर!”

कॉल कट हुई और सिमी गहरी साँस भरकर कुर्सी पर बैठ गई। उसकी नज़र सामने वाले केबिन के ग्लास डोर से होती हुई अंदर बैठे साहिल पर पड़ी और वह खुद से बोली, “तुम्हें देख लिया साहिल, अब सारा काम फटाफट हो जायेगा।” और वह ड्राफ्ट उठाकर टाइप करने लगी।

केबिन में बैठा साहिल एक केस फाइल पलट रहा था। उसके साथ ही वहाँ तीन और इंटर्न मौजूद थे – राजन, मनीष और पंकज। राजन कम्प्यूटर पर बैठा रिट पिटीशन टाइप कर रहा था। वहीं मनीष और पंकज लॉ बुक में कोई जजमेंट ढूंढ रहे थे। इन कामों के साथ-साथ वे दो काम और कर रहे थे। अपने केबिन के ठीक सामने ऑफिस हॉल में बैठी सिमी को चुपके-चुपके देखना और साहिल को छेड़ना।

“देख देख…तुझे ही देख रही है।” मनीष ने साहिल को छेड़ते हुए कहा। 

साहिल ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और केस फाइल पलटता रहा। मगर बाकी सबकी नज़र सिमी की तरफ घूम गई, जो अपना चश्मा संभालते हुए कम्प्यूटर के सामने बैठी की-बोर्ड पर धड़ाधड़ उंगलियाँ चला रही थी और बीच-बीच में सबकी नज़र बचाकर चुपके से साहिल को निहार लेती थी। बेचारी इस बात से अनजान थी कि उसकी ये चोरी पकड़ी जा चुकी है।

“साहिल! पक्का उसका क्रश है तुझ पर।” मनीष ने साहिल के बाल सहलाते हुए कहा।

केस फाइल पर नज़र गड़ाये बैठे साहिल ने मनीष पर हल्के से कोहनी का वार किया और अपने बाल सहेजकर मुस्कुरा दिया।

“मुस्कान तो देखो बंदे की…हाय इस मुस्कान पर कौन न मर जाये।” इस बार कम्प्यूटर पर बैठे रिट पिटीशन टाइप कर रहे राजन ने साहिल को चिढ़ाया और सब हँस पड़े।

साहिल ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया, मगर नज़र उठाकर ग्लास डोर के पार ज़रूर देख लिया। चोरी से उसे देख रही सिमी से उसकी नज़र टकरा गई और सिमी ने शरमाकर पलकें झुका ली। उसके होंठों पर एक शर्मीली-सी मुस्कान तैर गई। साहिल भी होंठ काटकर मुस्कुरा दिया।

“लगता है आग दोनों ओर बराबर लगी है।” अबकी बार पंकज ने दोस्त का धर्म निभाते हुए उसे छेड़ा। एक बार फिर केबिन में ठहाके गूंज उठे।

“क्या यार तुम लोग भी ना!” साहिल ने केस फाइल तेज आवाज के साथ बंद की और तीनों को घूरकर बोला, “क्या समझ रखा है मुझे? मुझे देखकर तुम लोगों को लगता है कि मेरा सिमी जैसी लड़की में कोई इंटरेस्ट होगा। गौर से देखो उसे! लुक – जीरो, स्टाइल – जीरो, सेल्फ कॉन्फिडेंस – जीरो, सेल्फ एस्टीम – जीरो। वैसी लड़की साहिल के लिए…ना ना!”

“उसके सामने तो बड़ा मुस्कुरा-मुस्कुरा कर बात करता है और अब…!” मनीष ने भौंहें उचकाकर कहा।

“वो इसलिए कि मुस्कुराकर थोड़ा काम निकल जाता है मेरा। अब इस लॉ फर्म में हम इंटर्न्स की हालत क्या है, तीन महीने से देख ही रहे हो। यहाँ का चपरासी तक हमें भाव नहीं देता। टाइपिस्ट, कम्प्यूटर ऑपरेटर और दूसरे स्टाफ की बात तो छोड़ ही दो। सिमी से प्यार के दो बोल बोल दो, बेचारी सब काम कर देती है। बस इसलिए उससे मुस्कुराकर और प्यार से बात कर लेता हूँ। अब इसका वो कोई और मतलब निकाल ले, तो ये उसकी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं।” साहिल फिर से केस फाइल पलटने लगा। 

बात सही कही थी उसने। एडवोकेट जगन जलानी के अंडर ‘जे. एंड जे. लॉ फर्म’ में इंटर्नशिप करना हर लॉ ग्रेजुएट्स का सपना हुआ करता था। मगर जो पापड़ यहाँ बेलने पड़ते थे, वो अच्छे अच्छों का तेल निकाल देते थे। साहिल और बाकी सब थे तो फ्यूचर लॉयर्स, पर फिलहाल वे इंटर्न थे और उनके सामने चपरासी तक तना हुआ रहता था। उन्हें एक केबिन मिल गया था, जहाँ एक टेबल थी और चार कुर्सियाँ, दो कम्प्यूटर्स लगे थे और एक बड़ा सा शेल्फ था, जिसमें लॉ बुक्स और केस फाइल पड़ी हुई थी। फर्म के एडवोकेट्स उन पर अपना काम फेंकते रहते थे और बेचारे कलम घिसने के साथ-साथ कम्प्यूटर के सामने की-बोर्ड पर भी उंगलियाँ फोड़ते थे, क्योंकि वहाँ के कम्प्यूटर ऑपरेटर उन्हें अपने आसपास भी फटकने नहीं देते थे। सिमी वहाँ कम्प्यूटर ऑपरेटर थी और उससे साहिल को काफ़ी मदद मिल जाया करती थी। बस इसलिए उसने उसे अपनी मीठी-मीठी बातों में उलझाकर रखा हुआ था।

“यार चाय की तलब हो रही है।” राजन ने उंगलियाँ तोड़ते हुए कम्प्यूटर स्क्रीन से नज़र हटाकर कहा।

सब साहिल का मुँह ताकने लगे। साहिल ने फिर से ग्लास डोर के पार देखा और उसे निहारती सिमी हड़बड़ा सी गई। उसने नज़रें नीची की, तो उसे मोबाइल पर एक मैसेज चमकता दिखाई पड़ा। सिमी ने मैसेज पढ़ा। मैसेज साहिल की तरफ से था, जिसमें लिखा था – “सिमी! ज़रा केबिन में आना।”

मैसेज पढ़कर सिमी का दिल खुशी से झूम उठा। आज सुबह से उसे साहिल से बात करने का मौका नहीं मिला था और वो उससे बात करने को तड़प रही थी। किसी को देखने, किसी से मिलने, किसी से बात करने की तड़प क्या होती है, इन दिनों वो समझने लगी थी। तीन महीने पहले वो इस तड़प से अनजान थी। तब इस लॉ फर्म के ब्लैक एंड व्हाइट मूवी सरीखे माहौल में एक ही तड़प हुआ करती थी, काम निपटाकर जल्दी घर जाने की। सब कुछ फीका फीका सा लगता था उस वक्त। मगर जबसे साहिल आया था, यहां की फिजा में एक अलग ही रंग भर गया था। पहली ही मुलाक़ात में वो साहिल पर फिदा हो गई थी। सांवला सलोना लड़का और उसकी मीठी मीठी बातें! बस सिमी का दिल उसमें खो सा गया था। आखिर उसकी जिंदगी का वो पहला लड़का था, जो उससे इतने प्यार से बात किया करता था। 

वह कुर्सी से उठी, नाक पर फिसलता चश्मा ऊपर चढ़ाया, हाथों से थपकाकर बाल संवारे, ड्रेस खींचकर ठीक की और धड़कते दिल से आगे बढ़ गई। साहिल के केबिन के सामने पहुँचकर उसने दरवाजा हल्का-सा खोला और अंदर झांकते हुए धीरे-से नॉक किया।

केस फाइल पढ़ने का बहाना कर रहे साहिल ने सिर उठाकर सिमी को देखा और मुस्कुराकर कहा, “आओ सिमी, अंदर आ जाओ। तुम्हें डोर नॉक करने की ज़रूरत नहीं।”

सिमी धीमे कदमों से चलते हुए अंदर आई और अपनी बढ़ी हुई धड़कनों को संभालकर उसके सामने खड़ी हो गई। साहिल के सामने अक्सर उसकी धड़कनें बढ़ जाया करती थी और वो ये सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि ऐसा क्यों होता है? क्या इसलिए कि उसे साहिल से प्यार होने लगा है या इसलिए कि उसके सामने वो अपना कॉन्फिडेंस खो देती है – वो कॉन्फिडेंस, जो उसमें है ही नहीं। 

सिमी अपने दोनों हाथों की उंगलियाँ आपस में फंसाये खड़ी थी और मनीष, राजन और पंकज की नज़र कभी उस पर तो कभी साहिल पर टहल रही थी। घुटनों के नीचे तक लहराती ब्लैक स्कर्ट, व्हाइट कलर का फुल स्लीव का कॉलर वाला टॉप और फ्लैट सैंडल में सिंपल सी सिमी और ज्यादा सिंपल लग रही थी। 

“आपने मुझे बुलाया!” सिमी ने शालीनता से पूछा।

“कितनी बार कहा है सिमी कि आप नहीं तुम पुकारा करो।” साहिल ने प्यार से कहा।

“वो…मैं…मुझसे नहीं हो पायेगा।” सिमी ने सकुचाते हुए धीरे-से कहा।

“चलो कोई बात नहीं! तुम कहने की प्रैक्टिस बाद में। फिलहाल तो तुम्हारे साथ एक गर्मागर्म चाय…।”

“जी! मैं ले आती हूँ।” सिमी ने कहा और मुड़ने लगी।

“पाँच कप! हम भी हैं।” पीछे से मनीष चिल्लाया।

“हम्म्म!” सिमी पलटकर बोली और फिर मुड़कर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी।

“सिमी सुनो!” अबकी बार साहिल ने उसे पुकारा।

सिमी पलटी, तो साहिल ने कहा, “मेरा खाता चलता है कैफेटेरिया में, चाय के पैसे वहीं लिखवा देना।”

“मुझे पता है।” सिमी ने सिर हिलाकर कहा और पलट गई। कैसे पता नहीं होता उसे? वह पहले भी कितनी बार साहिल और उसके दोस्तों के लिए चाय ला चुकी थी।

“सिमी सुनो!” साहिल ने दोबारा उसे पुकारा।

इस बार सिमी पलटी, तो साहिल ने मुस्कुराकर कहा, “नाइस ड्रेस!”

“थैंक्स!” सिमी मुस्कुराई और केबिन से बाहर निकल गई।

उसके जाते ही राजन ने हैरान होकर कहा, “नाइस ड्रेस! ये ड्रेस वो हफ्ते में तीन बार रिपीट करती है। कभी-कभी मन करता है कि बेचारी को कुछ अच्छी ड्रेसेस गिफ्ट कर दूं।”

साहिल हँसकर बोला, “मेरे छोटे से कॉम्प्लीमेंट से वो खुश हो जाती है, तो खुश हो जाने दो।”

“कुछ तो ख़ुराफ़ात चल रही है तेरे दिमाग में। यार, बेचारी सीधी-सादी काफ़ी हंबल बैकग्राउंड की लड़की है।”

“ऐसा वैसा इरादा नहीं है मेरा। बताया ना मैंने कि वो मेरे टाइप की नहीं है।” साहिल ने सख्ती से कहा और बातचीत का सिलसिला वहीं खत्म कर दिया।

साहिल जो अपने साथियों को जता रहा है, उसमें आधा सच था आधा झूठ। बेशक उसे सिमी जैसी एवरेज लड़की के साथ रिश्ता जोड़ने में कोई इंटरेस्ट नहीं था। पर जब ज़िन्दगी में सूखा पड़ा हो, तब वक्त गुज़ारने के लिए सिमी उतनी बुरी भी नहीं थी। बेचारी किसी चीज के लिए मना भी तो नहीं करती थी, ख़ासकर उसे। इसलिए तो पिछली शाम साहिल ने उससे थोड़ी गुस्ताखी करने की कोशिश कर ली थी, बस उसे भांपने के लिये।

पिछली शाम सिमी घर जाने की तैयारी में थी, तब साहिल ने एक ड्राफ्ट लाकर उसकी डेस्क पर रख दिया। सिमी ने बेचारगी से उसे देखा, तो वह बोल पड़ा, “अर्जेंट हैं सिमी, प्लीज!”

सिमी थोड़ा हिचकिचाई, तो उसने कहा, “मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा सिमी! प्लीज हेल्प मी!”

सिमी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया और ड्राफ्ट टाइप करने बैठ गई। धीरे-धीरे पूरा ऑफिस खाली हो गया। रह गए साहिल और सिमी। 

साहिल सिमी के बगल में कुर्सी पर बैठा ड्राफ्ट डिक्टेट कर रहा था और सिमी कम्प्यूटर स्क्रीन पर नज़रें जमाये उंगलियाँ चला रही थी। सिमी ने उस दिन वन पीस नी-लेंथ फ्लोरल ड्रेस पहनी थी, जिसकी फुल स्लीव आस्तीन में शोल्डर से लेकर कलाई तक लॉन्ग कट लगा हुआ था। ड्राफ्ट डिक्टेट करते-करते बगल में बैठे साहिल का घुटना सिमी के घुटने को छू गया। सिमी एक पल को तो अचकचाई, मगर अगले ही पल उसने खुद को समेटा और क्रॉस लेग बैठ गई। हालांकि, ये छुअन उसे बुरी नहीं लगी थी और वो जानती थी कि ये बस हो गया था, बिना किसी इंटेंशन के।

सिमी का सिमटना देखकर साहिल के होंठों पर मुस्कान खेल गई और जब उसकी नज़र डेस्क के नीचे फिसली, तो क्रॉस लेग बैठी सिमी की हल्की-सी ऊपर चढ़ी स्कर्ट से झांकती गोरी टांगों पर चिपक गई। ऑफिस वीरान था और वे जिस तरफ बैठे थे, वो जगह सीसी टीवी कैमरे की नज़र से बची हुई थी। साहिल खुद को रोक नहीं पाया और उसकी उंगलियाँ सिमी की चिकनी टांगों पर फिसलने के लिए बढ़ गई। घुटनों से ऊपर हल्की-सी उठी सिमी की स्कर्ट के किनारों को छूकर जब साहिल की उंगलियाँ उसकी टांगों को छूने की आस में मचली, सिमी अपनी पोजीशन बदलकर उसकी तरफ मुड़ गई, “टाइप हो गया सर, मैं प्रिंट दे दूं।“

“हूं!” साहिल ने हड़बड़ाकर अपना हाथ खींच लिया, “बड़ी जल्दी टाइप कर लिया तुमने।“ कहते हुए उसकी नज़र सिमी के गोरे गालों पर थी।

सिमी ने प्रिंट कमांड दिया और प्रिंटर से निकले प्रिंट को उठाने के लिए हाथ बढ़ाया, तो स्लीव के कट से झांकते उसके गोरे नाज़ुक हाथों पर साहिल की नज़र फिसलने लगी। ऑफिस में पसरा सन्नाटा और सिमी की क़रीबी उसे गुस्ताखियाँ करने पर उकसा रही थी।

सिमी ने प्रिंट आउट उसकी तरफ बढ़ाकर कहा, “सर अब चलती हूँ। काफ़ी देर हो गई है।“

साहिल ने प्रिंट आउट लेकर एक तरफ रखा और हौले से मुस्कुराकर कहा, “रुको ना सिमी!“

साहिल की बात सुनकर सिमी का दिल धड़क सा गया। ‘कहीं सुबह का सपना सच तो नहीं होने वाला?’ ये ख़याल उसके ज़ेहन में कुलबुलाने लगा। मगर उसे समझ नहीं आया कि कहे क्या? मुस्कुराकर उसने साहिल को देखा और अपना हाथ बैग उठाने के लिए बढ़ा दिया। मगर उसका हाथ बैग तक पहुँच नहीं पाया। साहिल ने उसका हाथ पकड़ लिया। 

“इतनी जल्दी क्या है जाने की?”

“देर हो रही है।”

“मैं तुम्हारे साथ कुछ वक्त गुजारना चाहूं, तब भी तुम्हें देर होगी।” साहिल ने कहा और अपनी उंगलियों से उसकी उंगलियों को हौले-हौले मसलने लगा। सिमी के गाल लाल होने लगे।

साहिल ने हाथ बढ़ाकर सिमी के गालों को छू लिया, “सिमी कई बार मैं तुमसे अकेले में बातें करने का मौका ढूंढता हूँ, पर किस्मत साथ ही नहीं देती।”

सिमी का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। 

“पूछोगी नहीं, मैं तुमसे क्या बातें करना चाहता हूँ।” अपना अंगूठा सिमी के गालों पर हल्के से रगड़ते हुए साहिल ने कहा।

“क्या?”

“एक बात हो तो बताऊं।” साहिल ने उसके दोनों गालों को अपने हाथों में थाम लिया। वह उसके इतने क़रीब था कि सिमी उसकी साँसों की गर्माहट अपने गालों पर महसूस कर रही थी। 

“सिमी क्या मैं तुम्हें…” कहते हुए साहिल ने उसके गुलाबी होंठों को देखा, जो कंपकपाने लगे थे। साहिल उसके होंठों की तरफ झुका और…..

क्रमश:

क्या सिमी का सुबह का सपना पूरा होने वाला है? जानने के लिए पढ़िए Jane tu Jane Na Upanyas का अगला भाग।

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Author  – Kripa Dhaani

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