चैप्टर 2 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल कृपा धानी | Chapter 2 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi By Kripa Dhaani

चैप्टर 2 प्यार का पागलपन रोमांटिक नॉवेल कृपा धानी | Chapter 2 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel In Hindi By Kripa Dhaani

Chapter 2 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel In Hindi 

Chapter 2 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel

बॉक्स देखकर नैना हैरान थी। उस पर न भेजने वाले का नाम था, न ही पता। वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसके किस आशिक़ ने ये भेजा है। वैसे किसी आशिक़ में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी, मगर उसके गिफ्ट्स में ज़रूर थी। उसने बेसब्री दिखाते हुए दरवाजे पर खड़े-खड़े ही बॉक्स खोल लिया। जितनी तेजी से उसने बॉक्स खोला, बॉक्स खुलने पर उतनी ही तेजी से एक पंच उसके नाक पर आकर पड़ा और एक खिलखिलाहट उसके कानों में गूंज गई। नैना समझ गई कि उसके साथ प्रैंक हुआ है और ये भी कि ये किसने किया है। वह ज़ोर से चीखी, “डिम्पी!!!”

सीढ़ियों के पास छुपी डिम्पी ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए उसके क़रीब आने लगी। 

“आज तुझे छोडूंगी नहीं डिम्पी!” नैना उसकी तरफ दौड़ पड़ी और डिम्पी उल्टे पाँव भागी। मगर नैना ने उसे पकड़ ही लिया और उसका कान मरोड़कर खींचते हुए उसे अपने घर ले आई। 

“सॉरी दी!” डिम्पी ने अपने कान छुड़ाकर कहा।

“पचास उठक-बैठक!” नैना ने ऑर्डर दिया।

नैना का ऑर्डर पत्थर की लकीर! डिम्पी फ़ौरन उठक-बैठक लगाने लगी और उसे देखकर नैना मुस्कुराने लगी।

डिम्पी नैना की पड़ोसन थी – मैगी जैसे बालों वालो, दूधिया गालों वाली, बादामी आँखों वाली चौदह बरस की ख़ूबसूरत और प्यारी सी लड़की। स्वभाव से चुलबुली, बातूनी और ख़ुशगवार, जो जहाँ जाती, अपने ख़ुशियों के पिटारे में से कुछ ख़ुशियाँ बांट आती। हाँ! शैतानियों में भी कम नहीं थी और नैना अक्सर उसकी शैतानियों से दो-चार होती रहती थी।

डिम्पी को नैना के घर आने के लिए किसी बहाने की ज़रूरत नहीं थी। उसके घर को वह अपना ही घर समझती थी। जब मन किया, उछलती-कूदती उसके घर। नैना को भी उसका आना अच्छा लगता था। घर से दूर अनजान शहर में नौकरी करने वाले शख्स को यूं तो खाली घर की आदत हो जाती है। मगर जब अपनापन सहेजे कोई हाल-चाल पूछने रोज़ चला आये, तो घर के साथ दिल भी गुलज़ार हो उठता है। नैना को एक तरह से डिम्पी की आदत हो गई थी। उनके दरमियान उम्र का फ़ासला ज़रूर था, मगर जहाँ दिल जुड़ जाये, वहाँ हर फ़ासला बेमानी है।          

शाम को दोस्तों के साथ बैडमिंटन खेलने के बाद डिम्पी का नैना के घर एक चक्कर ज़रूर लगता था। ऑफिस से लौटी नैना के लिए वो टाइम रिफ़्रेशमेंट की तरह होता था। उसके साथ कुछ देर गपशप कर वह तरोताज़ा हो जाया करती थी, पर आज तो डिम्पी ने उसे कुछ ज्यादा ही तरोताजा कर दिया था और इसलिए इसकी सजा भी भुगत रही थी…उठक-बैठक करके।

“अड़तालीस… उनचास…पचास!”

डिम्पी ने उठक-बैठक पूरी की, तो नैना उसके गाल खींचकर बोली, “दिन पर दिन शैतान होती जा रही है।“ और बेडरूम में जाकर फिर से पैकिंग में जुट गई। उसके पीछे-पीछे डिम्पी भी बेडरूम में चली आई। उसे पैकिंग में बिज़ी देखकर वह पूछ बैठी –             

“दी कहाँ चल दीं?”  

“कल घर जाना है डिम्पी! घर से बुलावा आया है।” नैना ने पैकिंग करते-करते ही डॉली के सवाल का जवाब दिया।

“क्यों दी? किसी को चाय पे बुलाया है क्या?” खिलखिलाते हुये डिम्पी ने पूछा। 

उसकी बात सुनकर नैना हँस पड़ी। तब तक उसकी पैकिंग भी पूरी हो चुकी थी। वह डिम्पी को घूरते हुए बोली, “शैतान की नानी। बहुत ज़ुबान चलती है तेरी।”

“बताओ न दी, क्या बात है? क्या सच में किसी को चाय पे बुलाया है।” डिम्पी ने ज़िद की।

“हाँ बुलाया है….” नैना गहरी साँस भरकर बोली।

“हुर्रे!” डिम्पी उछल पड़ी।

“अरे पगली! पहले पूरी बात सुन तो ले, पहले ही नाचने-कूदने लगी है….”

“अच्छा बोलो।” 

“…..पिया को देखने लड़के वाले आ रहे हैं।” नैना ने बात पूरी की।

“ओह!” डिम्पी कुछ सोचते हुए बोली, “पर पिया दी तो आपसे छोटी हैं ना?”

“हाँ छोटी है, पर शादी लायक हो गई है।” नैना ने बेफ़िक्री से जवाब दिया। वह उसके सवाल का मतलब समझ रही थी। उस सवाल का मतलब ये जानना कतई नहीं था कि पिया वाकई में उससे छोटी है या नहीं, बल्कि ये जानना था कि नैना से पहले उसकी शादी की बात क्यों चल रही है? 

सवाल जायज़ था और नैना को भविष्य में भी कई मर्तबा इस सवाल का सामना करना था। इसलिए धीरे-धीरे वह इस सवाल का जवाब देने की आदत डाल रही थी। 

“मैं अच्छी तरह समझ रही हूँ तेरे कहने का मतलब डिम्पी। पर बात बस इतनी सी है कि मुझे शादी नहीं करनी और अपने लिए मैं अपनी छोटी बहन को तो रोककर नहीं रख सकती ना! सो कह दिया घर में, उसके लिए लड़का देखने। आजकल सब चलता है यार!” नैना ने बड़ी ही शांति से जवाब दिया। 

नैना का जवाब सुनकर डिम्पी कुछ देर तक उसे देखती रही। नैना हर लिहाज़ से इतनी ख़ूबसूरत थी कि शादी के लिए लड़कों की कमी उसे कभी न रहे। ऐसी लड़की का शादी से इंकार!! बात डिम्पी के गले नहीं उतरी। उसने भौहें उचकाते हुए पूछ ही लिया, “दी ये तो बताओ कि आप शादी क्यों नहीं करना चाहती? क्या कोई प्रिंस चार्मिंग है, जिसका आपको इंतज़ार है?”  

नैना हँस पड़ी, “अरे नहीं रे! बस नहीं करनी और अभी तो बिल्कुल भी नहीं करनी। कुछ प्लान है करियर को लेकर, अभी उस पर फोकस करना है। इसलिए शादी-वादी की झंझट में नहीं पड़ना। बोले तो…मेरा मूड नहीं है।” 

“मूड नहीं है या दिल में कोई है, जो रोक रहा है….हुम्म्मम्म…बोलो बोलो….” डिम्पी ने अपनी गुगली फेंकी।

“पागल ऐसा कुछ नहीं है।” नैना ने तकिया उठाकर डिम्पी की ओर फेंक दिया और कहने लगी, “तेरी उम्र के लोगों को ना बस यही सब सूझता है। सब फ़िल्मों का असर है। फ़िल्में देखना बंद कर…जो फ़िल्मों में होता है ना, वो रियल लाइफ में नहीं होता…इसलिए दिल-विल, प्यार-व्यार की बातें छोड़ और पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दे।”

मगर डिम्पी अब रुकने वाली नहीं थी। उसके सवाल जारी थे, “दी आपका कहीं अफ़ेयर तो नहीं रहा, आई मीन इश्क़-विश्क़ प्यार-व्यार और आपने….”

“…..उसकी याद में पूरी ज़िन्दगी कुंवारी बैठने का इरादा कर लिया।” डिम्पी की बात नैना ने पूरी की, फिर हँसते हुए बोली, “पागल है रे तू, पूरी पागल! ऐसा कुछ नहीं है। इश्क-विश्क़ प्यार-व्यार से दूर रहना ही भला…बस अभी शादी करने का मन नहीं है।”

“पता है दी, इंसान की जो सोच बन जाती है ना, उसके पीछे लाइफ का कोई न कोई इन्सिडेन्स या एक्सपीरियंस होता है। हो सकता है कि आपके सब-कॉन्सस माइंड में कोई बात बैठी हो, जो आपको शादी करने से रोक रही हो।” डिम्पी ने ज्ञान का ऐसा बाण छोड़ा था, जिसकी उम्मीद उससे कतई नहीं की जा सकती थी।

“आज तो बड़े ज्ञान की बातें कर रही है डिम्पी बाबा। मूवी चैनल छोड़कर आजकल कौन सा चैनल देख रही है?” नैना ने डिम्पी के ज्ञान-बाण के जवाब में अपना व्यंग्य-बाण छोड़ा।

“अरे दी, ऐसा होता है। मानो मेरी बात।” 

“पर मुझे ऐसा कोई याद नहीं आ रहा, जो मेरे सब-कॉन्सस माइंड में छुपा बैठा हो।”

“अरे दी मैं हूँ ना याद दिलाने के लिए….” डिम्पी नैना के करीब आ गई और उसके गले में हाथ डालकर बोली।

“अच्छा तुझे बड़ा पता मेरे बारे में।” नैना ने प्यार से उसके सिर से अपना सिर टकराया और किचन की ओर चली गई।

“नहीं भी पता, तो पता करना आता है…वो भी चुटकियों में।” डिम्पी चुटकी बजाकर उसके पीछे भागी।

“वो कैसे?” 

“कुछ कुछ होता है देखी है आपने?”

“हाँ!”

“उसका नीलम शो याद है आपको…..उसका रैपिड फायर क्वेश्चन गेम।”

“हाँ, पर उसका इन सबसे क्या लेना-देना?”

“लेना देना है ना दी। दिल की दबी-छुपी बात को ज़ुबान पर लाने का रास्ता है ये।”

“हट बकवास है ये सब।”

“नहीं है….चलो ना ट्राय करके देखते हैं। अब मैं आपसे जो भी सवाल पूंछूगी, आपको उसका तुरंत जवाब देना होगा। ज्यादा सोचना नहीं है। जो पहली बात माइंड में आये, वो बोल देना है। देखना कैसे दिल के राज़ बाहर निकलते हैं।”

“चुप पागल, मैं नहीं खेल रही…..”

“प्लीज दी प्लीज ना…..”

डिम्पी की ज़िद के आगे आखिर नैना ने अपने हाथ डाल ही दिये, “अच्छा ठीक है…शुरू कर।” 

“ओके!” 

डिम्पी ने किचन प्लेटफॉर्म पर पड़ा लाइटर उठा लिया और उसे माइक बनाकर सवाल पर सवाल दागने लगी। नैना भी फटाफट जवाब देने लगी। 

“फ़ेवरेट कलर”

“ग्रीन”

“फ़ेवरेट मूवी”

“थ्री इडियट्स”

“बारिश या ठण्ड”

“बारिश”

“चाय या कॉफ़ी”

“कॉफ़ी”

“आइस-क्रीम या गोल-गप्पे”

“गोल-गप्पे”

“मेरा नाम…..”

“जोकर”

“अमर अकबर….”

“एन्थोनी”

“आई लव ……”

“माँ, पापा, पिया”

“आई हेट….”

“साजन मेहता”

“आई हेट साजन मेहता…” डिम्पी बुदबुदाई और अपनी नज़रें नैना पर टिका दीं।

“आई हेट साजन मेहता…” नैना भी बुदबुदाई और जाने कैसे अपने-आप ही उसका दांया हाथ दायें गाल पर सरक आया। 

क्रमश: 

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Author  – Kripa Dhaani

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कौन है ये साजन मेहता? नैना से इसका क्या रिश्ता है? जानने के लिए पढ़े कहानी का अगला भाग। उम्मीद है, आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही Hindi Novels, Hindi Short Stories पढ़ने के लिए हमें subscribe करना ना भूलें। धन्यवाद!

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