तेंदुए के शरीर पर निशान रुडयार्ड किपलिंग की कहानी | Tendue Ke Sharir Par Nishan Rudyard Kipling Ki Kahani 

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Tendue Ke Sharir Par Nishan Rudyard Kipling Ki Kahani 

उन दिनों की बात है, जब शुरुआत में सब जानवर एक ही रंग के थे। तब तेंदुआ एक ऐसी जगह रहता था, जिसे हाईवेल्डट् कहते हैं। यह लो वेल्डट या बुश वेल्डट् या सॉर वेल्ड्ट नहीं थी, बल्कि बिल्कुल अलग तरह की गर्म, सूखी और चमकीली हाई वेल्ड्ट थी, जहां रेत, रेत के रंग के पत्थर तथा सिर्फ रेतीली पीली-सी घास के जंगल थे।

जिराफ, जेबरा, इलैंड, कूडू और हार्ट – बीस्ट वहां रहते थे। उनका सारा शरीर सिर्फ रेतीला भूरा – सा पीला था। तेंदुआ इन सबसे ज्यादा रेतीला भूरा – सा पीला, बिल्ली की तरह का जंगली जानवर था। उसका बाल-बाल हाई-वेल्ड्ट से मिलता-जुलता था। यह बात बाकी सब जंगली जानवरों के लिए दिक्कत की थी, क्योंकि वह सलेटी-से भूरे-पीले पत्थर और घास के खंड की बगल में लेट जाता था और जब जिराफ, जेबरा, कूडू, बुश – बकाया बांटे -बक पास से गुजरते थे तो वह उछलकर उनको चकित कर देता था। वास्तव में वह ऐसा ही करता था!

वहां एक इथोपियन तीर-कमान वाला भी था। उन दिनों वह भी सलेटी भूरा-पीला-सा एक आदमी था, जो ऊंची घाटी में तेंदुए के साथ रहता था। दोनों एक साथ शिकार करते थे – तेंदुआ अपने दांतों और पंजों से और इथोपियन अपने तीर-कमान से। जिराफ, जेबरा, इलैंड, कूडू और बाकी सब जानवरों की समझ में नहीं आता था कि वे बचकर किधर कूदकर भागें ।

वास्तव में वे यह समझ नहीं पाते थे !

लंबे समय के बाद तरह चलती रहती थीं चूंकि उन दिनों चीजें लंबे समय तक उसी उन लोगों ने हर उस चीज से बचना शुरू कर दिया जो तेंदुए या इथोपियन की तरह लगती थीं, और धीरे-धीरे एक-एक करके वे सब ऊंची वैल्ड्ट से जाने लगे। शुरुआत जिराफ ने की, क्योंकि उसकी टांगें सबसे लंबी थीं। वे भागते गए, भागते गए, कितने ही दिनों तक भागने के बाद वे एक बड़े जंगल में पहुंचे, जिसमें सिर्फ पेड़ और झाड़ियां थीं और धारीदार, चित्तीदार, टुकड़े-टुकड़े परछाइयां थीं और वे सब वहां छिप गए।

फिर एक और बहुत लंबे दौर के बाद आधी धूप, आधी छांव में खड़े रहने और पेड़ों की फिसलकर गुजरती परछाइयों के उन पर पड़ते रहने के बाद जिराफ के शरीर पर धब्बे हो गए और जेबरे पर धारियां पड़ गईं। इलैंड और कूडू का रंग गहरा हो गया और उनकी कमर पर पेड़ के तने की छाल की तरह लहरदार – सी सलेटी धारियां पड़ गईं।

अब आप उनकी आवाज सुन सकते थे। उनकी गंध भी आप तक पहुंचती थी। लेकिन आप उनको कभी-कभार ही देख पाते थे, और वह भी तब, जब आपको पूरा पता हो कि आखिर किधर देखना है। उस वन की धारीदार, चित्तीदार छांव में उनका वक्त बड़े मजे में कट रहा था, जबकि दूसरी तरफ इथोपियन और तेंदुआ सलेटी पीला-लाल-सी घाटी में इधर-उधर भाग-दौड़ रहे थे और परेशान हो रहे थे कि उनका सारा नाश्ता-खाना कहां चले गए। अंत में उन्हें इतनी भूख सताने लगी कि उन्होंने चूहे, मकोड़े और खरगोश खाने शुरू किए; फिर इथोपियन और तेंदुआ बावियान कुत्ते के जैसा सिर वाला, भौंकने वाला बबून के पास गए। (यह दक्षिण अफ्रीका के सब जानवरों में सबसे बुद्धिमान माना जाता है।) तेंदुए ने बावियान से कहा, “सारे शिकार कहां चले गए हैं?” और बावियान ने आंख मारी, क्योंकि वह जानता था।

इथोपियन ने बावियान से कहा, “क्या तुम मुझे बता सकते हो कि आदिम जीव-जंतु आज-कल कहां रहते हैं?” (उसका मतलब वही था। लेकिन इथोपियन हमेशा लंबे शब्द प्रयोग करता था। वह बड़ी उम्र का था न!)

बावियान ने फिर आंख से इशारा किया, क्योंकि वह जानता था ।

तब बावियान ने कहा, “शिकार दूसरी जगहों पर चले गए हैं। तुम्हें मेरी सलाह है कि जितनी जल्दी हो सके, तुम भी दूसरी जगहों पर चले जाओ।”

इथोपियन ने कहा, “यह सब तो बिल्कुल ठीक है, लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि आदिम जीव-जंतु कहां पलायन कर गए हैं?” तब बावियान ने कहा, “ आदिम जीव-जंतु जाकर आदिम वनस्पति से मिल गए हैं, क्योंकि बदलाव का वक्त आ गया है। और इथोपियन, तुम्हारे लिए भी मेरी यही सलाह है कि जितनी जल्दी हो सके, तुम भी बदल जाओ।”

इस सलाह ने तेंदुए और इथोपियन को उलझन में डाल दिया। परंतु वे आदि पेड़-पौधों की तलाश में निकल पड़े। बहुत दिनों के बाद उन्हें एक बड़ा-सा ऊंचा घना जंगल दिखाई दिया, जो पेड़ों के तनों से भरा हुआ था और जो खास तरह से धब्बेदार, चित्तीदार आड़ी-तिरछी बड़ी-छोटी धारियों, अलग-अलग आकार के टुकड़ों की परछाइयों से ढंके हुए थे।

“यह क्या है,” तेंदुआ बोला, “यहां कितना अंधेरा है, और सा तो रोशनी के टुकड़ों से भरा हुआ है। “

“मुझे नहीं मालूम, ” इथोपियन ने कहा, “यह ही आदिम वनस्पति होनी चाहिए। मुझे जिराफ की गंध आ रही है। मैं उसकी आवाज भी सुन रहा हूं, मगर वह कहीं नजर नहीं आ रहा ।”

“बड़ी अजीब बात है,” तेंदुए ने कहा, “मुझे लगता है कि हम लोग अभी धूप में से आए हैं, इसलिए ऐसा लग रहा है। मुझे जेबरे की गंध आ रही है। मैं उसकी आवाज भी सुन रहा हूं। लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रहा!”

थोड़ा ठहरो,” इथोपियन ने कहा, “हमें उसका शिकार किए हुए बहुत दिन हो गए हैं। शायद हम भूल गए कि वे कैसे होते हैं।”

“क्या मजाक है,” तेंदुए ने कहा, “मुझे बिल्कुल अच्छी तरह याद है कि वे हाई वेल्ड्ट में कैसे होते थे, खासकर उनकी रसीली हड्डियां। जिराफ लगभग सतरह फुट ऊंचा और सिर से खुर तक सुनहरा – पीला होता है। जेबरा साढ़े चार फुट के करीब ऊंचा होता है, और सिर से खुर तक सलेटी खुर तक सलेटी भूरा-पीला-सा होता है ।”

“हूं ऽऽऽ,” इथोपियन ने आदिम जंगल की धब्बेदार, चित्तीदार परछाइयों को देखते हुए कहा, “तब तो उनको इस अंधेरी जगह में धुंआघर में पके केले की तरह नजर आना चाहिए ।”

लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वे नजर नहीं आए। दोनों सारा दिन ढूंढते रहे। हालांकि उनकी आवाजें और गंध आ रही थीं, लेकिन उनमें से कोई कहीं दिखाई नहीं दे रहा था ।

‘भगवान के नाम पर, ” चाय के समय तेंदुए ने कहा, “हमें अंधेरा होने का इंतजार करना चाहिए। दिन के समय शिकार करना बिल्कुल बेमतलब है । “

वे अंधेरे का इंतजार करने लगे। अंधेरा होने पर तेंदुए ने पेड़ की शाखाओं से आने वाली सितारों की रोशनी में, जो धारियों के रूप में पड़ रही थी, किसी के जोर से सांस लेने की आवाज सुनी। वह उस आवाज पर कूदा। उसे जेबरे की गंध आ रही थी और वह दिखने में भी जेबरा ही लग रहा था। जब तेंदुए ने उसे गिराया तब उसने जेबरे की तरह ही लात मारी। लेकिन वह उसे देख नहीं पा रहा था, इसलिए उसने कहा, “चुप हो जाओ बिना आकृति के जीव ! मैं तेरे सिर पर सुबह तक बैठने वाला हूं; क्योंकि कुछ ऐसी बात है, जिसे अभी मैं समझ नहीं पा रहा हूं।”

तभी उसे घुरघुराने की टक्कर की और छीना-झपटी की आवाजें सुनाई दीं और इथोपियन ने चिल्लाकर कहा, “मैंने एक चीज पकड़ी है। मैं इसे देख तो नहीं पा रहा, लेकिन इसकी गंध जिराफ जैसी है। यह जिराफ की तरह ही लात मार रहा है, मगर इसकी कोई शक्ल नहीं है।”

“तुम इस पर भरोसा मत करना,” तेंदुए ने कहा, “इसके सिर पर सुबह होने तक बैठे रहो। मैं भी ऐसा ही कर रहा हूं। इनमें से किसी की भी कोई आकृति नहीं है।”

इसलिए वे दोनों दिन निकलने और धूप आने तक उन्हें जोर से दबाकर उन पर बैठे रहे। तब तेंदुए ने पूछा, “खाने की मेज के तुम्हारे सिरे पर क्या है, भाई?” इथोपियन ने अपना सिर खुजलाकर कहा, ” इसे तो सिर से पैर तक सिर्फ नारंगी – सा भूरा पीला-सा होना चाहिए, और इसलिए इसे जिराफ होना चाहिए । लेकिन यह तो सारे में भूरे से धब्बों से ढंका हुआ है। और भाई, मेज के तुम्हारे सिरे पर क्या है ? “

तब तेंदुए ने अपना सिर खुजलाया और कहा, “यह सिर्फ हल्का सलेटी – सा भूरा होना चाहिए । लेकिन इस पर तो सारे में काली – जामुनी धारियां हैं। जेबरा, तुमने अपने साथ आखिरकार यह क्या किया है! क्या तुम नहीं जानते कि अगर तुम हाई-वेल्डट् में होते तो मैंने तुम्हें दस मील दूर से ही देख लिया होता । तुम्हारा कोई आकार नहीं है ।”

“हां,” जेबरा ने कहा, “क्या तुम नहीं देख सकते, यह हाई-वेल्डट् नहीं है?”

“अब मैं देख सकता हूं,” तेंदुए ने कहा, “लेकिन कल सारे दिन मैं नहीं देख सका। तुमने यह कैसे किया ?”

“हमें उठ जाने दो, फिर हम तुम्हें दिखाते हैं।”

उन्होंने जेबरा और जिराफ को खड़े होने दिया । जेबरा चलकर एक कांटोंवाली झाड़ी के पास गया, जहां धूप धारियों में पड़ रही थी और जिराफ बड़े से लंबे पेड़ के पास गया, जहां छाया धब्बेदार थी।

“अब देखो, ” जेबरा और जिराफ ने कहा, “यह इस तरह से किया गया है” एक-दो-तीन… और कहां गया नाश्ता ! “

तेंदुए ने घूरकर देखा और इथोपियन ने भी। लेकिन उन्हें जंगल में सिर्फ धारी और चित्तीदार छायाएं ही नजर आईं। जेबरा और जिराफ का कोई निशान तक नहीं था। वे चले गए थे और उन्होंने अपने को परछाइयों वाले जंगल में छिपा लिया था ।

“ही ही ही,” इथोपियन ने कहा, “यह तो सीखने लायक चालाकी है। तेंदुए इससे कोई सबक सीखो। तुम इस अंधेरी जगह में ऐसे चमक रहे हो जैसे कोयले की टोकरी में साबुन का टुकड़ा । “

“हो हो हो ” तेंदुए ने कहा, “क्या तुम्हें यह जानकर ताज्जुब होगा कि तुम खुद इस अंधेरी जगह में कोयले के बोरे के ऊपर पीला प्लास्टर जैसे लग रहे हो?”

“एक-दूसरे का मजाक बनाने से शिकार नहीं पकड़ा जाएगा, ” इथोपियन ने कहा, ” कहने का मतलब यह है कि हम अपने आस-पास और पीछे के दृश्य से मेल नहीं खाते। मैं तो बावियान की बात मानने की सोच रहा हूं। उसने कहा था कि मुझे बदल जाना चाहिए। और मुझे तो ज्यादा कुछ नहीं बदलना, सिवाय अपनी खाल के। मैं इसे बदलने जा रहा हूं।”

“किस तरह से,” तेंदुए ने पूछा। वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित था।

“एक अच्छे से काले से भूरे रंग में, जिसमें थोड़ा-सा जामुनी और नीला रंग भी मिला होगा! “

उसने उसी वक्त और वहीं पर अपनी खाल को बदल दिया। तेंदुआ पहले से भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। उसने पहले कभी किसी आदमी को अपनी खाल बदलते नहीं देखा था।

“लेकिन मैं अपने बारे में क्या करूं?” उसने पूछा। अब इथोपियन ने अपनी आखिरी छोटी उंगली तक की खाल का रंग बदल लिया था।

“तुम भी बावियान की बात माल लो। उसने तुम्हें धब्बों की सलाह दी थी। तुम्हारी खाल पर धब्बे यानी धारियां ।”

“उसका क्या फायदा है?”

“जिराफ का सोचो,” इथोपियन ने कहा, “या अगर तुम्हें धारियां ज्यादा पसंद हों तो जेबरा का सोचो। वे धारियों और चित्तियों से पूरी तरह संतुष्ट हैं। “

“ऊं ऊं…,” तेंदुए ने कहा, “मैं जेबरा की तरह कभी भी दिखना नहीं पसंद करूंगा।”

“ठीक है,” इथोपियन ने कहा, “तुम सोच लो । मुझे तुम्हारे बिना शिकार करने जाना अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन अगर तुम काले बाड़े में सूरजमुखी के फूल की तरह दिखने पर जोर दोगे तो मुझे जाना ही पड़ेगा।”

“तब तो मैं चित्तियां ही ले लूंगा । ” तेंदुए ने कहा, “ लेकिन उन्हें बड़ी-बड़ी और भद्दी-सी मत बनाना। मैं जिराफ की तरह दिखना नहीं चाहता। “

“मैं उन्हें अपनी उंगलियों के सिरों से बनाऊंगा।” इथोपियन ने कहा, “अभी भी मेरी उंगलियों पर काफी काला रंग बचा हुआ है, तुम खड़े हो जाओ।”

इथोपियन ने अपनी पांचों उंगलियों के सिरों को एक साथ मिला लिया (उसकी नई खाल पर अभी भी काफी काला रंग था) और तेंदुए के पूरे शरीर पर जगह- जगह दबाया। जहां-जहां उंगलियों ने छुआ, वहां पास-पास पांच छोटे-छोटे निशान बन गए। आप भी तेंदुए के शरीर पर वे निशान देख सकते हैं। कभी-कभी उंगलियां जरा-सा फिसल गईं तो इससे निशान थोड़ा धुले से हो गए। अगर आप ध्यान से किसी तेंदुए की खाल को देखेंगे, तो आपको हमेशा पांच काली मोटी उंगलियों के पांच निशान नजर आएंगे।

“अब तुम बहुत सुंदर हो गए हो। ” इथोपियन ने कहा, “अब तुम अगर खुले मैदान में लेटोगे तो कंकड़ों का ढेर नजर आओगे। तुम नंगी चट्टान पर लेट सकते हो, पुडिंग स्टोन लगोगे। तुम पेड़ की पत्तोंवाली डाली पर लेटोगे, तो लगेगा कि पत्तों से होकर धूप आ रही है और तुम किसी रास्ते के बीचोंबीच भी लेटोगे तो कोई खास चीज नहीं लगोगे | अब ये सब सोचो और खुश हो जाओ ।”

“लेकिन अगर मैं यह सब हूं तो तुम चित्तीदार क्यों नहीं बने ? ” तेंदुए ने कहा ।

“अरे! काला- सादा रंग सबसे अच्छा है।” इथोपियन ने कहा, ‘अब साथ चलो और हम देखते हैं कि क्या हम ‘श्रीमान 1-2-3, कहां गया- तुम्हारा – नाश्ता’ को सबक सिखा सकते हैं या नहीं! “

इसलिए वे दोनों चल पड़े और तब से हमेशा खुशी-खुशी साथ रहने लगे।

कहानी खत्म।

ओह, कभी-कभी आप किसी को कहते सुनेंगे, “क्या इथोपियन अपनी खाल और तेंदुआ अपने निशान बदल सकते हैं?” मुझे नहीं लगता कि लोग ऐसी बेमानी बात कहते, अगर इथोपियन और तेंदुए ने एक बार ऐसा न किया होता तो । है कि नहीं?

लेकिन वे फिर ऐसा नहीं करेंगे। वे जैसे हैं उससे बहुत खुश हैं।

**समाप्त**

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