रिक्की टिक्की टावी रुडयार्ड किपलिंग की कहानी | Rikki Tikki Tavi Rudyard Kipling Ki Kahani 

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Rikki Tikki Tavi Rudyard Kipling Ki Kahani 

यह कहानी उस महायुद्ध की है, जिसे रिक्की टिक्की – टावी ने सगोली छावनी के बड़े बंगले के स्नान घरों में अकेले ही लड़ी थी। इस युद्ध में टेलर – बर्ड दर्जी ने उसकी मदद की थी और मस्क रैट छुछुदर ने – जो कभी फर्श के बीच में नहीं आता और हमेशा दिवारों के पास चक्कर लगाता रहता है- उसे सलाह दी थी। लेकिन असली लड़ाई रिक्की टिक्की ने ही लड़ी थी ।

रिक्की – टिक्की एक नेवला था। उसकी पूंछ और फर एक छोटी-सी बिल्ली की तरह थे। लेकिन उसका सिर और आदतें एक बिच्छू की तरह थीं, उसकी आंखों और बेचैन नाक का सिरा गुलाबी थे। वह अपने-आपको जिस जगह पर भी चाहे अपने किसी भी पैर से खुजला सकता था। वह अपनी पूंछ को इतना फुला सकता था कि यह बॉटल-ब्रश की तरह लगने लगती थी। लंबी-लंबी घास में दौड़-भाग करते हुए उसका नारा होता- “रिक-टिक-टिक-टिक-टिक।” गर्मी के मौसम में एक दिन जोर की बाढ़ आई और वह रिक्की टिक्की को उसके बिल से, जहां वह अपने माता-पिता के साथ रहता था, मारती-उछालती-गिराती बहाकर सड़क के किनारे नीचे नाले में ले गई। वहां उसे घास का छोटा-सा गुच्छा बहता हुआ मिला। वह अपने होश आने तक उस गुच्छे से चिपका रहा ।

जब उसे होश आया तो उसने अपने-आपको धूप में एक बागीचे से गुजरते रास्ते के बीच कीचड़ में लथपथ पड़ा पाया। एक छोटा बच्चा कह रहा था, “यहां एक मरा हुआ नेवला पड़ा है। हमें उसका क्रिया-कर्म कर देना चाहिए।”

“नहीं,” उसकी मां ने कहा, “हमें इसे अंदर ले जाकर सुखाना होगा। शायद यह अभी तक मरा न हो।”

वे उसे घर के अंदर ले आए। वहां एक बड़े आदमी ने उसे एक उंगली और अंगूठे से पकड़कर उठाया और कहा कि वह अभी मरा नहीं है। उसका दम घुट रहा था। उन्होंने उसे रूई में लपेटा और आग पर थोड़ा गर्म किया। रिक्की टिक्की ने अपनी आंखें खोलीं और छींक दिया। बड़े आदमी ने कहा, “इसे डराना नहीं। हम देखेंगे कि अब यह क्या करता है। दुनिया में सबसे मुश्किल काम एक नेवले को डराना है, क्योंकि उसमें सिर से पैर तक जिज्ञासा भरी होती है।” सब नेवलों के परिवारों का यह आदर्श वाक्य होता है- “ दौड़ो और पता लगाओ! ” और रिक्की टिक्की एक असली नेवला था।

उसने रूई को देखा और निश्चित किया कि यह खाने लायक चीज नहीं है। उसने मेज के चारों ओर चक्कर लगाया। फिर बैठकर अपना फर ठीक करने लगा, फिर अपने को खुजलाने लगा और छोटे लड़के के कंधे पर कूद गया।

“टैडी डरना नहीं, ” उसके पिता ने कहा, “यह उसका दोस्ती करने का तरीका है।”

“आऊं” ये मेरी ठोड़ी के नीचे गुदगुदा रहा है,” टैडी ने कहा । रिक्की – टिक्की ने नीचे लड़के के कॉलर और गर्दन के बीच देखा, उसके कान को सूंघा और नीचे फर्श पर उतर आया। वहां बैठकर वह अपनी नाक मलने लगा।

“हे भगवान,” टैडी की मां ने कहा, “कैसा जंगली जीव है। मेरे ख्याल से हमने इसकी इतनी देखभाल की है, इसलिए यह इतना पालतू हो गया है।”

“सारे नेवले ऐसे ही होते हैं,” उसके पति ने कहा, “अगर टैडी उसको पूंछ पकड़कर नहीं उठाएगा और उसे पिंजड़े में रखने की कोशिश नहीं करेगा तो यह सारे दिन घर के अंदर-बाहर घूमा करेगा । इसे कुछ खाने के लिए दे देना चाहिए।”

उन्होंने उसे कच्चे मांस का छोटा-सा टुकड़ा खाने के लिए दिया। यह रिक्की – टिक्की को बहुत ही अच्छा लगा। जब मांस खत्म हो गया तब वह बरांडे में जाकर बैठ गया और अपने फर को फुलाकर जड़ों से सुखाने लगा, तब जा कर उसे थोड़ा चैन आया ।” इस घर में जानने के लिए इतनी चीजें हैं,” उसने अपने-आप से कहा, “जितनी कि मेरा पूरा परिवार अपनी पूरी जिंदगी में भी नहीं पता लगा सकता। मैं यहां जरूर ठहरूंगा और पता लगाऊंगा।”

उस दिन उसने उस घर में घूमने में सारा समय बिताया। उसने नहाने के टब में अपने-आपको लगभग डुबा ही लिया। अपनी नाक को बड़े आदमी की पढ़ने की मेज के ऊपर स्याही में डाला और उसके सिरे को बड़े आदमी के सिगार से जला लिया। यह देखने के लिए कि लिखा कैसे जाता है, वह बड़े आदमी के कंधे पर चढ़ गया था। रात होने पर मिट्टी के तेल का लैंप कैसे जलाया जाता है, यह देखने के लिए, टैडी के कमरे में दौड़ा। जब टैडी सोने के लिए पलंग पर गया तब वह भी उस पर आ गया। लेकिन वह एक बेचैन साथी था, क्योंकि उसे पूरी रात उठ उठकर किसी भी होने वाली आवाज को देखना था और वह कैसे और क्यों हुई, यह पता लगाना था। रात में सोने से पहले टैडी के माता-पिता उसे देखने के लिए उसके कमरे में आए। तब रिक्की – टिक्की जागा हुआ था और तकिए पर बैठा था ।”

“मुझे यह अच्छा नहीं लगता,” टैडी की मां ने कहा, “यह बच्चे को काट सकता है।” “यह ऐसा कुछ नहीं करेगा,” उसके पिता ने कहा, “टैडी इस जंगली जीव के साथ, अगर उसकी निगरानी के लिए खूंखार कुत्ता हो तो भी ज्यादा सुरक्षित है। अगर नर्सरी में कोई सांप आ जाए”” लेकिन टैडी की मां ऐसी भयानक बात सोचना भी नहीं चाहती थी।

अगले दिन सुबह जल्दी रिक्की टिक्की टैडी के कंधे पर चढ़कर बरांडे में नाश्ते के लिए आया। उन्होंने उसे केला और थोड़ा उबला हुआ अंडा दिया। वह एक के बाद एक सबकी गोद में बैठा, क्योंकि प्रत्येक अच्छी तरह पाला-पोसा हुआ नेवला कभी न कभी घरेलू नेवला बन जाने की उम्मीद रखता है। रिक्की टिक्की की मां ने उसे अच्छी तरह समझा दिया था कि अगर वह कभी किसी गोरे आदमी से मिले तो उसे किस तरह बर्ताव करना चाहिए। ( उसकी मां सगोलो में जनरल के घर में रहती थी । )

फिर रिक्की – टिक्की बाहर बगीचे में यह देखने के लिए गया कि वहां देखने के लिए क्या – क्या है। यह एक बड़ा बगीचा था जिसमें आधे में बड़ी-बड़ी झाड़ियां थीं- रामर हाऊस जितनी बड़ी, मार्शल-नील गुलाब, नीबू, संतरा, बांसों के झुरमुट और ऊंची-ऊंची घास की झाड़ियां थीं। रिक्की टिक्की ने अपने होंठ चाटे । क्या शानदार शिकार की जगह है!” उसने अपने-आप से कहा, और इस विचार से ही उसकी पूंछ फूलकर बॉटल – ब्रश जैसी हो गई। वह बाग में ऊपर-नीचे भाग-दौड़ करने लगा – कभी यहां सूघता, कभी वहां । तभी उसने कांटों की झाड़ियों में बड़ी दुखभरी आवाजें सुनीं। यह टेलर बर्ड दर्जी और उसकी पत्नी थे। उन्होंने दो पत्तों को मिलाकर उनके किनारे सीकर बड़ा सुंदर घोंसला बनाया था। उसके अंदर उन्होंने रूई और पंख भरे थे। जब वे उसके किनारे पर बैठकर रो रहे थे तब घोंसला इधर-उधर हिल रहा था।

रिक्की टिक्की ने पूछा, “क्या बात है?” दर्जी ने कहा, “हम बहुत दुखी हैं। कल हमारे बच्चों में से एक बच्चा घोंसले से नीचे गिर गया था और नाग ने उसे खा लिया ।”

“यह बड़े दुख की बात है । लेकिन मैं यहां अजनबी हूं। यह कौन है ?”

दर्जी और उसकी पत्नी ने कोई जवाब नहीं दिया। वे केवल अपने घोंसले में अंदर खिसक गए, क्योंकि वहां झाड़ी के नीचे घनी घास में से थोड़ी-सी फुफकार की एक डरावनी ठंडी आवाज सुनाई दी। रिक्की – टिक्की दो फुट पीछे कूद गया। तब फिर धीरे-धीरे घास में से एक सिर ऊपर आया – यह नाग का फैला हुआ फन था। बड़ा काला कोबरा जीभ से लेकर पूंछ तक पांच फुट लंबा था। उसने अपना लगभग एक तिहाई शरीर जमीन से ऊपर उठा लिया और डैंडेलियन फूलों के गुच्छे की तरह हवा में इधर-उधर झूलकर अपना संतुलन बनाया। उसने रिक्की टिक्की को अपनी दुष्ट सांप वाली आंखों से (सांप चाहे कुछ भी सोच रहा हो अपना भाव नहीं बदलता) देखा। “नाग कौन है? मैं नाग हूं,” उसने कहा, “महान भगवान ब्रह्म ने अपना निशान हम सब लोगों पर लगाया है। जब भगवान ब्रह्म सोए हुए थे तब उन्हें धूप से बचाने के लिए सबसे पहले कोबरा ने अपना फन उनके ऊपर फैला दिया था।”

उसने अपना फन हमेशा से ज्यादा फैलाया और रिक्की – टिक्की ने उसके पीछे वह शानदार निशान देखा जो कपड़ों पर लगाए जाने वाले हुक -आई के आई वाले भाग की तरह था । एक पल के लिए वह डर गया, लेकिन एक नेवले के लिए ज्यादा देर तक डरे रहना असम्भव है। रिक्की – टिक्की एक जिंदा कोबरा से कभी नहीं मिला था। उसकी मां ने उसे मरे हुए बहुत सांप खिलाए थे और वह जानता था कि एक बड़े नेवले का काम जिंदगी में सांपों से लड़ना और उन्हें खाना ही है। नाग भी यह बात जानता था और अपने ठंडे दिल की गहराइयों में वह भी डर रहा था। “ठीक है,” रिक्की टिक्की ने कहा, “निशान हो या न हो, तुम क्या समझते हो घोंसलों में से बच्चों को खाना तुम्हारे लिए ठीक है?” उसकी पूंछ फिर से फूलने लगी थी।

नाग अपने मन में सोच रहा था और रिक्की – टिक्की के पीछे घास में होने वाली हल्की-सी भी हरकत पर नजर रखे हुए था। वह जानता था कि बाग में नेवले के होने का मतलब मौत है, उसकी और उसके परिवार की, जल्दी या देर से वह रिक्की टिक्की को अनजाने में पकड़ना चाहता था। उसने अपने सिर को एक तरफ थोड़ा नीचे कर दिया और कहा, “हमें बात करनी चाहिए। तुम अंडे खाते हो तो मैं चिड़िया क्यों न खाऊं ?”

“तुम्हारे पीछे पीछे देखो,” दर्जी ने आगाह किया ।

रिक्की – टिक्की बेहतर जानता था कि पीछे देखने में वक्त जाया करना बेकार है। वह हवा में ऊपर जितना ऊंचे से ऊंचा उछल सकता था उछला और एकदम उसके नीचे नाग की दुष्ट पत्नी नागिन का सिर सनसनाया। जब वह बात कर रहा था तब नागिन उसके पीछे रेंगकर आ गई थी और उसे खत्म करना चाहती थी। निशाना चूक गया। रिक्की – टिक्की ने उसकी भयानक फुफकार सुनी। जब वह नीचे आया तो उसकी कमर के बीच में गिरा। अगर वह एक अनुभवी बूढ़ा नेवला होता, तो उसे पता होता कि यही समय था एक बार काटकर नागिन की कमर तोड़ देने का । लेकिन वह कोबरा के वापसी खतरनाक हमले से डर गया । उसने नागिन को काटा तो सही, लेकिन ज्यादा देर तक नहीं। वह नागिन को गुस्से में बिफरते हुए छोड़कर उसकी लहराती हुई पूंछ के पार कूद गया।

“दुष्ट दर्जी,” नाग ने कहा और वह कांटेदार झाड़ियों में जितना ऊपर तक जा सकता था, घोंसले पर झपटा। लेकिन दर्जी ने अपना घोंसला सांपों की पहुंच से दूर बनाया था और वह केवल इधर-उधर झूल कर रह गया। रिक्की टिक्की ने महसूस किया कि उसकी आंखें लाल और गर्म हो रही हैं (जब एक नेवले की आंखें लाल और गर्म होती हैं, उसका मतलब है वह गुस्से में है ) । वह अपनी पूंछ और पिछले पैरों पर एक छोटे कंगारू की तरह बैठ गया। उसने चारों तरफ देखा और गुस्से में किटकिटाने लगा। लेकिन नाग और नागिन घास में गायब हो गए थे। जब एक सांप अपना निशाना चूक जाता है, वह कुछ नहीं कहता और न ही कोई संकेत देता है कि वह आगे क्या करने वाला है।

रिक्की – टिक्की ने उसका पीछा नहीं किया। उसे भरोसा नहीं था कि वह एक साथ दो सांपों का सामना कर सकता है। इसलिए वह भागकर मकान के पास बजरी पर चला गया और बैठकर सोचने लगा। उसके लिए यह बहुत गंभीर मामला था। अगर आप प्राकृतिक इतिहास की पुरानी किताबें पढ़ेंगे तो आप देखेंगे कि उसमें लिखा है- जब नेवला सांप से लड़ता है और सांप नेवले को काट लेता है तो वह भागकर कोई जड़ी-बूटी खा लेता है और अपने-आपको ठीक कर लेता है। यह सच नहीं है। जीत केवल आंखों की तेजी और पैरों की फुर्ती का नतीजा है। जब सांप चोट करता है, कोई भी आंख उसके सिर का पीछा नहीं कर सकती। यही चीज इस बात को जादुई बूटी से भी ज्यादा आश्चर्यजनक बना देती है।

रिक्की-टिक्की जानता था कि वह एक छोटा नेवला है और इस बात से वह और भी ज्यादा खुश हो रहा था कि उसने पीछे से हुए हमले से भी अपने को बचा लिया था। इस बात से उसमें अपने ऊपर विश्वास भर गया था। जब टैडी भागकर वहां आया, वह अपने को दुलार करवाने के लिए तैयार था। लेकिन जैसे ही वह झुका, रेत में कोई चीज कुलबुलाई और एक धीमी-सी आवाज सुनाई दी – “सावध न हो जाओ, मैं मौत हूं।” यह कॅरेट था- रेतीला भूरा छोटा सांप, जो अपनी इच्छा से रेतीली जमीन पर पड़ा था। उसका काटना कोबरा जितना ही खतरनाक होता है। वह इतना छोटा होता है कि कोई उसकी तरफ ध्यान ही नहीं देता और इसलिए वह लोगों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।

रिक्की – टिक्की की आंखें फिर से लाल हो गईं और वह कॅरेट की तरफ एक खास तरह से उछल-कूद करता – नाचता हुआ जाने लगा, जो उसने अपने पूर्वजों से सीखा था। यह बड़ी अजीब लग रही, लेकिन इतनी ज्यादा संतुलित चाल थी कि इससे कोई कहीं भी किसी भी कोण पर भाग सकता है। सांप के साथ लड़ाई में यह बड़ी फायदे की है।

रिक्की – टिक्की को मालूम नहीं था कि वह नाग से लड़ने से भी कहीं ज्यादा खतरनाक काम कर रहा है, क्योंकि कॅरेट बहुत छोटा होता है और बहुत जल्दी पलट सकता है, और अगर रिक्की – टिक्की उसके सिर के पीछे नहीं काटेगा तो वह वापस उसकी आंख या होंठ पर वार करेगा। लेकिन रिक्की टिक्की यह नहीं जानता था, उसकी आंखें लाल थीं और वह आगे-पीछे झूलकर पकड़ने के लिए ठीक जगह देख रहा था । कॅरेट ने वार किया, रिक्की – टिक्की एक तरफ कूदा और अंदर भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन दुष्ट रेतीले सलेटी सिर ने उसके कंधे के बिलकुल पास वार किया। रिक्की को उसके शरीर के ऊपर से कूदना पड़ा और उस सिर ने उसकी एंड़ियों का पीछा किया।

टैडी ने घर में चिल्लाकर कहा, “यहां देखो, हमारा नेवला एक सांप को मार रहा है।” और रिक्की टिक्की ने टैडी की मां की चीख सुनी। उसके पिता एक डंडा लेकर बाहर आए, लेकिन उनके आने तक कॅरेट दूर कूद चुका था। रिक्की टिक्की झपटकर सांप की कमर पर कूदा, अपना सिर उसके आगे के पैरों के बीच ले जाकर उसने बहुत जोर से काटा और लुढ़क गया। इस चोट ने सांप को निष्प्राण कर दिया। रिक्की – टिक्की सांप को पूंछ से, जैसा कि उसके परिवार में रिवाज था, शुरू करके खाने ही वाला था कि उसे याद आया कि ज्यादा खाना खाने से नेवला सुस्त हो जाता है। वह अपनी शक्ति और तेजी बरकरार रखना चाहता था। उसे अपने को पतला रखना था। वह झाड़ियों के नीचे रेत में स्नान करने चला गया। जब टैडी के पिता मरे हुए सांप को मार रहे थे, रिक्की – टिक्की सोच रहा था – अब क्या फायदा है, मैंने तो सब ठीक कर ही दिया है।

तब टैडी की मां ने रिक्की टिक्की को रेत में से उठाकर, रोते हुए गले से लगाया। उसने टैडी को मौत से बचाया था। टैडी के पिता ने कहा कि यह भगवान की कृपा है। टैडी डरी-डरी आंखों से देख रहा था। रिक्की – टिक्की को इस सब में बड़ा मजा आ रहा था, हालांकि उसे कुछ समझ में नहीं आया था।

उस रात खाने के समय रिक्की टिक्की मेज पर इधर-उधर बर्तनों के बीच दौड़ रहा था। उसने अपने पेट को बढ़िया-बढ़िया चीजों से तीन गुना ज्यादा भर लिया होता, लेकिन उसे नाग और नागिन याद आ गए। उसे टैडी की मां का प्यार करना और खुद टैडी के कंधे पर बैठना बहुत अच्छा लग रहा था । पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद उसकी आंखें लाल हो जाती थीं और वह अपना युद्ध घोष “रिक-टिक-टिक-टिक-टिक” करने लगता। टैडी उसे सोने के लिए ले गया और उसे अपनी ठोड़ी के नीचे सुलाया। रिक्की टिक्की इतनी अच्छी नस्ल का था कि उसके काटने या खुरचने का सवाल ही नहीं था। लेकिन जैसे ही टैडी सोया, वह अपनी रात की सैर के लिए घर में चल दिया और अंधेरे में छुछुदर से टकराया, जो दिवारों के साथ-साथ रेंग रहा था। वह सारी रात पिनपिनाता चींचीं करता रहता है। और कमरे के बीच जाने के लिए अपने को तैयार करने की कोशिश करता रहता। लेकिन वह वहां कभी नहीं जाता।

“मुझे मत मारो,” छुछुंदर लगभग रो पड़ा, “ रिक्की – टिक्की मुझे मत मारो।”

“तुम क्या सोचते हो, एक सांप को मारने वाला छुछुदर को मारता है?” रिक्की – टिक्की ने तिरस्कार से कहा ।

“जो सांपों को मारते हैं, सांपों द्वारा ही मारे जाते हैं, ” छुछुंदर ने और भी ज्यादा दुखी होकर कहा, “मैं कैसे विश्वास करूं कि किसी अंधेरी रात में नाग मुझे छोड़ो तुम नहीं समझोगे ।”

“इस बात का जरा भी खतरा नहीं है, ” रिक्की – टिक्की ने कहा, “नाग बागीचे में है और तुम वहां नहीं जाते। ”

“मेरे भाई चूहे ने बताया है, ” छुछंदर ने कहा और वह बीच में ही रुक गया।

“तुम्हें क्या बताया है?” रिक्की टिक्की ने पूछा।

“ रिक्की – टिक्की, नाग हर जगह है। तुम्हें चूहे से बात करनी चाहिए थी।”

“मैंने नहीं की, इसलिए तुम मुझे बताओ। जल्दी बताओ छुछुदर, नहीं तो मैं तुम्हें काट लूंगा।”

छछूंदर बैठ गया और रोने लगा। आंसू बहकर उसकी मूंछों तक आ गए।”मैं बहुत कमजोर जीव हूं,” उसने सिसककर कहा, “मेरे अंदर कभी कमरे के बीच में जाने की हिम्मत भी नहीं हुई । मैं तुम्हें कुछ नहीं बता सकता ! रिक्की टिक्की, तुम सुन नहीं सकते क्या ! “

रिक्की-टिक्की ने सुना। मकान बिल्कुल शांत था। लेकिन उसे लगा कि वह खुरच खुरच की बहुत ही हल्की-सी दुनिया की सबसे हल्की आवाज पकड़ रहा है जैसे- पतंगे की खिड़की के शीशे पर चलने की आवाज – सांप की खाल की ईंटों पर चलने की सूखी- सी रगड़ की आवाज ।

“वह नाग या नागिन है, ” उसने अपने-आप से कहा, “और वह स्नानघर की नाली में रेंग रहा है। तुम ठीक कह रहे हो, छुह्युंदर। मुझे चूहे से बात करनी चाहिए थी ।” वह धीरे से टैडी के स्नानघर में गया। वहां कुछ नहीं था। तब वह टैडी की मां के स्नानघर में गया। वहां प्लास्टर की हुई दीवार के नीचे एक ईंट निकालकर पानी बाहर जाने के लिए नाली बनी थी।

रिक्की-टिक्की टब के पीछे छिप गया। उसने सुना नाग और नागिन बाहर चांदनी रात में आपस में बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे, “ जब मकान आदमियों से खाली हो जाएगा, उसे जाना पड़ेगा, और बाग फिर से हमारा हो जाएगा। धीरे से अंदर जाओ और याद रखना कि बड़े आदमी को, जिसने कॅरेट को मारा था, पहले काटना। फिर बाहर आना और मुझे बताना। हम दोनों एक साथ रिक्की टिक्की का शिकार करेंगे।”

“लेकिन आदमियों को मारने से, क्या हमें कुछ मिलेगा?” नाग ने पूछा।

“सब कुछ,” नागिन ने कहा, “जब मकान में आदमी नहीं थे तब क्या बाग में कोई नेवला था? जब तक मकान खाली है, हम बाग के राजा-रानी हैं। याद करो, जैसे ही खरबूजों की क्यारी में, अंडों में से हमारे बच्चे निकलेंगे उन्हें जगह की और शांति की जरूरत होगी ।”

“मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं था,” नाग ने कहा, “मैं जाता हूं। लेकिन बाद में हम लोग रिक्की टिक्की का शिकार करें, इसकी क्या जरूरत है? मैं बड़े आदमी और उसकी पत्नी को मार दूंगा और अगर हो सका तो बच्चों को भी। इसके बाद धीरे से बाहर आ जाऊंगा । तब बंगला खाली हो जाएगा और रिक्की – टिक्की यहां से चला जाएगा ।”

इस पर रिक्की – टिक्की गुस्से और नफरत से झनझना गया। नाली में से नाग का सिर अंदर आया और उसके पीछे पांच फुट का ठंडा शरीर । रिक्की – टिक्की नाराज तो था ही। इतने बड़े आकार के शरीर को देखकर बहुत डर गया। नाग ने अपने शरीर को गोल घुमाकर कुंडली लगा ली और सिर ऊपर उठाकर अंधेरे में स्नानघर में देखा । रिक्की – टिक्की देख सकता था उसकी आंखों की चमक ।

“ अगर मैं उसको यहां मारता हूं तो नागिन को पता चल जाएगा और अगर मैं उससे खुले फर्श पर लड़ाई करूंगा तो यह उसके पक्ष में होगा। मुझे क्या करना चाहिए?” रिक्की – टिक्की ने कहा । नाग इधर-उधर लहरा रहा था और तभी रिक्की टिक्की ने उसे सबसे बड़े जार में से, जो टब भरने के काम आता था, पानी पीते हुए सुना । “यह अच्छा है,” सांप ने कहा, “अब कॅरेट मर गया है। बड़े आदमी के पास डंडा है। उसके पास अभी भी डंडा हो सकता है। लेकिन कल सुबह जब वह नहाने के लिए आएगा, उसके पास डंडा नहीं होगा । मैं यहां उसके आने तक इंतजार करूंगा। नागिन क्या तुम मुझे सुन रही हो? मैं यहां ठंडे में दिन निकलने तक इंतजार करूंगा।” बाहर से कोई जवाब नहीं आया । इसलिए रिक्की टिक्की जान गया कि नागिन कहीं और चली गई है। नाग ने अपने-आपको पानी के टब के पेंदे में उभरे हुए भाग के चारों ओर गोल-गोल लपेटकर कुंडली लगा ली। रिक्की टिक्की मौत की तरह एक ही जगह स्थिर खड़ा था।

एक घंटे के बाद उसने बहुत धीरे-धीरे टब की तरफ चलना शुरू किया। नाग सो रहा था। रिक्की टिक्की ने उसकी बड़ी-सी कमर को देखा और सोचने लगा कि पकड़ने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन-सी होगी । “अगर मैंने पहली कूद में ही उसकी कमर नहीं तोड़ी, ” रिक्की ने कहा, “ तभी वह लड़ सकेगा, और अगर वह लड़ता है” तब तो रिक्की गए ।” उसने नाग के फन के नीचे गर्दन की मोटाई देखी। लेकिन वह तो रिक्की के लिए बहुत ज्यादा थी और अगर वह पूंछ के करीब काटता है तो सांप और भयंकर हो जाएगा। “सिर पर दो बार काटना होगा ।” उसने आखिर में कहा, “फन के ऊपर सिर पर, और एक बार जब मैं वहां पहुंच जाऊंगा तब। मुझे इसे छोड़ना नहीं है।”

और तब वह कूदा । नाग का सिर टब से थोड़ा अलग उसके घुमाव के नीचे था, जब उसने दांतों को भींचा। अपनी कमर से टब के उभार पर टेक लगाकर उसने नाग का सिर पकड़ लिया । उसको एक सेकिंड का ही वक्त मिला। उसने इसका पूरा इस्तेमाल किया। तब उसको सांप ने इधर-उधर पटका, जैसे एक कुत्ता एक चूहे को फर्श पर ऊपर-नीचे इधर-उधर गोल चक्करों में पटककर तोड़ता है। रिक्की – टिक्की की आंखें लाल थीं। उसका बदन जमीन पर कोड़े की तरह गिरकर साबुनदानी, ब्रश, मग आदि को इधर-उधर बिखरा रहा था और टीन के टब पर जोरों की आवाजें कर रहा था।

रिक्की – टिक्की अपने मुंह को और जोर से भींच रहा था। उसे निश्चय हो गया था कि इन आघातों से वह जरूर ही मर जाएगा। लेकिन अपने परिवार के सम्मान के लिए वह सांप के सिर को दांतों से पकड़े हुए देखा जाना ज्यादा पसंद करेगा। उसे चक्कर आ रहा था, दर्द हो रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर के टुकड़े हो गए हों। तभी उसके पीछे से कोई चीज बिजली की कड़क की तरह तेजी से आई, एक गर्म हवा के झोंके ने उसे बेहोश कर दिया और लाल आग ने उसका फर झुलसा दिया। शोर सुनकर बड़ा आदमी जग गया था। उसने अपनी बंदूक से नाग के फन के जरा-सा नीचे दोनों गोलियां पार कर दी थीं। रिक्की टिक्की ने अपनी आंखें बंद कर लीं, क्योंकि उसने अब पक्का सोच लिया था कि वह मर गया है।

लेकिन सिर नहीं हिला | बड़े आदमी ने उसे उठाया और कहा, ” एलिस, यह फिर वही नेवला है। इस छोटे से जीव ने हमारी जान बचाई है ।” तभी टैडी की मां आई। उसका चेहरा डर के मारे एकदम सफेद हो गया था। उसने नाग का जो कुछ बचा था, देखा। रिक्की – टिक्की अपने को किसी तरह घसीटकर टैडी के कमरे में ले गया और बाकी की बची हुई आधी रात उसने अपने-आपको हिला हिला यह देखने में गुजारी कि क्या जैसी वह कल्पना कर रहा था, वाकई उसका शरीर चालीस टुकड़ों में टूट गया है? जब सुबह हुई, उसका शरीर बहुत अकड़ा हुआ था, लेकिन उसने जो किया था उससे वह बहुत खुश था।

“अब मुझे नागिन से निपटना होगा। वह पांच नागों से भी ज्यादा खतरनाक हो गई होगी। यह भी कुछ पता नहीं है कि जिन अंडों की वह बात कर रही थी उनमें से बच्चे कब निकलेंगे? मुझे जाकर दर्जी से मिलना चाहिए।” उसने सोचा और नाश्ते का इंतजार किए बिना ही, वह कांटों की झाड़ी की ओर दौड़ा, जहां दर्जी अपनी सबसे ऊंची आवाज में जीत का गीत गा रहा था। नाग के मरने की खबर सारे बाग में फैल गई थी, क्योंकि जमादार ने नाग के शरीर को कूड़े के ढेर के ऊपर फेंक दिया था।

“ओफ, तुम मूर्ख पंखों के गुच्छे!” रिक्की टिक्की ने नाराजगी से कहा, “क्या यह गाने का वक्त है! “

“नाग मर गया है, मर गया, मर गया, ” दर्जी ने गाया, “बहादुर रिक्की – टिक्की ने उसे सिर से पकड़ा और बहुत जोर से पकड़ा। बड़ा आदमी बंदूक लाया और नाग दो टुकटों में कटकर गिर गया। अब कभी वह मेरे बच्चों को नहीं खाएगा।”

“वह सब तो ठीक है, लेकिन नागिन कहां है?” रिक्की टिक्की ने ध्यान से इधर-उधर देखते हुए पूछा ।

“नागिन स्नानघर की नाली में आई और उसने नाग को पुकारा, ” दर्जी कहता गया, “ और नाग एक डंडे के सिरे पर बाहर आया- जमादार ने उसे डंडे के सिरे से उठाया और कूड़े के ढेर पर फेंक दिया। हमें महान लाल आंखों वाले रिक्की – टिक्की के बारे में गाने दो।” और दर्जी गाने लगा !

“अगर मैं तुम्हारे घोंसले तक चढ़कर आ सका तो मैं तुम्हारे बच्चों को बाहर गिरा दूंगा, ” रिक्की टिक्की ने कहा- “तुम नहीं जानते कि सही काम सही समय पर करना चाहिए। तुम उस अपने घोंसले में सही-सलामत हो, लेकिन यहां नीचे मेरे लिए तो जंग छिड़ी हुई है। दर्जी एक मिनट के लिए गाना बंद करो।”

“महान, सुन्दर, रिक्की – टिक्की के लिए मैं बंद करता हूं- ” दर्जी ने कहा, ” क्या बात है उस भयानक नाग को मारने वाले?”

“नागिन कहां है, तीसरी बार पूछ रहा हूं।”

“अस्तबल के पास कूड़े के ढेर पर नाग के लिए अफसोस कर रही है।रिक्की-टिक्की सफेद दांतों वाला महान है।” “मेरे सफेद दांतों को छोड़ो। क्या तुमने कभी सुना है कि वह अपने अंडे कहां रखती है?”

“खरबूजे की क्यारी में, दीवार के सबसे पास वाले सिरे के पास, जहां धूप लगभग पूरे दिन रहती है। उसने वहां अंडे तीन हफ्ते पहले छिपाए थे।”

“और तुमने मुझे यह बात बताने की जरूरत नहीं समझी? दीवार के पास वाला सिरा, यही कहा न तुमने?”

“ रिक्की – टिक्की, तुम उसके अंडे खाने तो नहीं जा रहे हो ? “

“नहीं, वास्तव में नहीं। अगर तुझमें जरा-सी भी अक्ल है तो तुम अस्तबल तक उड़कर जाओगे और यह दिखावा करोगे कि तुम्हारा पंख टूट गया है और नागिन को इस झाड़ी तक अपना पीछा करने दोगे । मुझे खरबूजे की क्यारी पर पहुंचना चाहिए । अगर मैं अभी गया तो वह मुझे देख सकती है।”

दर्जी एक हल्के दिमागवाला छोटा-सा प्राणी था। अपने दिमाग में वह एक बार में सिर्फ एक बात ही रख सकता था। वह जानता था कि नागिन के अंडों से भी बच्चे उसी तरह पैदा होंगे जैसे उसके अपने होते हैं। शुरू में तो वह सोच रहा था कि क्या उनको मारना ठीक है? लेकिन उसकी पत्नी एक समझदार चिड़िया थी। वह जानती थी कि कोबरा के अंडों का मतलब छोटे कोबरा । इसलिए वह दर्जी को बच्चों को गर्म रखने के लिए और नाग की मौत का गीत गाने के लिए छोड़कर घोंसले से उड़ गई। दर्जी कुछ चीजों में बिल्कुल आदमी की तरह था।

उसने नागिन के सामने कूड़े के ढेर के पास अपने पंख फड़फड़ाए और रोने लगी, “हाय, मेरा पंख टूट गया। घर में रहनेवाले लड़के ने मेरे ऊपर पत्थर फेंककर इसे तोड़ दिया ।” फिर वह और भी ज्यादा निराशा से फड़फड़ाई । नागिन ने अपना सिर ऊपर उठाया और फुफुकारा, ” तुमने रिक्की टिक्की को चेतावनी दी थी जबकि मैंने उसे मार दिया होता। सचमुच तुमने लंगड़ा होने के लिए गलत जगह चुनी है।” और वह रेत पर फिसलती हुई दर्जी की पत्नी की ओर बढ़ी। “लड़के ने इसे पत्थर से तोड़ दिया है,” दर्जी की पत्नी ने दुखी स्वर में कहा।

“ठीक है, जब तुम मर जाओगी तब तुम्हें यह जानकर कुछ संतोष मिलेगा कि मैंने लड़के से हिसाब बराबर कर दिया है। मेरा पति कूड़े के ढेर पर आज सुबह लेटा है और रात होने से पहले वह लड़का भी घर में बिल्कुल शांत लेटा होगा। भागने का क्या फायदा! मैं जरूर ही तुम्हें पकड़ लूंगी। छोटी बुद्धू चिड़िया, मेरी तरफ देखो।” दर्जी की पत्नी बेहतर जानती थी कि यदि एक चिड़िया सांप की आंखों में देखती है तो वह इतना ज्यादा डर जाती है कि हिल भी नहीं सकती। दर्जी की पत्नी दुखी स्वर में बोलते हुए जमीन के साथ-साथ फड़फड़ाती बढ़ रही थी । नागिन ने अपनी चाल तेज की। रिक्की – टिक्की ने उन्हें अस्तबल के ऊपर के रास्ते पर जाते हुए सुना और वह दीवार के करीब खरबूजों की क्यारी की ओर दौड़ा।

वहां उसने खरबूजों के ऊपर बड़ी चालाकी से छिपाए हुए पच्चीस अंडे देखे। उनके ऊपर सख्त छिलका नहीं था, सिर्फ सफेद – सी झिल्ली थी ।” मैं ठीक वक्त पर ही आ गया, ” उसने कहा, क्योंकि उसे झिल्ली के अंदर कोबरा के बच्चे नजर आ रहे थे और वह जानता था कि उससे बाहर निकलते ही वे एक-एक आदमी या नेवले को मार सकते हैं। जितनी तेजी से वह कर सकता था एक-एक अंडे को तोड़कर बच्चों को कुचलता गया। अंत में केवल तीन अंडे बाकी बचे और रिक्की टिक्की ने अपने आप ही हंसना शुरू कर दिया। जब उसने दर्जी की पत्नी को यह चिल्लाते सुना, “रिक्की – टिक्की, मैं नागिन को मकान की तरफ ले गई थी। वह बरांडे में चली गई है। जल्दी आओ, वह मार देगी।” तो उसने दो अंडे कुचल दिए और तीसरे को अपने मुंह में रखकर, जितनी जल्दी हो सकता था, बरांडे की ओर भागा।

टैडी और उसके माता – पिता बरांडे में नाश्ते के लिए बैठे थे। रिक्की – टिक्की ने देखा कि वे लोग कुछ खा नहीं रहे थे। वे पत्थर की तरह बिना हिले-डुले बैठे थे और उनके चेहरे सफेद पड़ गए थे। नागिन कुंडली मारे टैडी की कुर्सी के पास नीचे चटाई पर बैठी थी। वह टैडी के नंगे पांव से वार करने लायक दूरी पर थी और इधर-उधर लहराते हुए अपनी जीत का गाना गा रही थी ।

“बड़े आदमी के लड़के, जिसने नाग को मारा था,” वह फुफकार रही थी, “शांत बैठो। मैं अभी तैयार नहीं हूं, थोड़ा इंतजार करो। तीनों बिल्कुल स्थिर बैठे रहो। अगर हिले तो मैं मार दूंगी और अगर तुम नहीं हिले तब भी मारूंगी। ओह बेवकूफ लोगो, तुमने मेरे नाग को मारा है ।”

टैडी की आंखें अपने पिता पर जमी थीं और उसका पिता सिर्फ फुसफुसाकर बोल सकता था, “टैडी, बिल्कुल शांत बैठे रहे, जरा भी नहीं हिलना।” तभी रिक्की टिक्की आ गया और चिल्लाया, “पीछे घूमो नागिन, पीछे घूमो और मुझसे लड़ो।”

“तुम्हारे साथ मैं बाद में हिसाब चुकता करूंगी, रिक्की – टिक्की । अपने दोस्तों को देखो, कैसे शांत और सफेद हैं, वे डरे हुए हैं। वे हिलने की हिम्मत नहीं कर सकते। अगर तुमने एक कदम भी और आगे बढ़ाया तो मैं वार कर दूंगी । “ अपने अंडों को देखा,” रिक्की – टिक्की ने कहा, “दीवार के पास खरबूजों की क्यारी में जाओ और देखो।” बड़ी सांपिन आधा घूम गई और बरांडे में रखे अपने अंडे को देखा । ‘यह मुझे दे दो,” उसने कहा। रिक्की टिक्की ने अपने आगे के दोनों पंजे अंडे के दोनों ओर रख दिए। उसकी आंखें खून की तरह लाल थीं।

“एक सांप के अंडे की क्या कीमत है, एक छोटा कोबरा आखिरी, बिल्कुल आखिरी संतान । बाकी सबों को खरबूजों की क्यारी में चीटियां खा रही हैं।” नागिन पूरा घूम गई और अपने एक अंडे के लिए सब कुछ भूल गई ।

रिक्की – टिक्की ने देखा कि टैडी के पिता ने अपना बड़ा-सा हाथ आगे बढ़ाया और टैडी को मेज के ऊपर से होकर उठा लिया। वह अब नागिन की पहुंच से दूर और सुरक्षित था।

“चालाकी चालाकी, ” रिक्की टिक्की चहका, “लड़का सुरक्षित है। वह मैं ही हूं जिसने कल रात नाग को फन से पकड़ा था।” और तब उसने ऊपर-नीचे चारों पैरों से एक साथ कूदना शुरू कर दिया। “उसने मुझे इधर-उधर फेंका। लेकिन वह मुझे हिला नहीं सका। जब बड़े आदमी ने उसे गोली से दो टुकड़ों में उड़ाया, वह पहले से ही मरा हुआ था। यह मैंने किया है, रिक-टिक-टिक-टिक। अब नागिन आओ और मुझसे लड़ो।” नागिन ने देखा कि उसने लड़के को मारने का मौका खो दिया है और उसका अंडा रिक्की के पंजों में है। उसने अपना फन नीचे करके कहा, “रिक्की टिक्की, मुझे मेरा अंडा दे दो, मेरा आखिरी अंडा। मैं दूर चली जाऊंगी और कभी वापस नहीं आऊंगी।”

“हां, तुम जाओगी और कभी वापस नहीं आओगी, क्योंकि तुम कूड़े के ढेर पर नाग के पास जाओगी। लड़ाई करो। बड़ा आदमी अपनी बंदूक लाने गया है। लड़ो।” रिक्की टिक्की नागिन की पहुंच से बचते हुए उसके चारों ओर घूम रहा था। उसकी आंखें गर्म कोयले की तरह थीं।

नागिन ने अपने-आपको इकट्ठा किया और रिक्की – टिक्की पर तेजी से झपटी । वह ऊपर होकर पीछे कूद गया। उसने बार-बार वार किया। हर बार उसका सिर जोर की आवाज के साथ बरांडे की चटाई से टकराया और फिर वह घड़ी के स्प्रिंग की तरह सिमट गई।

रिक्की – टिक्की नागिन के पीछे रहने के लिए गोले में नाच रहा था और नागिन उसके सामने आने के लिए गोल-गोल घूम रही थी। रिक्की – टिक्की अंडे को भूल ही गया था, जो बरांडे में पड़ा था। नागिन उसके पास, और पास आती गई, और जब रिक्की-टिक्की सांस खींच रहा था, उसने अंडे को मुंह में दबाया और बरांडे से नीचे उतरकर तीर की तरह रास्ते में भागी। रिक्की टिक्की उसके पीछे था। वह जानता था कि उसे उसको पकड़ना है, नहीं तो सारी मुसीबत फिर से शुरू हो जाएगी। वह सीधी कांटेवाली झाड़ियों के पास ऊंची घास की ओर जा रही थी । रिक्की – टिक्की ने सुना, दर्जी अभी भी अपना जीत का गीत गा रहा था। लेकिन उसकी पत्नी ज्यादा बुद्धिमान थी। वह अपने घोंसले से उड़ी और जब नागिन पास आई तो उसके सिर के ऊपर अपने पंख फड़फड़ाए। अगर दर्जी ने उसकी मदद कर दी होती तो उन्होंने उसको तभी पलट दिया होता। नागिन ने सिर्फ अपना सिर नीचे किया और चलती गई। फिर भी इस पल भर की देरी ने ही रिक्की टिक्की को उसके पास पहुंचा दिया। वह उस चूहे के बिल में कूद गई जिसमें वह और नाग रहा करते थे। रिक्की टिक्की के दांत उसकी पूंछ को पकड़े थे और वह भी नागिन के साथ नीचे बिल के अंदर चला गया। बहुत कम नेवले ही, चाहे वे कितने भी होशियार क्यों न हों, बिल में सांप का पीछा करते होंगे।

बिल के अंदर अंधेरा था। रिक्की टिक्की नहीं जानता था कि यह बाहर कब खुलेगा और वहां नागिन को मुड़ने का मौका मिलेगा और वह वार करेगी। उसने बहुत जोर से पकड़ रखी थी बिल की गर्म, नम ढलान । उसके पैर ब्रैक का काम कर रहे थे। तभी बिल के मुंह के पास की घास ने हिलना बंद कर दिया और दर्जी ने कहा, “रिक्की टिक्की खत्म हो गया है। हमें उसके मौत का गीत गाना चाहिए। बहादुर रिक्की – टिक्की मर गया, क्योंकि नागिन उसे जमीन के नीचे जरूर ही मार देगी।” इसलिए उसने एक बहुत ही दुख भरा गीत गाया, जिसे उसने उसी मिनट बनाया था। जैसे ही वह गीत के सबसे ज्यादा दिल को छू लेने वाले भाग पर आया, घास फिर से हिली और कीचड़ से लथपथ अपनी मूंछों पर ताव देता, धीरे-धीरे अपने को घसीटता रिक्की – टिक्की बिल से बाहर आया।

एक चीख के साथ दर्जी चुप हो गया। रिक्की टिक्की ने अपने ऊपर से मिट्टी झाड़ी और जोर से छींका, “सब खत्म हो गया है। वह बाहर कभी नहीं आएगी।” घास में रहने वाली चींटिंयों ने जब यह सुना तो वे देखने के लिए कि क्या वह सच बोल रहा है, एक के बाद एक बिल में जाने लगीं। रिक्की टिक्की ने अपने शरीर को गोल कर लिया और घास में सो गया । वह सोता गया, सोता गया और शाम को उठा; क्योंकि उसने दिन में बहुत कठिन परिश्रम किया था।

जब वह उठा तो उसने कहा, “अब मैं वापस घर में जाऊंगा। दर्जी, तुम कॉपर स्मिथ को बता दो, वह बाग में सबको बता देगा कि नागिन मर गई है।” कॉपर स्मिथ एक पक्षी है जिसकी आवाज तांबे के बर्तन पर छोटी हथौड़ी मारने जैसी होती है। वह शहर का डोंडी पीटने वाला है, इसलिए इस आवाज को हमेशा करता रहता है। सब बागों में, सब खबरों को, कोई सुनना चाहे या न सुनना चाहे, सबको सुनाता रहता है।

जब रिक्की – टिक्की रास्ते से होकर जा रहा था, उसने सावधान के स्वर सुने और उसके बाद “ डिंग डांग टॉक। नाग मर गया – डांग, नागिन मर गई- डिंग डांग टॉक।” यह सुनकर बाग की सब चिड़ियां गाने लगीं और मेंढक टरटराने लगे, क्योंकि नाग-नागिन मेंढकों और चिड़ियों को खा जाते थे। जब रिक्की टिक्की घर पहुंचा, टैडी, उसकी मां, जो बहुत सफेद लग रही थी, और उसके पिता बाहर आए और उसे देखकर लगभग रो पड़े। उस रात उन्होंने जो कुछ उसे खाने के लिए दिया उसने जितना ज्यादा से ज्यादा खा सकता था, खाया और टैडी के कंधे पर बैठकर सोने चला गया।

देर रात को वे टैडी के कमरे में गए, “उसने हमारी और टैडी की जान बचाई है,” टैडी की मां ने उसके पिता से कहा, “जरा सोचो, उसने हम सबकी जान बचाई है।” रिक्की टिक्की जागकर कूदा, क्योंकि नेवले हल्की नींद सोते हैं।”ओह! ये आप हैं,” उसने कहा, “अब आप किस बात का फिक्र कर रहे हैं। सारे सांप मर गए हैं और अगर नहीं भी मरे हों तो मैं तो यहां हूं ही न !” रिक्की – टिक्की को अपने ऊपर गर्व करने का अधिकार था, लेकिन उसे बहुत ज्यादा घमंड नहीं हुआ। उसने बागीचे को ठीक उसी तरह रखा, जैसा कि एक नेवले को रखना चाहिए अपने दांतों से, उछल-कूद से और काटकर । फिर किसी सांप ने बागीचे के अंदर अपनी शक्ल दिखाने की हिम्मत नहीं की।

**समाप्त**

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