चैप्टर 7 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 7 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

चैप्टर 7 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल, Chapter 7 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

Chapter 7 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

Chapter 7 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

साजन पिया के इस सवाल से हैरान रह गया और उसकी नज़र नीचे लॉन गार्डन में पौधों को पानी देती नैना की तरफ घूम गई।

“नहीं होंगे ना!” पिया ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा।

“पता नहीं!” अपने आप ही साजन के मुँह से निकला। उसकी नज़र अब भी नैना पर थी।

“क्या?” पिया चौंक गई।

“ऑफकोर्स नॉट!” साजन का ध्यान पिया की तरफ लौटा, “ऑफकोर्स नॉट! ऐसे इंसान की तरफ अट्रैक्ट होना तो नामुमकिन है।”

“देखा, सही कहा ना मैंने…आप भी मेरी बात पर एग्री करते हैं।”

“हम्म!” सिर हिलाते हुए साजन ने कहा और उसकी नज़र फिर नीचे लॉन में खड़ी नैना की तरफ घूम गई।

“आइये नीचे चलते हैं। मैं आपको हमारा गार्डन दिखाती हूँ।“ पिया ने साजन से कहा।

“हम्म!” साजन ने अपनी नज़र नैना से हटाते हुए हामी भरी और दोनों कमरे से बाहर निकल गया।

कुछ देर में दोनों गार्डन के लॉन में पहुँच चुके थे। नैना अब भी पौधों को पानी देने में मगन थी। उसके पीछे से गुज़रते हुए पिया ने कहा, “दी आज पौधों को पानी देने का मूड कैसे हो गया?”

“बस यूं ही!” कहते हुए नैना पलटी। उसके होंठों पर मुस्कराहट थी और हाथ में पानी की बौछार छोड़ता पाइप, जिसका डायरेक्शन सीधा साजन की तरफ था। साजन हड़बड़ाकर कुछ कदम पीछे हटा और कुछ हैरान और कुछ खीझी हुई नज़र से नैना को देखने लगा।

“सॉरी!” अपनी गलती का अहसास होते ही नैना ने जीभ काटकर कहा और पलट गई।

पिया और साजन आगे बढ़ गये। मगर साजन की बार-बार पलटती नज़र नैना पर ही थी। उधर नैना सिर पकड़कर सोच रही थी, “बदल गया है ये…इतने साल में घूरना सीख गया…वरना पहले तो…ऊंह मैं भी ना, क्यों इसके बारे में सोच रही हूँ।“ वह तिरछी नज़र से पिया को देखते हुए खुद में बड़बड़ाई, “चाहे कितना ही गार्डन दिखा दे पिया, जाना इसे अंगूठा दिखाकर ही है।”

कुछ दूरी पर खड़ी पिया साजन को गुलाब के फूल दिखा रही थी।

“वाव ब्यूटीफुल! आपको गार्डनिंग का शौक है?” साजन ने उससे पूछा।

“मुझे तो नहीं, पापा को है। थोड़ा बहुत दी को भी है। ये नागफनी देख रहे हैं ना! ये दी ने ही लगाया है।”

“हाँ! वो नागफनी ही लगा सकती है। वो ख़ुद नाग भी है और फनी भी।“ साजन होंठों ही होंठों में बुदबुदाया।

पिया उसके हिलते हुए होंठ देखकर पूछ बैठी, “कुछ कहा आपने?”

“न…नहीं तो…काफ़ी फनी है…आई मीन खूबसूरत है ये नागफनी।“ साजन हड़बड़ा सा गया।

उसकी बात सुनकर पिया खिलखिला उठी, “आप भी बहुत फनी हैं।”

पिया की बात पर शरमाते हुए साजन ने अपने बालों पर हाथ फिराया। तभी पिया का मोबाइल बज उठा।

“कॉल ले लूं?” पिया साजन को देखती हुई बोली।

“हाँ हाँ! ये भी कोई पूछने की बात है।“ साजन ने कहा।

पिया कॉल पिक करके उससे कुछ दूर जाकर खड़ी हो गई और बातें करने लगी। साजन इधर-उधर देखने लगा। अचानक नैना के कराहने की आवाज़ उसके कानों में पड़ी –

“आह!”

उसकी नज़र नैना की तरफ घूम गई। नैना अपना कंधा सहला रही थी। साजन नैना को देख ही रहा था कि बाउंड्री वॉल पर एक तेरह-चौदह बरस का लड़का चढ़कर खड़ा हो गया और तेज आवाज़ में नैना से बोला, “नैना दी! बॉल दो ना!”

उसकी तेज़ आवाज़ सुनकर नैना ने कंधा सहलाना छोड़ा और उस पर भड़कते हुए बोली, “तुम लोग कब सुधरोगे बंटी? कितनी बार कहा है कि ग्राउंड में जाकर क्रिकेट खेला करो। मगर तुम लोग हो कि मानते ही नहीं। गली में ही खेलते हो और कभी किसी का शीशा, तो कभी किसी का सिर फोड़ते हो। आज मेरा कंधा तोड़ दिया।”

“कहाँ टूटा है कंधा…लगा हुआ तो है।“ बंटी लापरवाही से बोला, “और टेनिस बॉल से क्या किसी का कंधा टूटेगा दी। दे दो ना बॉल!”

“नहीं मिलेगी बॉल। बॉल मांगने से पहले मैनर्स सीखकर आ। चला आया बॉल मांगने…”

“अरे दी! फालतू की बहसबाज़ी मत करो…बॉल दो ना…मैच रुका हुआ है।”

“हाँ तो कौन सा वर्ल्ड कप का मैच रुका हुआ है…पढ़ना लिखना कुछ नहीं…दिन भर आवारागर्दी….।”

“अरे दी, आप बात को कहाँ से कहाँ पहुँचा रही हो…हटो…मैं ख़ुद ही आकर बॉल ले लेता हूँ।“ कहकर बंटी कूदने को हुआ।

“तू कूदा ना बंटी, तो देख ले…” नैना ने पाइप का डायरेक्शन बंटी की तरफ कर दिया।

खुद को भीगने से बचाने के लिए बंटी बाउंड्री वॉल पर ही दूसरी तरफ भागा। ये नज़ारा देखकर साजन सोचने लगा, “इतने सालों में भी ये बिल्कुल नहीं बदली। वैसी की वैसी ही है…लड़ाकी”

बंटी को बाउंड्री वॉल पर इधर-उधर भागते देख नैना हँस पड़ी। उसके हँसी को गुस्सा उतरने का सिग्नल मानकर बंटी ने बॉल मांगने की एक और कोशिश की, मगर इस बार दूसरे तरीके से। वह कान पकड़कर बोला, “नैना दी…लो सॉरी बोलता हूँ…कान भी पकड़ता हूँ और उठक-बैठक भी करता हूँ…अब तो बॉल दे दो ना…प्लीज!।“ साथ ही वह उठक-बैठक भी करने लगा।

“तो पहले नहीं बोल सकता है सॉरी…“ उसे उठक-बैठक करता देख नैना का दिल पसीज गया, “ले तू भी क्या याद रखेगा।“ कहते हुए खुला पानी का पाइप नीचे घास पर फेंककर वह बॉल उठाने चली गई। बॉल लेकर वह बाउंड्री वॉल के करीब आई और पूरा ज़ोर लगाकर बॉल बंटी की तरफ उछाल दी। बंटी बॉल लपककर नीचे कूद गया।

बॉल फेंकते समय नैना का पैर पाइप से निकलते पानी से गीली हो चुकी घास और मिट्टी पर पड़ गया। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी। दूर खड़े साजन की नज़र अब भी उस पर ही थी। उसे फिसलता देखकर वह उसकी तरफ दौड़ा और पास आकर उसे संभालने लगा। वह उसे संभाल तो नहीं पाया, खुद ज़रूर गिर पड़ा। नैना उसके ऊपर गिर पड़ी।

एक पल को दोनों को कुछ समझ नहीं आया। जब समझ आया, तब नैना साजन के सीने से चिपकी हुई थी और साजन की बाहों ने उसे कसकर जकड़ा हुआ था। साजन की धड़कनों की रफ़्तार नैना के कानों में घुलकर उसके दिल की धड़कन बढ़ा रही थी। अपनी धड़कनों को संभालते हुए नैना ने धीरे से सिर उठाया। उसकी नज़र साजन पर पड़ी, जिसका चेहरा उसके झीने दुपट्टे के पीछे छुपा हुआ था। उसने हाथ बढ़ाकर धीरे से उसके चेहरे से दुपट्टा सरकाया और दोनों की नज़रें टकरा गईं। जाने क्या था साजन की नज़रों में कि नैना की नज़रें झुक गई।

साजन कुछ देर तक नैना को निहारता रहा, जिसके गोरे गालों पर गुलाबी रंगत छा रही थी। कुछ देर उसे निहारने के बाद वह धीरे-से बोला, “गिरने की आदत गई नहीं तुम्हारी?

नैना ने अपनी गिरी हुई पलकें उठाईं और उसकी आँखों में देखते हुए ही ख़ामोशी से उठने की कोशिश करने लगी। मगर उसका पैर दोबारा फिसला और वह फिर साजन के सीने में समा गई। जाने क्या हुआ कि साजन ने इस बार फिर उसे अपनी बाहों में भर लिया और आँखें मूंद लीं।

क्रमश:

क्या हो रहा है नैना और साजन के बीच? क्या दोनों फिर करीब आ जायेंगे? और पिया का क्या? साजन तो पिया को देखने आया है। क्या लगता है आपको, साजन किसे पसंद करेगा? नैना या पिया?

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Author  – Kripa Dhaani

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