चैप्टर 5 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 5 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

चैप्टर 5 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल, Chapter 5 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi By Kripa Dhaani, Chapter 5 Pyar Ka Pagalpan School Love Story In Hindi 

Chapter 5 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel

Chapter 5 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel

नैना रानी के साथ जब नीचे पहुँची और ड्राइंग रूम से गुज़रते हुए किचन की ओर बढ़ी, तो उसे महसूस हुआ कि एक जोड़ी आँखें उसे घूर रही है। उसने धीरे से नज़र घुमाई, तो देखा कि साजन उसे घूर रहा है। 

नैना ने झट नज़रें फिराकर सिर झुका लिया और जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर किचन में चली गई। किचन में लज्ज़तदार खाने की महक ने उसका स्वागत किया। 

“क्या बनाया है मम्मा? बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है।“ नैना ने कहा और एक कढ़ाई से ढक्कन हटाकर उसमें उंगली डुबोने लगी।

रानी ने उसके हाथ पर चपत जमाई और बोली, “बचपन की आदत जाएगी नहीं तेरी! मेहमान झूठा खायेंगे तेरा?”

“झूठा खाने से प्यार बढ़ता है मम्मी!” नैना ने रानी के कंधे पर सिर रखकर लड़ियाते हुए कहा।

“अच्छा! किससे प्यार बढ़ाना है तुझे?” रानी तुनककर बोली और साजन का चेहरा नैना के सामने घूम गया। वह चुप पड़ गई और खुद को कोसने लगी कि वह क्या बोल गई। 

“जा डाइनिंग टेबल पर प्लेट्स सजा।“ रानी ने कहा और नैना डाइनिंग रूम में चली गई।

वहाँ वह डाइनिंग टेबल पर प्लेट्स सजाने लगी और रानी बोल में डिशेस लाकर डाइनिंग टेबल पर रखने लगी। कुछ ही देर में डाइनिंग टेबल लज्ज़तदार खाने से सज चुका था।

“जा, सबको बुलाकर ले आ।“ रानी ने नैना से कहा।

“मैं!” नैना हड़बड़ा गई। वह साजन के सामने पड़ना नहीं चाहती थी। इसलिए ना-नुकर करने लगी, “आप चले जाओ ना मम्मा!”

नैना की ना-नुकर पर रानी झुंझला गई, “मेरी कोई बात तो मान लिया कर।“

मजबूरन नैना को जाना पड़ा। ड्राइंग रूम में जाते समय उसे सीध में बैठा साजन दिखाई पड़ा। दोनों की नज़र टकराई और साजन ने अपनी नज़र फ़ेर ली। नैना ने राहत की साँस ली, क्योंकि वो उसकी ही नज़रों से तो बचना चाहती थी। 

क़रीब पहुँचकर उसने नरेन्द्र से कहा, “पापा! लंच रेडी है।“

“चलिए मेहता साहब…आओ साजन बेटा।“ नरेन्द्र ने उठते हुए रमेश और साजन से कहा।

“चलिए आंटी जी!” नैना सलोनी से बोली और पिया को भी चलने का इशारा किया।

सभी डाइनिंग रूम में आ गये और हाथ धोकर कुर्सियों पर बैठ गये।

“इतना कुछ बना लिया है बहन जी आपने!” सलोनी ने डाइनिंग टेबल पर सजे व्यंजनों को देखकर रानी से कहा।

“ज्यादा कुछ नहीं है बहनजी! नैना को तो आने में देर हो गई। मैं और पिया जितना कर सकते थे, उतना ही किया है।“ रानी ने ये जताने की कोशिश की कि पिया ने भी खाना बनाया है। हालांकि असलियत ये थी कि चाय के सिवाय उसे कुछ भी बनाना नहीं आता था।

“नैना बेटा! पापा को परोस दे…” रानी ने नैना से कहा और ख़ुद मेहता जी को सर्व करने लगी।

उसी समय पिया का मोबाइल बजा। वह कुर्सी से उठी और ‘एक्स्क्यूज़ मी’ कहकर वहाँ से चली गई।

नैना नरेन्द्र की ओर बढ़ी, तो नरेन्द्र ने कहा, “पहले साजन को सर्व कर दे।“

साजन को सर्व करने की बात पर नैना को हिचकिचाहट होने लगी। मगर यहाँ ना-नुकर ठीक नहीं था। हिचकिचाते हुए सिर झुकाये वो साजन के पास गई और एक चम्मच में बोल से पनीर की सब्जी निकालकर उसके सामने रखी प्लेट में डालने लगी। जाने क्यों उसके क़रीब खड़े होकर वो इतनी घबरा गई कि उसके हाथ कांपने लगे और उसके कंपकंपी छूटते हाथ हिलते-डुलते साजन के सामने रखी प्लेट की जगह उसकी शर्ट की तरफ बढ़ गये।  

साजन का ध्यान जब इस ओर गया, तो उसने अपनी शर्ट बचाने के लिए नैना का हाथ पकड़ लिया। उसका हाथ पकड़ना था कि नैना को मानो चार सौ चालीस वोल्ट का झटका लगा। उसका पूरा जिस्म झन्ना सा गया और वो ऊपर से नीचे तक कांप गई।

साजन उसका हाथ पकड़े-पकड़े चम्मच अपनी प्लेट तक ले गया और पनीर उसमें डालकर उसका हाथ छोड़ा। नैना हक्की-बक्की सी खड़ी रह गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अभी हुआ क्या? उसी समय पिया कॉल अटेंड कर वापस डाइनिंग रूम में आई। नैना उसे चम्मच थमाकर फुसफुसाते हुए बोली, “तू सर्व कर दे पिया।“ 

पिया साजन को सर्व करने लगी और नैना नरेन्द्र को। नरेन्द्र को सर्व करते-करते नैना सोच रही थी  – ‘अब तो ये करंट भी मारने लगा।‘

उधर साजन नज़र जमाये बड़े गौर से उसे देख रहा था। नैना ने तिरछी नज़र से उसे देखा और मन ही मन बुदबुदाई, “बेशर्म! कैसी खा जाने वाली नज़रों से घूर रहा है, मानो लंच की जगह मुझे ही खा जायेगा। क्या करूं? कैसे भागूं यहाँ से?”

मगर उसके पास वहाँ से भागने का कोई रास्ता नहीं था। वह नरेन्द्र को लंच सर्व कर चुपचाप उनकी चेयर के पीछे खड़ी हो गई।

उसे यूं खड़ा देखकर सलोनी ने कहा, “अरे बेटा, क्या नाम बताया तुमने?”

“जी नैना!”

“खड़ी क्यों हो? आओ तुम भी बैठो।“

“नहीं आंटी जी! आप लोग खाइए….मैं बाद में….”

“अरे बैठो और बहन जी आप भी बैठिये। जैसी ज़रूरत होगी, हम लोग ले लेंगे।“ सलोनी ज़ोर देकर नैना और रानी से बोली।

नैना और रानी ने एक-दूसरे को देखा और दो खाली चेयर पर बैठ गईं। अब नैना की हालत और ख़राब थी, क्योंकि अब वो सीधे साजन के सामने बैठी थी। उसने चुपचाप अपनी प्लेट में दो पूड़ी और पनीर की सब्जी ली और धीरे-धीरे खाने लगी।

“नैना बेटा! आप क्या करती हो?” साजन के पिता रमेश ने पूछा।

“अंकल एक मैगज़ीन में राइटर हूँ….कॉलम लिखती हूँ और रेडियो पर एक वीक-ली शो होस्ट भी करती हूँ।“ नैना ने शालीनता से जवाब दिया।

“गुड गुड! क्रिएटिव फील्ड में हो…बचपन से यही करना चाहती थी?” रमेश ने बातों का सिलसिला आगे बढ़ाया।

“नहीं अंकल! बस जैसा मौका मिलता गया, करती गई। अभी करियर को एक डायरेक्शन देना बाकी है।“

“आजकल के बच्चे करियर को लेकर बड़े कॉन्सस हैं मेहता साहब!” नरेन्द्र बीच में बोल पड़े, “अपने मन की पोजीशन तक पहुँचने के पहले शादी करना ही नहीं चाहते।“

“ठीक कहा खन्ना साहब! हमारा साजन तो बचपन में डॉक्टर बनना चाहता था। मगर किस्मत ने इसे इंजीनियर बना दिया…“

ये सुनना था कि नैना को ठसका-सा लगा और वह खांसने लगी। सामने बैठे साजन ने उसकी तरफ पानी का गिलास बढ़ा दिया। पहले तो नैना हिचकिचाई, फिर गिलास हाथ में लेकर धीरे-धीरे पानी पीने लगी। उसकी निगाह नीची थी, मगर साजन उसे बड़ी अजीब नज़रों से देख रहा था।

रमेश की बात जारी थी, “…अब भी बड़ी प्लानिंग है इसकी। शादी के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था। बड़ा समझाने-बुझाने के बाद अब माना है। भई हमारा तो मानना है कि सही समय पर शादी हो जानी चाहिए। सलोनी जी से हमने जब शादी की थी, तब वो अठारह बरस की थी और हम इक्कीस के। हमारी दुकान में साड़ी ख़रीदने आई थी और हम इन्हीं के पल्लू में बंध गये। क्यों सलोनी जी?” 

रमेश की बात पर सलोनी शरमा गई और उन्हें कोहनी मारते हुए बोली, “आप भी ना! कहीं भी कुछ भी कह देते हो।“

सभी लोग हँस पड़े।

रमेश आगे बोले, “नैना बेटा! करियर शादी के बाद भी बन जायेगा। मेरी मानो तो शादी कर लो। क्यों साजन, तुम्हारा दोस्त है ना तुषार….वो भी तो शादी के लिए लड़की ढूंढ रहा है ना?”

रमेश का ये कहना था कि नैना और साजन दोनों की निगाहें हैरानगी से एक-दूसरे की तरफ घूम गई।

“हाँ बहन जी! बड़ा सोना मुंडा है तुषार….” सलोनी रानी से बोली और साजन को भी अपनी बात में लपेट लिया, “नैना के साथ तो बड़ी सुंदर जोड़ी लगेगी तुषार की। क्यों साजन?” 

“नहीं माँ! उसे अभी शादी नहीं करनी।“ साजन ने झट से कहा, फिर चम्मच से मुँह में खीर डालता हुआ आराम से बोला, “वैसे भी उसे लव मैरिज करनी है।“

“तो लव करवा दे नैना का उससे।“ सलोनी ने कहा और चम्मच साजन के मुंह से प्लेट में गिर पड़ी।

क्रमश:

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Author  – Kripa Dhaani

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क्या साजन नैना का अपने दोस्त तुषार से लव करवाएगा? पिया और साजन के रिश्ते की बात क्या फाइनल हो जायेगी? क्या साजन और नैना इस मुलाक़ात में एक दूसरे से बात करेंगे? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।

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