चैप्टर 4 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 4 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

चैप्टर 4 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल, Chapter 4 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

Chapter 4 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi 

Chapter 4 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi 

“….आई हेट साजन मेहता….” नैना बुदबुदाई और उसका हाथ अपने आप दायें गाल पर सरक गया। वह दायें गाल पर हाथ रखे उसे हैरत भरी निगाहों से देख रही थी। दस साल बाद वो उसके सामने था। एक पल को उसे लगा कि कहीं उसने उसे पहचानने में गलती तो नहीं कर दी। पर ऐसा नहीं था। वो था तो वही साजन मेहता, क्योंकि उसकी आँखों में भी वही हैरानी झलक रही थी, जो नैना की आँखों में थी।

“ये पिया की बहन नैना है साजन बेटा। तुम्हारे शहर भोपाल में ही जॉब करती है।” रानी ने नैना का परिचय दिया, तो उसने खुद को सहज करने की कोशिश की, मगर वह उसे देखकर अंदर तक हिल चुकी थी। उसे वहाँ से खिसकने में ही बेहतरी लगी।

“एक्सक्यूज मी!” उसने धीरे से कहा और वहाँ से निकल ली।

“सफ़र से आई है ना….” जाते-जाते रानी के ये शब्द उसके कानों में पड़े।

कमरे में पहुँचकर उसने दरवाज़ा बंद किया। बैग एक कोने में फेंका, सैंडिल पैरों से निकालकर उछाल दी, ये परवाह किये बगैर कि वे किस कोने में गिरी और ‘धम्म’ से बिस्तर पर लेट गई। उसकी साँसे धौंकनी की तरह चल रही थी। दिमाग में बस एक ही ख़याल था – ‘इस आई हेट साजन मेहता को मेरी ही बहन मिली थी।‘

उसने आँखें बंद की और अतीत की यादें किसी बहती नदी की तरह उसने ज़ेहन में तैरने लगी। वह उसमें डूबने लगी ही थी कि ‘चटाक’ की आवाज़ उनकी कानों में गूंजी और उसकी आँख खुल गई। हाथ दायें गाल पर सरक आया।

“ज़िन्दगी में कभी अपनी शक्ल मत दिखाना। आई हेट यू नैना खन्ना….” 

“एंड आई हेट यू साजन मेहता….” 

सालों पहले कहे गये ये शब्द नैना के कानों में गूंजने लगे। 

‘हे भगवान! कैसे जाऊं उसके सामने और क्यों? उफ्फ्! मैंने मम्मी से पहले क्यों नहीं पूछा कि पिया को जो लड़का देखने आ रहा है, वो कौन है। फोटो क्यों नहीं देखी मैंने? अब फंस गई ना!! शक्ल मत दिखाना कहा था उसने, अब क्या घूंघट ओढ़कर जाऊं? और मैं क्यों घूंघट ओढूं? घूंघट को पिया को ओढ़ना है…वैसे अब पिया भी क्या घूंघट ओढ़ेगी, इस साजन मेहता को तो उसे मना ही करना है…”   

नैना ये सब सोच ही रही थी कि दरवाज़े पर दस्तक हुई। 

“नैना दरवाज़ा खोल….” ये रानी की फुसफुसाती हुई आवाज़ थी।

“उफ्फ् चैन ही नहीं है लाइफ में….” बड़बड़ाते हुए नैना उठी और जाकर दरवाज़ा खोल दिया।

“तू अब तक फ्रेश नहीं हुई। जल्दी से फ़्रेश हो जा, चेंज कर और नीचे आ। सोचा था कि खाना बनाने में मेरी हेल्प करेगी। अब कम से कम सर्व करने में तो हेल्प कर दे।” रानी अब भी भुनभुना रही थी।

“उन्हें खाना खिलाने की क्या ज़रूरत है मम्मा…चाय पिलाकर चलता करो ना….” नैना खीझकर बोली। उसे तो पता था कि खाना खिलाने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि जाना तो उन्हें मना करके ही है।

रानी ने उसे घूरकर देखा। 

“फ़ालतू की सलाह मत दे। चुपचाप चेंज करके नीचे आ और हाँ सलवार सूट पहनना।” रानी नैना पर बरसकर और उसे हिदायत देकर नीचे चली गई।

“सलवार सूट!!!” नैना बड़बड़ाई, “अरे बुरका पहनने की ज़रूरत है मुझे। उस साजन मेहता को शक्ल नहीं देखनी मेरी। वैसे मुझे भी कौन सी उसकी शक्ल देखनी हैं? पर हैंडसम हो गया है बंदा। पहले कैसा भोंदू सा मोटू सा था। सारी चर्बी कहाँ गला ली इसने?” 

कुछ देर नैना साजन के बारे में सोचती रही। कैसे उसे देखकर वो सकपका गया था? कैसे वो बड़ी-बड़ी हैरान आँखें से उसे देख रहा था? 

“हुंह!” उसने मुँह बना लिया और बहाना सोचने लगी, ताकि उसे नीचे न जाना पड़े। मगर उसे कोई बहाना नहीं सूझा।इसलिए उसने नहाकर फ्रेश होकर नीचे जाने का मन बना ही लिया। रानी उसके कमरे का दरवाजा खोल गई थी। उसने दरवाजा बंद किया और जब मुड़ी, तो उसे कमरे की हालत का अंदाज़ा हुआ, जो उसकी तरह ही बेतरतीब था। उसने जाकर बैग और सैंडिल को सही जगह रखा। फिर कबर्ड से कपड़े निकालकर नहाने चली गई।

कुछ देर बाद जब वह नहाकर बाहर निकली, तो काफ़ी फ़्रेश महसूस कर रही थी। गीले बालों पर टॉवल लपेटे वह बालकनी में निकल आई। बाहर सुनहरी धूप खिली हुई थी। उसने सिर पर लिपटा टॉवल निकाला और बालों को झटककर सुखाने लगी। झटकते-झटकते अचानक टॉवल उसके हाथ से फ़िसला और नीचे गिर पड़ा।

“उफ्फ!” उसने माथा पीटा और रेलिंग पकड़कर नीचे झांकने लगी।

नीचे कोई उसके टॉवल में उलझा हुआ था।

‘कौन है ये?’ वह सोच ही रही थी कि टॉवल में उलझे शख्स ने टॉवल को खींचकर ख़ुद से अलग किया और सिर उठाकर ऊपर देखा।

“अरे…आई हेट साजन मेहता….” नैना का मुँह बिचक गया और हाथ दायें गाल पर सरक आया। 

साजन मोबाइल का सिग्नल ढूंढते-ढूंढते बाहर निकला था। अब उसे क्या पता था कि उसके सिर पर ये आफ़त टपकने वाली है। वह एक हाथ में मोबाइल और एक हाथ में टॉवल थामे ऊपर सिर उठाकार नैना को घूर रहा था।

नैना ने फ़ौरन दोनों हाथों से अपना मुँह छुपा लिया और झट से पलट गई। 

“बाप रे! अंगारे उगल रही हैं इसकी आँखें…” बड़बड़ाते हुए वह अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी, मगर तभी कोई चीज़ उसके सिर से आकर टकराई और उसके कदम लड़खड़ा गये। संभली, तो देखा कि वो बॉलनुमा शक्ल में उसका टॉवल था, जो साजन ने नीचे से ऊपर फेंका था। 

“ज़रूर गुस्से में मुझे ये फेंककर मारा होगा। अब भी खूसट का खूसट ही है।” बड़बड़ाते हुए नैना पलटी और रेलिंग पकड़कर नीचे झांकने लगी, मगर तब तक साजन अंदर जा चुका था।

“हे भगवान कैसे सामना करूंगी मैं इसका?” बड़बड़ाते हुए नैना ने आँखें बंद कर ली। अतीत की बिखरी यादें फिर जुड़ने लगी। कितनी ख़ूबसूरत यादें थीं! बुरी याद बस एक थी – ‘आई हेट साजन मेहता!’

वह अंदर गई और आइने के सामने बैठकर बाल संवारने लगी। उसने फ़िरोज़ी कलर का चूड़ीदार सलवार सूट पहन रखा था, जिस पर फ़िरोज़ी और रानी कलर का शेडेड दुपट्टा ख़ूब फ़ब रहा था। खूबसूरत रंगों ने नैना की खूबसूरती और निखार दी थी।

उसके कमरे का दरवाज़ा फिर खुला। रानी एक बार फिर उसके सामने हाज़िर थी।  

“इतना सज-संवर मत नैना…कहीं ऐसा न हो कि पिया की जगह वो तुझे पसंद कर ले।“ रानी आइने में दिख रही नैना को निहारते हुए बोली।

“वो मुझे पसंद कर ही नहीं सकता मम्मी!” नैना ने पलटकर पूरे कॉन्फिडेंस के साथ रानी की आँखों में देखते हुए कहा।

“क्यों?” 

“वो इसलिए, क्योंकि पिया मुझसे ज्यादा सुंदर है।“ नैना ने कहा। अब वजह वह अपनी माँ को क्या बताती? वो भी ऐसी वजह, जो दस साल पुरानी थी।

“मेरी दोनों बेटियाँ सुंदर हैं और ये लड़का किसी को भी पसंद कर ले, मुझे तो ख़ुशी ही होगी। तुझे पसंद कर ले, तो बहुत अच्छा है। नैना बेटा! इसने तुझे पसंद कर लिया, तो तू इससे शादी कर लेगी ना?”

“शादी और इससे!” नैना चीख पड़ी।

रानी ने उसे घूरकर देखा और भौंहें उचकाई।

“आई मीन….बताया तो है मम्मी आपको….अभी नहीं करनी शादी मुझे।“ नैना संभलते हुए बोली।

“तो कब करेगी?” रानी नाराज़ हो गई, “इतनी सुंदर लड़कियाँ होने का क्या मतलब! एक शादी के लिए तैयार ही नहीं होती…एक बड़ी मुश्किल से तैयार हुई है।“

रानी की इस बात पर नैना ने चुप रहने में ही भलाई समझी।

“वैसे चूड़ीदार सलवार सूट में बड़ी प्यारी लग रही है। नज़र न लग जाये तुझे।“ रानी ने नैना की बलायें लेते हुए कहा।

“आप भी कुछ कम नहीं लग रही मम्मी! कहीं ऐसा न हो कि वो आपको पसंद कर ले।“ नैना ने शरारत में भौंहें उचकाई।

“हट पगली! कुछ भी बोलती है।“ नैना के कंधे पर चपत जमाकर रानी ने हँसते हुए कहा, “चल लंच टाइम हो गया है। मेहमानों को भूख लग रही होगी।“

सिर हिलाते हुए नैना रानी के पीछे हो ली। नीचे ड्राइंग रूम से गुज़रते हुए जब वो किचन की ओर बढ़ी, तो उसे महसूस हुआ कि एक जोड़ी आँखें उसे घूर रही है। उसने धीरे से नज़र घुमाई, तो देखा कि साजन उसे घूर रहा है। 

क्रमश:

नैना कैसे करेगी साजन का सामना? क्या साजन पिया के रिश्ते को हां कहेगा? जानने के लिए पढ़िए Pyar Ka Pagalpan Romantic Upanyas का अगला भाग।

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Author  – Kripa Dhaani

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