चैप्टर 3 सेवासदन उपन्यास मुंशी प्रेमचंद

Chapter 3 Sevasadan Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters पण्डित कृष्णचन्द्र रिश्वत लेकर उसे छिपाने के साधन न जानते थे । इस विषय में अभी नोसिखुए थे। उन्हें मालूम न था कि हराम का माल अकेले मुश्किल से पचता है। मुख्तार ने अपने मन मे कहा, हमीं ने सब कुछ किया … Read more