चैप्टर 1 सेवासदन उपन्यास मुंशी प्रेमचंद

Chapter 1 Sevasadan Novel By Munshi Premchand Next | All Chapters पश्चाताप के कड़वे फल कभी-न-कभी सभी को चखने पड़ते हैं, लेकिन और लोग बुराईयों पर पछताते हैं, दारोगा कृष्णचन्द्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे। उन्हें थानेदारी करते हुए पच्चीस वर्ष हो गए, लेकिन उन्होंने अपनी नीयत को कभी बिगड़ने नहीं दिया था। यौवनकाल … Read more