चैप्टर 9 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी रोमांस नॉवेल | Chapter 9 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

चैप्टर 9 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी रोमांस नॉवेल, Chapter 9 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

Chapter 9 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

Chapter 9 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

हर कदम के साथ पुराने स्कूल की ढेरों यादें दर्पण के ज़ेहन में तैर रही थी। अपने स्कूल से वो बहुत प्यार करती थी, वहाँ उसने अब तक की अपनी पूरी ज़िन्दगी गुज़ारी थी। नर्सरी में एडमिशन के बाद स्कूल का पहला दिन उसे अब भी याद था, जब वो चीख-चीख कर रो रही थी और स्कूल का आखिरी दिन भी, जब उसकी आँखें रो रही थी और दिल चीख रहा था। फ़र्क बस इतना था कि पहली बार वो स्कूल न जाने के लिए रोई थी और आखिरी बार स्कूल न छोड़ने के लिये। वो नहीं जानती थी कि इस नये स्कूल को वो उसी तरह प्यार कर पायेगी या नहीं। हालांकि, दिल से वो चाहती थी कि वैसा ही हो।

इस स्कूल का कैम्पस भोपाल के स्कूल के कैम्पस से बड़ा था। इस कैम्पस में स्कूल की मेन बिल्डिंग के अलावा क्लास ६ से १२ तक के स्टूडेंट्स के गर्ल्स और बॉयज हॉस्टल, प्लेग्राउंड, टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट, ऑडिटोरियम, कैफेटेरिया के साथ-साथ जिम, स्विमिंगपूल और कई गार्ड़न्स थे। पूरा कैम्पस एक्स्प्लोर करने में कई दिन लगने वाले थे। उस समय दर्पण जो देख पा रही थी, वो थी यहाँ की हरियाली। उसका पुराना स्कूल एक कांक्रीट स्ट्रक्चर था, फिर भी वहाँ उसकी आत्मा समाई हुई थी। इस वक़्त उसे ऐसा महसूस हो रहा था, मानो उसकी आत्मा नोंच कर निकाल ली गई हो और वह एक मुर्दा इंसान की तरह अपनी माँ के पीछे-पीछे चली जा रही हो।

दोनों स्कूल की मेन बिल्डिंग में दाखिल हुए। दर्पण अब भी शालिनी के पीछे थी, मगर उनके बीच का फ़ासला बढ़ चुका था।

स्कूल की मेन बिल्डिंग पुराने स्टाइल की थी, पर ख़ूबसूरत थी। वो दोनों लंबे कॉरिडोर से होकर प्रिंसिपल ऑफिस की ओर चली जा रही थीं। प्रिंसिपल का ऑफिस खोजना शालिनी की ज़िम्मेदारी थी। दर्पण को बस उसे फॉलो करना था। 

कॉरिडोर से गुज़रते हुए दर्पण की आँखें उत्सुकतावश इधर-उधर नाच रही थी। ये वो जगह थी, जहाँ अब उसे पूरा एक साल गुज़ारना था। वो जानना चाहती थी कि यहाँ क्लासेज कितनी बड़ी हैं, बेंच कैसे हैं, स्कूल की ड्रेस का कलर कैसा है और उससे कहीं ज्यादा टीचर्स और स्टूडेंट्स कैसे हैं?

चलते-चलते उसकी नज़र एक क्लास रूम के दरवाज़े के ऊपर लिखे ‘क्लास 12th’ A Maths Section’ पर पड़ी और उसके कदम ठिठक गये। ये उसकी क्लास थी, जहाँ अब उसे हर दिन आना था। जिज्ञासा उसके अंदर इतनी जाग चुकी थी कि वह ख़ुद को खिड़की के भीतर झांकने से रोक नहीं सकी।  

अंदर उसे हल्के हरे रंग की साड़ी पहने एक उम्रदराज़ गोल-मटोल सी टीचर नज़र आई, जिनके सफ़ेद बालों के जूड़े पर लाल गुलाब का फूल लगा हुआ था। वह बोर्ड पर कुछ लिख रही थीं और सामने के बेंच पर बैठे स्टूडेंट्स उसे बड़ी ही तल्लीनता से अपने नोटबुक में उतार रहे थे। हर स्कूल की तरह यहाँ भी बैक-बेंचर ख़ुसुर-फुसुर में लगे हुए थे। जिस खिड़की से दर्पण झांक रही थी, उसके किनारे बैठा लड़का थोड़ा कलाकार किस्म का था। वह बड़ी ही तल्लीनता से टीचर का कार्टून बनाने में मग्न था। उसमें आगे चलकर बेस्ट कार्टूनिस्ट बनने के पूरे गुण थे। 

दर्पण वहीं खड़ी क्लास की एक्टिविटी देखती रही। कुछ ही देर में उसकी मौज़ूदगी कार्टूनिस्ट लड़के ने भांप ली और पलटकर उसकी ओर देखने लगा। दर्पण की नज़र जब उससे टकराई, तो वह हड़बड़ा गई। इसके पहले कि वो अपनी नज़र हटा पाती, लड़के ने अपनी एक आँख दबा दी और मुस्कुराने लगा।

दर्पण को आज तक कभी किसी लड़के ने आँख नहीं मारी थी। वह अब तक स्ट्रिक्ट मिशन स्कूल में पढ़ी थी, वो भी गर्ल्स…जहाँ बॉयज एलियन की तरह हुआ करते थे। लड़कों से उसका इस तरह सामना कभी हुआ ही नहीं था। घबराकर उसने अपने कदम पीछे ले लिये। उसे अंदाज़ा ही नहीं था कि उसके पीछे से कोई चला जा रहा है। वह उससे टकरा गई। 

“गॉड! क्या हो रहा है मेरे साथ?” बुदबुदाते हुए परेशान दर्पण पीछे पलटी और रट्टू तोते की तरह ‘सॉरी’ का रट्टा मारने लगी। 

सामने एक लड़का खड़ा था, जिसकी किताबें दर्पण से टकराने की वजह से नीचे गिर गई थी। 

दर्पण नीचे बैठकर किताबें उठाने लगी। लड़का भी किताबें उठाने लगा। इस दरमियान दर्पण को अहसास हुआ कि वह लड़का उसे देख रहा है। मगर उसे नज़रंदाज़ कर वह किताबें उठाने में लगी रही। दर्पण को लड़कों का सामना करना आता ही नहीं था। पता नहीं उसे क्या हो जाता था। उसमें इतने गट्स ही नहीं थे कि वह लड़कों से कॉन्फिडेंस से बात भी कर सके, क्योंकि वो तो प्लेनेट वीनस से थी और इस नये स्कूल में उसे लग रहा था, मानो वो प्लेनेट मार्स में पहुँच गई हो। 

जब उसने लड़के के हाथ में किताबें थमाई, तो लड़के ने पूछा, “न्यू एडमिशन??”

“हाँ!” दर्पण धीमी आवाज़ में बोली और उठकर जाने लगी। 

उसे शालिनी को ढूंढना था, जो इन सब घटनाक्रम के बीच जाने कहाँ निकल गई थी। वह इधर-उधर देखे जा रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि किधर जाये?

तभी किसी ने उसे पुकारा, “हेय गर्ल!”

वह पलटी, तो देखा कि उसी लड़के ने उसे पुकारा है, जिससे वो टकराई थी।

“नीड एनी हेल्प?” लड़के ने पूछा।

“एक्चुअली मेरी मम्मा खो गई हैं।” धीमी आवाज़ में आँखें नीचे किये हुए दर्पण ने कहा, “…आई मीन….हम प्रिंसिपल के ऑफिस जा रहे थे….बता सकते हो, कहाँ है?”

“व्हाय नॉट…” लड़का चहका और सीढ़ी की तरफ इशारा करके बोला, “ऊपर जाना…फिर लेफ्ट टर्न ले लेना….उसके बाद कोरिडोर में सीधे चलते जाना…एंड में प्रिंसिपल ऑफिस है।”

“थैंक्स!” दर्पण ने कहा।

“एनी टाइम!” वह मुस्कुराया और कॉरिडोर में आगे बढ़ गया।

दर्पण सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई। उस लड़के ने जैसा बताया था, उसी रास्ते पर वह चलती गई और जहाँ पहुँची, वो था – बॉयज टॉयलेट।

“ये तो बॉयज टॉयलेट है!” दर्पण आँखें फाड़े बॉयज टॉयलेट को ताकती हुई खड़ी थी। अचानक टॉयलेट का दरवाज़ा खुला और एक लड़का बाहर निकला। दर्पण को सामने देखकर पहले तो वह चौंका, फिर आँखों में शरारत भरकर शैतानी से मुस्कुराया और बोला, “wanna come baby?” 

क्रमश : 

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Author  – Kripa Dhaani

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गर्ल्स स्कूल में पढ़ी दर्पण के साथ क्या होगा इस स्कूल में? कैसे एडजस्ट करेगी वो? जानने के लिए पढ़िए Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Upanyas अगला भाग।

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