चैप्टर 6 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी रोमांस नॉवेल | Chapter 6 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

चैप्टर 6 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी रोमांस नॉवेल, Chapter 6 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

Chapter 6 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi 

Chapter 6 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Romance Novel In Hindi

अपने पीछे आहट पाकर अभिराज तेजी से पलटा और हाथ में पकड़ी टॉर्च से सामने वाले पर वार करने को हुआ। 

“साहब…मैं हूँ।“ झुककर वार से बचते हुए वह शख्स बोला। वह अभिराज का ड्राइवर था।

“ओह तुम?” 

“साहब! आपको कॉल कर-करके थक गया, पर आपने कॉल उठाया ही नहीं। इसलिए मैं ख़ुद चला आया। सब ठीक है ना!” ड्राइवर ने पूछा।

“हम्म!” अभिराज ने जेब से अपना मोबाइल निकाला। वह साइलेंट मॉड में था। कुछ सोचते हुए उसने ड्राइवर से पूछा, “इस लाइब्रेरी का दरवाज़ा तोड़ना है। तोड़ पाओगे?“

“कोशिश करता हूँ साहब।“

पास ही पड़े एक बड़े पत्थर से ड्राइवर लाइब्रेरी का दरवाज़ा तोड़ने लगा। ताला अधिक देर तक पत्थर का वार सह नहीं सका और टूट गया। ताला टूटते ही दोनों लाइब्रेरी में दाखिल हुए। लाइब्रेरी में अंधेरा और सन्नाटा दोनों पसरा हुआ था। ख़राब मौसम के कारण वहाँ इलेक्ट्रिसिटी चली गई थी। मुकेश और ड्राइवर दोनों ने पूरी लाइब्रेरी छान मारी, मगर एक परिंदा भी नज़र नहीं आया।

“साहब क्या खोज रहे हैं हम यहाँ?” ड्राइवर ने पूछा।

“कुछ नहीं! वापस चलो।“ अभिराज ने सिर झटकते हुए कहा और दोनों लाइब्रेरी से बाहर निकलने के लिए दरवाज़े की ओर बढ़ने लगे। तभी अभिराज का पैर किसी चीज़ में उलझ गया। उसने टॉर्च अपने पैर की तरफ घुमाया। उसके जूतों में एक चेन उलझी हुई थी। उसने झुककर चेन उठा ली। चेन में हार्ट शेप का एक लॉकेट झूल रहा था।   

“किसका हो सकता है?” अभिराज बुदबुदाया।

“सोने का है साहब!” ड्राइवर ने आँखों में चमक भरकर कहा। 

अभिराज ने होंठ दबाकर तिरछी नज़र से ड्राइवर को देखा और बोला, “मेरा मतलब है कि वो कौन है, जिसका लॉकेट यहाँ गिर गया है।“

“वो तो पता नहीं साहब! लाइब्रेरी में तो कई लोग आते होंगे।“  

अभिराज ने चेन अपने ओवरकोट की जेब में डाल ली और लाइब्रेरी से बाहर निकल आया।

कुछ देर वह ड्राइवर के साथ जंगलों में भटकता रहा, मगर मुकेश का कुछ पता नहीं चला। थक-हारकर उसे घर लौटना पड़ा।

घर आकर उसने जंगल में मिला मोबाइल चार्ज किया। मोबाइल चार्ज होने पर उसने उसे ऑन कर लिया। मोबाइल की कॉल डिटेल्स देखकर अभिराज समझ गया कि मोबाइल मुकेश का ही है। आखिरी कॉल मुकेश ने उसे ही लगाईं थी। उसके पहले भी कुछ नंबर उसने ट्राई किये, मगर वे लगे नहीं थे। मोबाइल के मैसेजेस टटोलने पर उसे ड्राफ्ट में एक मैसेज दिखाई पड़ा, जो शायद मुकेश उसके लिए ही लिख रहा था।

‘कुछ अजीब हो रहा है अभि…यक़ीन से बाहर…शायद इस जहाँ के दायरे से भी बाहर…मैं इसमें फंस गया हूँ….पता नहीं बाहर आ पाऊंगा या नहीं! शालू प्रेग्नेंट हैं, इस बारे में बताकर उसे टेंशन मत देना…वैसे भी अब तक उसे टेंशन ही तो देता आया हूँ…अब उसे उसकी ज़िन्दगी जीने देना…मैं आ गया, तो मेरे साथ; न आ पाया, तो मेरे बगैर…कुछ लोग हैं, जो मेरे….”

इसके आगे लिखने के पहले ही शायद उसका मोबाइल बंद हो गया था।

अभिराज ने पुलिस को कॉल किया। पुलिस ने जंगल का चप्पा-चप्पा छान मारा, मगर मुकेश का कुछ पता नहीं चला। सोलह साल गुज़र गये। मुकेश उस रात जो गायब हुआ, तो कभी लौटकर नहीं आया। शालिनी ने दर्पण को जन्म दिया और उसके बाद वही उसकी ज़िन्दगी बन गई। अभिराज ने ये बात शालिनी को कभी नहीं बताई। शालिनी यही सोचती रही कि झगड़े के बाद नाराज़ होकर मुकेश उसे छोड़कर कहीं चला गया। 

“क्या सोच रहे हो अभि? सोना नहीं है!” डिम्पल ने अभिराज के कंधे पर हाथ रखकर कहा। जाने कब डिम्पल स्टडी में आ गई थी और अभिराज के पीछे खड़ी हो गई थी।

“कुछ नहीं! बस यूं ही! चलो चलें!” अभिराज ने पलटकर कहा और दोनों स्टडी से बाहर निकल गये। 

०००० 

“आई डोंट लव यू….आई डोंट लव यू….आई डोंट लव यू ऋषभ…तुम समझते क्यों नहीं?” प्रिया ऋषभ को समझाते हुए बेडरूम में इधर से उधर चहलकदमी कर रही थी। 

“अब तुम्हें एम्बैरस होने की कोई ज़रूरत नहीं है यार! मैसेज भेज दिया, तो भेज दिया। इनफैक्ट मुझे अच्छा लगा। अब तक सोचा नहीं था इस बारे में, पर मैसेज मिलने के बाद से सोच रहा हूँ। यार प्रिया मुझे लगता है कि तुम्हें प्यार किया जा सकता है और मैं तुम्हें ही प्यार करूंगा। इसलिए अब बात से पलटो मत!” ऋषभ प्रिया को समझाने की कोशिश कर रहा था।

“पर मैं तुम्हें प्यार नहीं करने वाली। कितनी बार बताऊं कि वो मैसेज मैंने नहीं उस स्टुपिड निशा ने भेजा था।“ प्रिया खीझकर बोली।

“हमारे प्यार की इस कहानी में उस बेचारी स्वीट बच्ची को क्यों घसीट रही हो?”

“स्वीट बच्ची….माय फुट! हरक़तें देखी है उसकी।” प्रिया को गुस्सा आ गया।

“अभी निशा की बात छोड़ों न जान…हमारी बात करो।“ ऋषभ बड़े प्यार से बोला।

“जान!!! देखो ऋषभ मैं तुम्हें जान से मार दूंगी, अगर दोबारा तुमने मुझे जान कहा तो। कॉल काटो और मुझे परेशान मत करो। मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकती…”

“ऐसे कैसे नहीं कर सकती? तुम्हारा मैसेज मिलने के बाद से मैं दिन भर से तुम्हें प्यार करने की कोशिश कर रहा हूँ और यक़ीन जानो, मुझे थोड़ा-थोड़ा हो भी रहा है। तुम भी करो…तुम्हें भी होगा।“

“शटअप! एंड डोंट कॉल मी अगेन!” प्रिया ने कॉल काट दी और अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया।

बेडरूम से निकलकर तब तक प्रिया बालकनी में पहुँच चुकी थी। उसने मोबाइल ऑफ करके सिर उठाया, तो बगल वाली बालकनी पर निशा को भौहें उचकाते और खीसे निपोरते हुए पाया।

“निशा की बच्ची!” गुस्से में चीखती हुई प्रिया अपनी बालकनी लांघकर उसकी बालकनी में कूद गई। निशा झटपट अंदर भागी। प्रिया जब अंदर पहुँची, तो उसे निशा कहीं नज़र नहीं आई। उसने बाथरूम खोलकर देखा, बेड के नीचे देखा, कमरे के हर कोने में देखा, मगर निशा कहीं नहीं थी।

“कहाँ चली गई ये डफ़र!” बुदबुदाते हुए प्रिया कबर्ड की तरफ बढ़ी और एक झटके से कबर्ड का दरवाज़ा खोल दिया। अंदर कपड़ों के पीछे दुबककर निशा बैठी हुई थी।

“चुपचाप बाहर निकलती है या मैं कबर्ड लॉक कर दूं।“ कहते हुए प्रिया के कबर्ड का दरवाज़ा धड़ाक से बंद किया।

“निकलती हूँ…निकलती हूँ…!” निशा कबर्ड से बाहर कूदी।

“निशा! तेरी वजह से ऋषभ मेरी जान खा रहा है।“ निशा का कान मरोड़ते हुए प्रिया ने कहा।

“पर दी मैंने ऐसा भी क्या कर दिया? दो प्रेमियों को मिलाने की कोशिश ही तो की है मैंने।” निशा प्रिया का हाथ अपने कान से छुड़ाते हुए बोली।

“दो प्रेमी! ऋषभ और मैं कब से दो प्रेमी हो गये?“ निशा का कान छोड़कर प्रिया बेड पर बैठ गई।

“हो नहीं, तो हो जाओगे। निशा ने जिसकी जोड़ी बना दी, उस जोड़ी को कोई नहीं तोड़ सकता।“ निशा ने कहा और प्रिया के सामने नीचे फ़र्श पर घुटनों के बल बैठ गई।

प्रिया से कुछ कहते नहीं बना। वो परेशान हो चुकी थी, एक ऋषभ से और दूसरी निशा से।

“दी ऋषभ हैंडसम है ना?” निशा ने पूछा।

“हाँ!”

“वो रिच है ना?”

“हाँ!”

“वो तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड हैं ना?”

“हाँ!”

“तो फिर क्यों शुरू नहीं हो सकती प्यार की ये कहानी?” निशा ने सवालिया नज़रों से प्रिया को देखा।

“वो इसलिए, क्योंकि ये सब चीज़ें मायने नहीं रखती। प्यार ऐसे नहीं होता।”

“तो कैसे होता है?” निशा ने पूछा और हाथ बांधकर आलती-पालथी मारकर फर्श पर बैठ गई।

“बस हो जाता है…यूं ही!”

“और पता कैसे चलता है?”

“दिल में कुछ कुछ होता है।“

“अब तुम्हें इतना सब कुछ कैसे पता? तुम्हारे दिल में भी कुछ कुछ हुआ है ना! मैं ऋषभ को बता दूंगी।“ निशा हँसते हुए बोली।

“तू सुधरेगी नहीं!” प्रिया निशा को मारने के लिए तकिया उठाने लगी। निशा उठकर भागी। दोनों में कुछ देर तक पकड़म-पकड़ाई का खेल चलता रहा। जब दोनों थक गई, तो बिस्तर पर गिर पड़ी।

“डफ़र तू प्यार के बारे में क्या समझेगी? तेरी उम्र नहीं है और तुझे दूसरों के मैच-मेकिंग से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।“ प्रिया सीलिंग को ताकते हुए गहरी साँस भरकर बोली, “अब दर्पण आ रही है। तू उसे पढ़ने देना। उसके लिए मैच मेकिंग करने मत बैठ जाना।“

प्रिया की बात पर निशा ने कंधे उचका दिये।

०००००

भोपाल में दर्पण अपनी पैकिंग पूरी करके बिस्तर पर बैठी थी। उसे नींद नहीं आ रही थी। जाने क्यों आज वह रह-रहकर अपने पिता को याद कर रही थी।

“पापा! आप क्यों नहीं हैं मेरी ज़िन्दगी में? क्या मुझसे इतनी नफ़रत थी आपको कि मेरे पैदा होने के पहले ही आप मुझे छोड़कर चले गये। मुझे लगता था कम से कम मम्मी मुझे प्यार करती है, लेकिन नहीं! वो मुझे प्यार नहीं करती। कोई मुझे प्यार नहीं करता…कोई नहीं! क्या मेरी किस्मत में प्यार नहीं? क्या मेरी ज़िन्दगी यूं ही रहेगी? क्या मुझे कभी कोई प्यार नहीं करेगा?“

इधर दर्पण अपने पिता मुकेश को याद कर रही थी और उधर मुकेश एक खंडहरनुमा जगह में एक बड़ी चट्टान की ओट में खड़ा एक ख़ूबसूरत बेजान चेहरे को निहार रहा था।

क्रमश:

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Author  – Kripa Dhaani

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क्या है मुकेश का राज़? दर्पण शालिनी से किस बात पर नाराज़ है? क्या कोई नया राज़ शिमला में उसका इंतज़ार कर रहा है? जानने के लिए पढ़िए  Fantasy Romance Novel Pyar Ki Ajab Kahani का अगला भाग।

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