चैप्टर 6 प्यार का पागलपन लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 6 Pyar Ka Pagalpan Love Story Novel In Hindi

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Chapter 6 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel In Hindi

Chapter 6 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel In Hindi

तुषार से नैना का लव करवाने की सलोनी की बात सुनकर खीर खाते साजन की चम्मच तो गिरी ही, उसे ठसका भी लग गया। नैना ने उसकी तरफ पानी का गिलास बढ़ाया। साजन गिलास लेते हुए नैना का चेहरा देखने लगा और एक ही ख़याल उसके ज़ेहन में आया, “तुषार मेरा दोस्त है। दुश्मन भी होता, तब भी मैं उसका लव इस लड़की से नहीं करवाता।“  

बातों का ट्रैक अपनी ओर घूमता देखकर नैना ने सलोनी से कहा, “आंटी जी! अभी हम पिया के बारे में बात करें, तो ज्यादा अच्छा होगा।“

“हाँ हाँ, क्यों नहीं! अरे, पिया तो बड़ी प्यारी बच्ची है। कितनी फ़ोटो दिखाई हमने साजन को, पर ये कभी बात बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हुआ। मगर पिया की तस्वीर देखने के बाद देखो असर…यहाँ बैठा कैसे मज़े से खीर खा रहा है।“ सलोनी मुस्कुराते हुए बोली।

“ये खीर पिया ने ही बनाई है बहन जी!” रानी ने पिया की तारीफ़ करने का मौका नहीं छोड़ा, जबकि पिया ने खीर बनाते समय उसमें चम्मच चलाने की भी ज़हमत नहीं उठाई थी। 

“वाह बेटा! साजन को तो खीर बहुत पसंद है। बताओ तो, कैसे बनाई है?” सलोनी ने पूछ लिया।

“व…व….वो आंटी जी….” पिया हड़बड़ा गई।

“अरे बहन जी! आप तो खीर खाइए ना। आपके घर आयेगी, तो आपको खीर बनाने का तरीका भी बतायेगी और खीर बनाकर खिलायेगी भी।“ रानी ने बिगड़ती बात संभाली।

“अभी बैंक के एग्जाम की तैयारी कर रहे हो ना बेटा!” रमेश ने बातों की बागडोर अपने हाथ में लेते हुए पिया से पूछा।

“जी अंकल!” पिया ने सिर हिलाकर धीरे-से जवाब दिया।

“एस.बी.आई. में लग जाये, तो बढ़िया है। अपने बी.एच.ई.एल में भी तो है ना एस.बी.आई. की ब्रांच, क्यों साजन?” रमेश ने साजन से पूछा, जो बी.एच.ई.एल. में इंजीनियर था और वहीं बी.एच.ई.एल. कॉलोनी के कंपनी क्वार्टर में रहा करता था।

“हूं…!” कोई दिलचस्पी दिखाये बगैर साजन ने कहा और खीर खाता रहा।

“आप लोग भी साजन के साथ ही रहते हैं भाई साहब?” रानी ने पूछा।

“नहीं बहनजी! हमें तो अपना होशंगाबाद ही सुहाता है। वैसे भी भोपाल से दूर ही कितना है!” रमेश ने जवाब दिया।

इसी तरह बातों के सिलसिले के साथ सबने लंच खत्म किया। लंच के बाद सब फिर से ड्राइंग रूम में बैठकर बातें करने लगे। बातों के बीच में रानी ने पिया से कहा, “पिया! ज़रा साजन को अपना घर दिखा दे और हाँ, अपना कमरा भी दिखा देना।“

“जी मम्मी! “ कहते हुए पिया उठ गई और साजन से बोली, “आइये!”

साजन भी उठ गया। वो दोनों चलने को हुए, तो नरेन्द्र ने नैना से कहा, “बेटा तू भी चले जा इनके साथ, कहाँ हम बुजुर्गों के बीच बैठकर बोर होती रहेगी।“

“नहीं पापा…” नैना ने आनाकानी की, तो रानी ने ज़ोर दिया, “चली भी जा…” 

मन मारकर नैना जाने के लिए उठ गई। वह पिया और साजन के पीछे-पीछे चलने लगी। पहले पिया ने साजन को घर के नीचे का हिस्सा दिखाया, फिर सीढ़ियों से ऊपर जाने लगी। साजन भी उसके पीछे-पीछे सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। मगर नैना ठिठक गई और पिया से बोली, “पिया! मैं बाहर लॉन में हूँ।“ और वह बाहर लॉन की तरफ निकल गई। 

पिया साजन को अपने कमरे में ले आई। उसका कमरा काफ़ी साफ़-सुथरा और करीने से सजा हुआ था, जिसे देखकर साजन ने कहा, “आपका कमरा तो बहुत ही खूबसूरत है।“

“थैंक्स!”

“वैसे मुझे भी अपना रूम साफ-सुथरा और टायडी रखना पसंद है। मुझे आपकी ये हैबिट अच्छी लगी। वैसे लड़कियाँ तो अपना रूम टायडी रखती ही हैं, क्यों?“

“जी!” पिया खिसियाते हुए बोली। अब वो साजन को क्या बताती कि उसके इस खूबसूरत कमरे के पीछे रानी की सात दिनों की मेहनत छिपी हुई है।

रानी नाम से ही बस ‘रानी’ थी। घर में सबकी तीमारदारी का ज़िम्मा उसके कंधे पर था। उसने अपनी दोनों बेटियों को रानियों की तरफ पाला था। इसलिए काम के मामले में दोनों ही कच्ची थीं। नैना तो घर से बाहर रहते-रहते अब काफ़ी कुछ ख़ुद से करना सीख गई थी। मगर पिया का हर काम अब भी रानी के ही भरोसे था। रानी के इंस्ट्रक्शन के बिना वह हर काम में उलझकर रह जाती थी।  

“आप शंकर स्वामीनाथन को जानते हैं?” अचानक पिया ने साजन से सवाल किया।

“किसे?” साजन चौंक गया।

“शंकर स्वामीनाथन! बी.एच.ई.एल. भोपाल में ही हैं।“ 

“किस डिपार्टमेंट में?”

“मैकेनिकल में!”

“नाम सुना हुआ सा लग रहा है…शंकर स्वामीनाथन…” साजन ने दिमाग पर ज़ोर डाला, “अरे हाँ…जानता हूँ…एक-आध बार मुलाक़ात भी हुई है। वैसे मैं इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में हूँ…”

“अच्छा…अच्छा!”

“वैसे आप कैसे जानती हैं उसे?” 

“वो मेरी फ्रेंड के ब्रदर हैं, इसलिए…”

“हम्म!”

दोनों बातें करते-करते बालकनी में आ गये। वहाँ से दोनों की नज़र नीचे लॉन में चली गई, जहाँ नैना पौधों को पानी दे रही थी।

“ये दी भी ना….पूरी मूडी हैं…इस वक़्त जाने कैसे पौधों को पानी देने का मूड हो गया।“ पिया धीरे से बोली।

साजन ने नैना को देखते हुए पिया से पूछा, “कौन सी मैगज़ीन में है तुम्हारी दीदी?”

“लव ज़िन्दगी!” पिया ने जवाब दिया, “रिलेशनशिप पर कॉलम लिखती हैं दी।“

“रिलेशनशिप…!” एक हल्की-सी मुस्कान साजन के होंठों पर तैर गई, “मतलब…मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझे छोड़ दिया…मेरे पति का किसी और से चक्कर है….ऐसे सवाल जवाब का कॉलम?”

“नहीं!” पिया ज़ोर से हँस पड़ी, “एक्चुअली वो रिलेशनशिप के डिफरेंट आस्पेक्ट्स पर कॉलम लिखती हैं।“

“जैसे!”

“जैसे…रिलेशनशिप कैसी होनी चाहिए…क्या है जो रिलेशनशिप में ज़रूरी है…रिलेशनशिप को कैसे सहेंजे…और ऐसे ही टॉपिक्स…अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने हसबैंड-वाइफ के रिश्तों पर एक आर्टिकल लिखा था। बड़ी अच्छी बात लिखी थी…अगर हसबैंड-वाइफ का रिश्ता फ्रेंडशिप पर बेस्ड हो ना, तो उस रिश्ते में आप कभी बोर नहीं हो सकते, उसमें हमेशा ताज़गी बनी रहेगी। उसमें शेयरिंग होगी और शेयरिंग होगी, तो केयरिंग भी होगी। एक बात और लिखी थी दी ने कि शादी में प्यार जितना इम्पोर्टेन्ट हैं, उतनी ही रिस्पेक्ट भी…शादी क्या, अगर किसी भी रिश्ते में रिस्पेक्ट न हो, तो वो रिश्ता चल ही नहीं सकता। दोस्ती, प्यार और रिस्पेक्ट ये तीन चीज़ें किसी रिश्ते में हो, तो ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव उस रिश्ते को कभी तोड़ ही नहीं सकते।“

“ये तुम्हारी दीदी ने लिखा है?“ साजन ने हैरान होकर पूछा।

“हाँ!”

“वैसे तुम्हारे हिसाब से शादी के रिश्ते में क्या इम्पोर्टेन्ट हैं?”

“मेरा भी मानना है कि शादी के रिश्ते में दोस्ती, प्यार और रिस्पेक्ट होना अहम है, तभी पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होगा और उनसे जुड़ा हर रिश्ता भी मजबूत होगा।“

“और कभी ऐसा रिश्ता बन जाये, जहाँ दुश्मनी हो, नफ़रत हो और डिस-रिस्पेक्ट हो! तो?” साजन पूछ बैठा।

“ऐसा रिश्ता बन ही नहीं सकता।“ पिया साजन की बात एक सिरे से ख़ारिज करती हुई बोली, “अब आप ही बताइए कि क्या आप कभी किसी ऐसे इंसान की तरफ अट्रैक्ट हो सकते हैं, जिससे आपको चिढ़ हो, नफ़रत हो?”

साजन पिया के इस सवाल पर हैरान हो गया और उसकी नज़र नीचे लॉन में पौधों को पानी देती नैना की तरफ घूम गई।

क्रमशः

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Author  – Kripa Dhaani

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क्या साजन नैना का अपने दोस्त तुषार से लव करवाएगा? पिया और साजन के रिश्ते की बात क्या फाइनल हो जायेगी? क्या साजन और नैना इस मुलाक़ात में एक दूसरे से बात करेंगे? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।

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