चैप्टर 3 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 3 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story Novel In Hindi Read Online

चैप्टर 3 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 3 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story Novel In Hindi Read Online

Chapter 3 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story Novel 

Chapter 3 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story Novel

बोरे से हाथ झूलता देख डिम्पल चीख पड़ी। डिम्पल की चीख सुनकर अभिराज भागकर उसके पास आया।

“क्या हुआ डिम्पल?” उसने घबराई हुई आवाज़ में पूछा।

“वो…वो….” डर के मारे डिम्पल के मुँह से कोई बोल ही नहीं फूटे।

“बोलो डिम्पल!”

“वहाँ…!” कहते हुए डिम्पल ने टॉर्च उस तरफ घुमा दी। 

“क्या है वहाँ? कुछ भी तो नहीं!” अभिराज ने उस तरफ गौर से देखते हुए कहा।

वहाँ कोई न था, सिवाय ऊँचे-ऊँचे दरख्तों के, जिनकी बिखरी हुई शाखायें एक-दूसरे से लिपटकर जंगल को यूं ढांके हुई थीं कि न सूरज की किरणें न ही बरसती चांदनी उन्हें भेदकर जंगल को अंधेरे साये से निकालकर उजली दुनिया से रूबरू करवा सके।

“अभि….यहाँ अभी मैंने चार साये देखे थे…” तेज चलती साँसों के साथ डिम्पल ने कुछ देर पहले, अपनी आँखों के सामने घटा मंज़र दोहरा दिया।

“शायद मेरी बातों को तुमने ज्यादा ही सीरियसलि ले लिया। इसलिए खुली आँखों से डरावने ख़वाब देखने लगी। देखो वहाँ कुछ भी नहीं!” 

“पर अभि….”

डिम्पल को बात पूरी करने का मौका दिये बगैर अभिराज ने पलटकर शंभू से पूछा, “शंभू टायर बदल गया?”

“हाँ साहब!” हाथ झाड़ते हुए शंभू उनके पास आया और डिम्पल की नज़रों की दिशा में अपनी नज़र जमाकर बोला, “मेमसाहब ने ज़रूर लोमड़ी देख ली होगी साहब और डर गई होंगी। मैंने भी कई बार इन रास्तों पर लोमड़ियाँ देखी हैं।“

“शंभू वो…” डिम्पल ने कहना शुरू किया, तो अभिराज ने उसे टोक दिया, “चलो कार में बैठकर बातें करें, यहाँ ज्यादा देर ठहरना ठीक नहीं!“

वे कार में बैठे और कार चल पड़ी।

“अभि! मुझे लगता है कि किसी का मर्डर हुआ है। मैंने बोरे में से हाथ बाहर निकलते देखा था।“ कहते हुए डिम्पल की आवाज़ में अब भी थरथराहट थी।

“अगर हुआ होगा, तो हमें कल के अखबार और लोकल टीवी न्यूज़ से पता चल जायेगा। अभी तो हम कुछ नहीं कर सकते है।“

“हम पुलिस को इन्फॉर्म कर सकते हैं।“ डिम्पल बोली।

“देखो डिम्पल, अभी हम श्योर नहीं हैं कि वो सच था या तुम्हारा भ्रम…बिना किसी ठोस आधार ने हम कैसे पुलिस को इन्फॉर्म कर सकते हैं। अगर जो तुमने देखा, वो सच भी था, तब भी मुझे पुलिस के किसी पचड़े में नहीं पड़ना। बिज़नस को लेकर ही इतने हेडेक है कि मैं कोई बेसिर-पैर की मुसीबत मोल नहीं ले सकता। जो हुआ, भूल जाओ।“

डिम्पल ख़ामोश हो गई और गहरी साँस भरकर अपना सिर अभिराज के कंधे पर टिका दिया। अभिराज खिड़की के बाहर देखते हुए सोचने लगा, “क्या डिम्पल जो कह रही है, वाक़ई सच है! कौन थे वे साये…क्या थे?”

०००          

कुछ देर बाद कार ‘रानावत हाउस’ के पोर्च में खड़ी थी। अभिराज ने डिम्पल के सिर पर हाथ फिराया और डिम्पल उसके कंधे से सिर उठाकर सीधी बैठ गई। शंभू जल्दी से कार से बाहर आया। पहले उसने अभिराज की तरफ का दरवाज़ा खोला, फिर डिम्पल की तरफ का। उनके कार से बाहर निकलते ही वह कार पार्क करने गैराज की तरफ बढ़ गया। अभिराज और डिम्पल घर की ओर बढ़े। 

उन्होंने जैसे ही घर की दहलीज़ पर कदम रखा, तेज रफ़्तार में बढती हुई कोई चीज़ उनकी तरफ आई। अभिराज ने मुस्तैदी दिखाते हुए उसे अपने दायें हाथ में लपक लिया। 

“बेटा! फ्रूट सर्व करने का ये कौन सा तरीका है? उसे काटकर प्लेट में सजाकर सर्व करना चाहिए।“ हाथ में पकड़े सेब को देखता हुआ अभिराज कुछ दूरी पर खड़ी प्रिया से बोला। 

“पापा आप जानते नहीं इस बदमाश ने आज क्या किया!” प्रिया की आवाज़ में गुस्सा भरा हुआ था और वो जमीन पर झुककर बैठी निशा को घूर रही थी। सेब उसने निशा का ही निशाना साधकर फेंका था, मगर उसने झुककर ख़ुद को बचा लिया था।

“निशा! अब क्या किया तूने?” डिम्पल चिल्लायी।

जमीन पर झुकी निशा उठकर खड़ी हुई और अभिराज के पीछे जाकर छुपती हुई बोली, “पापा, हिटलर से बचाओ।“

“बड़ी बहन है तेरी! शरम नहीं आती हिटलर कहते हुए।“ डिम्पल ने उसके सिर पर चपत जमाई।

“इसे क्या शरम आयेगी मम्मा! ये आपको को भी तो हिटलर की अम्मा कहती है।“ प्रिया शिकायती अंदाज़ में बोली।

“क्यों रे?” अबकी डिम्पल ने निशा की पीठ पर चपत जमाई।

“हाँ तो आप हो भी तो उसी की मम्मा…उसी का सपोर्ट करती हो…” निशा ने कहा और डिम्पल से दूर हटकर अभिराज के बायीं ओर आकर खड़ी हो गई।

“कौन किसकी मम्मा है और कौन किसका डैड? ये हम आराम से बैठकर डिसाइड करेंगे।“ कहते हुए अभिराज निशा के कंधे पर हाथ रखकर सामने रखे सोफे की तरफ बढ़ गया। उसके पीछे डिम्पल भी हो ली।

“हाँ तो क्या बात हुई?” सोफे पर बैठते हुए अभिराज ने पूछा और हाथ में पकड़ा सेब खाने लगा।

निशा अभिराज के बगल में बैठी हुई थी और डिम्पल साइड सोफे पर। प्रिया कुछ दूरी पर कमर पर हाथ रखे खड़ी थी। 

अभिराज का सवाल सुनकर वह दनदनाते हुए सामने आई और शिकायती अंदाज़ में कहने लगी, “इस नालायक ने आज मेरे मोबाइल से ऋषभ को मैसेज भेज दिया और पता है क्या लिखा था उसमें….”

“क्या?” अभिराज और डिम्पल ने एक साथ पूछा।

“वो…” प्रिया हिचकिचायी, वहीं निशा खिलखिलाने लगी।

प्रिया ने कुशन उठाकर निशा पर फेंकते हुए कहा, “इसने उसमें लिखा था – आई लव यू ऋषभ….और….उसके बाद से वो मुझे पच्चीस मैसेज कर चुका है और बीस बार कॉल कर चुका है।“

“दी ये भी तो बता कि उसने पच्चीस मैसेज़ेस में तुझे क्या लिखा है?” निशा हँसते हुए बोली।

प्रिया से कुछ कहते न बना, उसने दूसरा कुशन उठाकर निशा पर फेंक मारा।

“बेचारा कबसे लाइक करता है इसे। इसे भी तो वो पसंद है। उसके सिवा इसका कोई और दोस्त है क्या? बेचारे एक-दूसरे से कुछ कह नहीं रहे थे, तो मैंने इन दोनों का काम आसान कर दिया। और मम्मा-पापा, आपको भी तो ऋषभ पसंद है ना!“ निशा ने अपना पॉइंट रखते हुए अभिराज और डिम्पल से सवाल भी पूछ लिया।

“मैच मेकिंग छोड़कर तू पढ़ ले। आखिरी साल है स्कूल का, फेल होकर हमारे खानदान की नाक कटायेगी।“ प्रिया बिफरते हुए बोली।

“ये क्या हरक़तें शुरू कर दी है तूने निशा।“ डिम्पल गुस्साई।

“अब छोड़ो भी डांटना…देखना आगे जाकर ये शादी.कॉम से भी बड़ी मेट्रीमोनिअल कंपनी की ओनर होगी।“ अभिराज निशा का कंधा थपथपाकर बोला, “और रही बात ऋषभ की, तो मैं उसे समझा दूंगा…वैसे प्रिया…लड़का तो अच्छा है…मुझे भी पसंद है और डिम्पल तुम्हें?”

“हाँ लड़का तो मुझे भी पसंद है।“ डिम्पल कुछ सोचते हुए बोली।

“तो फिर बात चलायें?” अभिराज ने मुस्कुराकर प्रिया को देखते हुए कहा।

क्रमश:

क्या किसी का मर्डर हुआ है? किसका था बोरे से निकला हाथ? क्या अभिराज के हंसते खेलते परिवार पर कोई मुसीबत टूटने वाली है? जानने के लिए पढ़िए Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Hindi Upanyas का अगला भाग।

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