चैप्टर 13 दिलेर मुज़रिम इब्ने सफ़ी का उपन्यास जासूसी दुनिया सीरीज़

Chapter 13 Diler Mujrim Novel By Ibne Safi

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खौफ़नाक लम्हे 

इंस्पेक्टर फ़रीदी ने अपनी मौत की खबर छपवाने में बड़े एहतियात से काम लिया था। राजरूप नगर के जंगलों में दुश्मन से मुकाबला करते वक्त अचानक उसके ज़ेहन में यह ख़याल आया था। वह इस तरह चीखकर भागा था, जैसे वह ज़ख्मी हो गया हो। वह अस्पताल गया और वहाँ उसे चीफ़ इंस्पेक्टर को बुलवाकर उसे सारा हाल बताया और उससे माफ़ी मांगी थी। यह चीज मुश्किल न थी। चीफ इंस्पेक्टर ने पुलिस कमिश्नर से राय करके पुलिस अस्पताल के इंचार्ज कर्नल तिवारी से सब मामले तय कर लिये, लेकिन उसे ये न बताया गया कि ड्रामा खेलने का असली मकसद क्या है। सिविल अस्पताल से खुफिया तरीके पर एक लाश हासिल की गई। फिर उस पर इंस्पेक्टर फ़रीदी का मेकअप किया गया। यही वजह थी कि सलीम आसानी से धोखा खा गया। इन सब बातों से फुर्सत पाने के बाद इंस्पेक्टर फ़रीदी ने भेष बदलकर अपना काम शुरू कर दिया।

तीसरे दिन अचानक कर्नल तिवारी के ट्रांसफर का हुक्म आ गया और उसे इतना ही टाइम मिल सका कि उसने डॉक्टर तौसीफ़ को एक ख़त लिख दिया। इंस्पेक्टर फ़रीदी को अब तक सलीम पर महज़ शक था। उसकी तहकीकत का रुख ज्यादातर प्रोफेसर ही की तरफ रहा। इसलिए उसे इस बात का पता चला कि सलीम प्रोफ़ेसर को धोखे में रखकर अपना हथियार बनाए हुए है। प्रोफेसर के सिलसिले में उसने एक बिल्कुल नई बात मालूम कि जिसका पता सलीम को भी न था। वह यह कि प्रोफेसर नाजायज़ तौर पर कोकीन हासिल किया करता था। जिस तरीके से कोकीन उस तक पहुँचा करती थी, वह बहुत दिलचस्प था। उसे एक हफ्ते में एक पैकेट कोकीन मिला करती थी। कोकीन बेचने वालों के गिरोह का एक आदमी हर हफ्ते एक पैकेट कोकीन उसके लिए लाकर पुरानी कोठी के बगीचे में छुपा दिया करता था। वही उसके दाम भी रखे पर मिल जाते थे। दो एक बार उसे मालियों ने टोका भी, लेकिन उसने उन्हें यह कहकर टाल दिया कि वह दवा के लिए बीरबहूटी तलाश कर रहा है। फ़रीदी ने फिलहाल इस ग्रुप को पकड़वाने की कोशिश न की, क्योंकि उसके सामने इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण मामला था। डॉक्टर शौकत के राजरूप नगर जाने से एक दिन पहले ही उसने कोठी के एक माली को भी भारी रकम देकर मिला लिया था। इसलिए कोठी के लोगों के बारे में सब कुछ जान लेने में कोई खास दिक्कत न हुई। ऑपरेशन वाली रात को सार्जेंट हमीद भी वहाँ आ गया। फ़रीदी ने उसे प्रोफेसर को बहला-फुसलाकर माली के झोपड़े तक लाने के लिए तैनात कर दिया। इसके लिए पूरी स्कीम पहले ही बन चुकी थी। हमीद प्रोफेसर को कोकीन देने का लालच दिलाकर माली के झोपड़े तक लाया। यहाँ उसे कोकीन में कोई तेज किस्म की नशीली चीज दी गई, जिसके असर से प्रोफ़ेसर बहुत जल्द बेहोश हो गया। उसके बाद इंस्पेक्टर फ़रीदी ने उसके कपड़े खुद पहन लिये और ट्रांसमीटर को गठरी में बांधकर झोपड़े से निकल गया। झोपड़े से बाहर जिसने उछलकूद मचाई थी, वह इंस्पेक्टर फ़रीदी ही था।

जब फ़रीदी को गए हुए काफ़ी समय बीत गया, तो हमीद का दिल घबराने लगा। उसने सोचा कि कहीं कोई हादसा न पेश आ गया हो। फ़रीदी ने उसे बेहोश प्रोफ़ेसर को सोता छोड़कर कहीं जाने की इजाज़त नहीं दी थी, लेकिन उसका दिल न माना। वह प्रोफेसर को सोता छोड़कर पुरानी कोठी की तरफ रवाना हो गया। वह मीनार में उस वक्त दाखिल हुआ, जब सलीम जा चुका था। ट्रांसमीटर चूर-चूर होकर फर्श पर बिखरा हुआ पड़ा था और फ़रीदी अभी तक उसी तरह पड़ा था। हमीद वहाँ का नज़ारा देख लगभग चीखते-चीखते रुक सा गया। उसने दौड़कर फ़रीदी को उठाने की कोशिश की। वह बेहोश था…बाहर से कहीं कोई चोट न मालूम होती थी। थोड़ी देर के बाद कराहकर उसने करवट बदली। हमीद उसे हिलाने लगा…वह चौंककर उठ बैठा।

“तुम!” उसने आँखें मलते हुए कहा, “वह मरदूद कहाँ गया?”

“कौन?”

“वही सलीम!” फ़रीदी ने हाथ मलते हुए कहा, “अफ़सोस हाथ में आकर निकल गया।” फिर उसने जल्दी-जल्दी सारी बातें हमीद को बताना शुरू की।

“उसने तो अपने हिसाब से मुझे मार ही डाला था।” फ़रीदी ने कहा, “लेकिन जैसे ही उसे गोली चलाई, मैंने फिर एक बार उसे धोखा देने की कोशिश की। लेकिन बुरा हो इस दूरबीन का, जिसकी वजह से सब किया धरा खाक में मिल गया। अगर मेरा सिर उससे न टकरा जाता, तो फिर मैंने पाला मार लिया था। अरे इस ट्रांसलेटर को क्या हुआ? तोड़ दिया कमबख्त ने। ऐसा बहादुर अपराधी आज तक मेरी नज़रों से नहीं गुज़रा।”

“आइए…तो चलिए से तलाश करें।” हमीद ने कहा।

“पागल हो गए हो…अब तुम उसकी परछाई को भी नहीं पा सकते। वह मामूली दिमाग का आदमी नहीं।” फ़रीदी ने उठते हुए कहा, “देखूं तो ऑपरेशन का क्या रहा?”

उसने दूरबीन के शीशे से आँख लगा दी। वह थोड़ी देर तक ख़ामोश रहा।

“अरे!” वह चौंककर बोला, “यह पाइप के सहारे दीवार पर कौन चढ़ रहा है? सलीम…इसका क्या मतलब…अरे, वह तो खिड़की के करीब पहुँच गया…यह उसने जेब से क्या चीज निकाली है…यह नलकी कैसी…अरे लो, गजब! वह नलकी को होंठों में दबा रहा है…कत्ल क़त्ल…हमीद अब डॉक्टर शौकत इतनी ख़ामोशी से क़त्ल हो जाएगा कि उसके करीब खड़ी नर्स को भी इसकी खबर न होगी। अब क्या किया जाए? जितनी देर में हम वहाँ पहुँचेंगे, वह अपना काम कर चुका होगा। कमबख्त पिस्तौल भी तो अपने साथ लेता गया।”

“पिस्तौल मेरे पास है।” हमीद ने कहा।

“लेकिन बेकार…इतनी दूर से पिस्तौल किस काम का…ओह! क्या किया जाए। उसकी नलकी में वह जहरीली सुई है। अभी वह एक फूंक मारेगा और सुई निकलकर डॉक्टर शौकत के जा लगेगी। उफ्फ मेरे ख़ुदा, अब क्या होगा! वह शायद निशाना ले रहा है। ओह, ठीक! याद आया…याद आ गया। मैंने वह राइफल नीचे देखी थी। ठहरो मैं अभी आया।” फ़रीदी यह कहकर दौड़ता हुआ नीचे चला गया। वापसी पर उसके हाथ में वही छोटी सी हवाई राइफल थी, जो उसने प्रोफेसर के हाथ में देखी थी। उसने उसे खोलकर देखा। उसकी मैगजीन ने कई कारतूस बाकी थे।

“हटो हटो खिड़की से जल्दी हटो।” उसने खिड़की से निशाना लिया। बीमार के कमरे से आती रोशनी में सलीम का निशाना साफ नज़र आ रहा था। फ़रीदी ने राइफल चला दी। सलीम उछलकर एक धमाके के साथ जमीन पर आ गिरा।

“वह मारा!” उसने राइफल फेंक जीने की तरफ दौड़ते हुए कहा। हमीद भी उसके पीछे था। वे लोग उस वक्त पहुँचे, जब बेगम साहिबा, नज़मा, डॉक्टर तौसीफ़ और कई कर्मचारी वहाँ इकट्ठे हो चुके थे। औरतों की चीख-पुकार सुनकर डॉक्टर शौकत भी नीचे आ गया था।

फ़रीदी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछा, “कहो डॉक्टर ऑपरेशन कैसा रहा?”

शौकत चौंककर दो कदम पीछे हट गया।

“तुम” उसने मुँह फाड़े हुए हैरत से कहा।

“हाँ हाँ मैं भूत नहीं। बताओ ऑपरेशन कैसा रहा?”

“कामयाब!” शौकत ने बौखलाकर कहा, “लेकिन लेकिन…!”

“मैं सिर्फ तुम्हारे लिए मरा था मेरे दोस्त और यह देखो आज जिसने तुम्हारे गले में फांसी का फंदा डाला था, तुम्हारे सामने मुर्दा पड़ा है।”

अब सारे लोग फ़रीदी की तरफ देखने लगे।

“आप लोग मेहरबानी करके लाश के करीब से हट जाइए।” फ़रीदी ने कहा, “और हमीद तुम डॉक्टर शौकत की कार पर थाने चले जाओ।”

“तुम कौन हो?” बेगम साहिबा गरज कर बोली।

“मोहतरमा मैं डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टिगेशन या यूं समझ लीजिए जासूसी विभाग का इंस्पेक्टर हूँ।” फ़रीदी ने कहा, “और मैं सर्कस वाले नेपाली के कातिल और डॉक्टर शौकत की जान लेने की कोशिश करने वाले की लाश थाने में ले जाना चाहता हूँ।”

“न जाने तुम क्या बक रहे हो।” नज़मा ने आँसू पोंछते हुए तेजी से कहा।

“जो कुछ मैं बक रहा हूँ, उसका खुलासा कानून करेगा।”

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