चैप्टर 1 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 1 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story Novel In Hindi Read Online

चैप्टर 1 प्यार की अजब कहानी फैंटेसी लव स्टोरी नॉवेल | Chapter 1 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story Novel In Hindi Read Online

Chapter 1 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story

Chapter 1 Pyar Ki Ajab Kahani Fantasy Love Story

अंधेरी रात के साये में घने जंगलों से घिरे पहाड़ी रास्ते पर एक कार तेज़ रफ़्तार से भागी चली रही थी। ड्राइवर पूरी मुस्तैदी से कार चला रहा था। ऐसे ख़तरनाक पहाड़ी रास्तों पर गाड़ी चलाने का वह काफ़ी तजुर्बेकार मालूम होता था। उसके बगल में बैठे-बैठे ऊंघ रहा था सोलह-सत्रह बरस का एक लड़का। पिछली सीट पर बैठे थे एक आदमी और औरत, जो अपनी बातों में उलझे हुए थे।

“देखो, अपना शहर तो अपना ही होता है। इंसान चाहे पूरी दुनिया घूम ले। सुकून तो उसे अपने शहर में ही मिलता है।” आदमी ने कहा। अपने शहर लौटने का रोमांच उसकी आवाज़ में साफ़ महसूस किया जा सकता था।

“तो तुम सुकून की तलाश में यहाँ लौट आये हो।” औरत ने पूछा।

“नहीं मेरी मिट्टी मुझे पुकार रही थी…।”

“….या ये जंगल तुम्हें खींच रहा था।”

“हा..हा..हा…तुम भी इन बातों में यकीन करने लगी।” आदमी ने ज़ोर का ठहाका लगाया और ड्राइवर से पूछा, “और कितनी देर है शिमला पहुँचने में?”

“एक घंटे में पहुँच जायेंगे साहब!”

“इतना वक्त भी मुझसे काटे नहीं कटेगा। सुनसान सड़क है। गाड़ी फुल स्पीड में भगाओ। मैं जल्द से जल्द अपने शहर पहुँच जाना चाहता हूँ।

“जी साहब!”

ड्राइवर ने एक्सीलेटर पर पैर का दबाव बढ़ाया और कार हवा से बातें करने लगी। मगर हवायें भी शायद मुकाबले को तैयार थीं। वो बता देना चाहती थीं कि कोई भी इंसानी इज़ाद उनकी रफ़्तार का मुकाबला करने के काबिल नहीं। यकायक तेज आंधी चलने लगी। धूल का गुबार उठने लगा।

“साहब आंधी सी आ रही है।”

“आज कोई आंधी मुझे शिमला पहुँचने से रोक नहीं सकती। तुम कार की रफ़्तार और बढ़ाओ। हमारी कार हर आंधी हर तूफान से तेज़ भागनी चाहिए।”

“जी साह…” ड्राइवर अपनी बात पूरी कर पाता, उसके पहले ही एक बड़ा सा पेड़ चरमराते हुए सड़क पर आ गिरा। कार इतनी तेज़ रफ़्तार में थी कि उसका सारा तजुर्बा धरा का धरा रह गया। रोकने की लाख कोशिशों के बावजूद कार सड़क पर गिरे पेड़ से जा टकराई और किसी खिलौने की तरह उलटती पुलटती हुई गहरी खाई में समा गई। कार में चार लोग सवार थे और उस वक़्त चार सायों की आठ जोड़ी आँखें नीची गिरती कार को घूर रही थी।

वहाँ से तकरीबन तीस किलोमीटर की दूरी पर शिमला के आलीशान हॉटल “स्काई कैसल” की बालकनी पर खड़ा था ६’२’’ का गोरा-चिट्टा, हट्टा-कट्ठा अड़तालीस बरस का अभिराज रानावत, जो कोट की जेब में हाथ डाले अंधियारी रात में दूर तक फैले घने काले जंगलों को ताकते हुए कह रहा था।

“….ये जंगल खींचता है डिम्पल…जिसे यहाँ आना है…उसे आना ही है।”

“यक़ीन नहीं होता ये अभिराज रानावत कह रहा है! यू.एस. रिटर्न…शिमला के चार सबसे बड़े हॉटल्स का मालिक! अभि ये बातें तुम पर जंचती नहीं!” अभिराज की बीवी डिम्पल मुस्कुराते हुए बोली। डिम्पल पैंतालीस बरस की भरी-भरी काया और घुंघराले बालों वाली दूध सी उजली रंगत लिए एक ख़ूबसूरत औरत थी।

“जानता हूँ डिम्पल! ये बातें मुझ पर नहीं जंचती। पर मैं वो कह रहा हूँ, जो यहाँ के पुराने लोग कहा करते हैं। मैं उन बातों को मानता नहीं, बस जानता हूँ। मगर बातें निकली हैं, तो उनकी कोई न कोई बुनियाद तो होगी ही। हो सकता है साइंटिफ़िकली प्रूवन न हो। पर दुनिया की हर चीज़ साइंस के दायरे में हो, ज़रूरी नहीं। बहुत सी चीज़ें हैं, जो नेचर का हिस्सा होने के बावजूद नेचरल नहीं होती, क्योंकि वो होती हैं – सुपर नेचुरल।”

अभिराज के जवाब ने डिम्पल को लाजवाब कर दिया। वह कुछ न कह सकी, बस ख़ामोशी से अंधेरे की चादर लपेटे घने जंगलों को देखती रही। कुछ ख़ामोश लम्हों के बाद यकायक डिम्पल का मोबाइल बज उठा। होंठों पर अजब मुस्कान के साथ उसने कॉल ले ली।

“मम्मा! इस जोकर को समझा दीजिये।“ दूसरी तरफ से आवाज़ आई। 

डिम्पल कुछ जवाब दे पाती, उसके पहले ही अभिराज का मोबाइल बज उठा।

“पापा! इस हिटलर को समझा दीजिये।“ अभिराज के कॉल पिक करते ही दूसरी तरफ से आवाज़ आई।

अभिराज और डिम्पल ने एक-दूसरे की शक्ल देखी।

“लो फिर शुरू हो गई दोनों…” डिम्पल ने कहा और अभिराज हँस पड़ा।

“हम लोग घर आ रहे हैं।“ अभिराज और डिम्पल एक साथ बोले और कॉल काट दी।

“प्रिया!” डिम्पल ने कंधे उचकाकर अभिराज से कहा।

“निशा!” सिर झटकते हुए अभिराज बोला।

प्रिया और निशा अभिराज और डिम्पल की बेटियाँ थीं। प्रिया बड़ी थी और निशा छोटी। दोनों की एक्वेशन ऐसी थी, जिसे साल्व करते-करते कभी-कभी अभिराज और डिम्पल की एक्वेशन गड़बड़ा जाती थी।

“जल्दी चलो अभि, पता नहीं वो दोनों हमारे खूबसूरत आशियाने का क्या हाल कर रही होंगी।“ कहते हुए डिम्पल के माथे पर बल पड़ गये

“तुम भी ना कुछ ज्यादा ही टेंशन ले लेती हो।“ अभिराज ने डिम्पल के कंधे पर हाथ रखकर कहा और ड्राइवर को कॉल करने लगा।

०००

अभिराज और डिम्पल के खूबसूरत आशियाने ‘रानावत हाउस’ में एक अलग ही धमाचौकड़ी मची थी। निशा भागते हुए सीढ़ियाँ उतर रही थी। उसके पीछे हाथ में तकिया लिए भाग रही थी प्रिया। प्रिया इक्कीस बरस की उजली रंगत और बादामी आँखों वाली खूबसूरत लड़की थी, जिसने उस वक़्त अपने लंबे बालों को जूड़े की शक्ल में बांध रखा था।

“नालायक!” प्रिया ने निशाना साधकर तकिया निशा की तरफ फेंका। मगर निशा रेलिंग फांदकर दूसरी तरफ कूद गई।

प्रिया ने अपनी कमर पर हाथ रख लिया और नज़रें इधर-उधर घुमाकर निशा को तलाशने लगी। निशा उसे कहीं नज़र नहीं आई। उसने गहरी साँस भरी और नीचे जाने के लिए कदम बढ़ा दिये। मगर पहला कदम बढ़ाते ही उसका मोबाइल वाइब्रेट करने लगा।

“हलो!” उसने कॉल पिक की।

“आई लव यू!” दूसरी तरफ से आवाज़ आई।

“क्या बकवास है ऋषभ!”

“अरे यार! आई लव यू का जवाब ‘क्या बकवास है’ कब से होने लगा? आई लव यू टू बोलो डिअर…फिर मैं आई लव यू थ्री बोलूंगा…फिर तुम आई लव यू फोर बोलना…फिर…!”

“शटअप!” प्रिया ने कॉल काट दी और होंठ चबाकर गुस्से से मोबाइल को घूरने लगी। तभी उसके सिर पर वही तकिया आकर लगा, जो उसने निशा पर फेंका था। उसने सिर उठाया, तो देखा कि निशा नीचे सीढ़ियों के पास बत्तीसी दिखाती खड़ी है। निशा सोलह बरस की गोरी-चिट्टी, घुंघराले बालों वाली टॉम बॉय टाइप लड़की थी, जिसे दूसरों को सताने में बड़ा मज़ा आता था। सबसे ज्यादा अपनी दीदी प्रिया को।

“निशा की बच्ची! आज छोडूंगी नहीं तुझे।“ प्रिया ने गुस्से में कहा और उसके पीछे दौड़ पड़ी।

निशा भागकर किचन में घुस गई। प्रिया भी भागते हुए किचन में पहुँची और इधर-उधर देखते हुए किचन प्लेटफॉर्म पर पड़ा अंडा उठाकर निशा पर फेंक मारा। निशा तो हट गई, अंडा जाकर पड़ा रसोइये कैलेंडर की गंजी खोपड़ी पर।

कमर पर हाथ रखकर कैलेंडर पलटा, “प्रिया बेबी! हमारा खोपड़ी चिकने तवे के माफ़िक लगता तुमको? तुम इस पर ऑमलेट बनायेंगा।”

“सॉरी कैलेंडर अंकल…मैं तो वो निशा….” कहते हुए प्रिया इधर-उधर नज़र घुमाने लगी। निशा जाने कहाँ गायब हो गई थी।

“निशा बेबी…कहाँ है निशा बेबी….” कैलेंडर आँखें घुमाते हुए बोला, “तुम हमको परेशान करता है और छोटी बेबी पर इल्ज़ाम डालता है।”

प्रिया कुछ कहती, उसके पहले ही ड्राइंग रूम में रखा फोन बजने लगा और वह खीझ गई।

“उफ्फ! इस सिरफिरे आशिक़ को चैन ही नहीं है। अभी बताती हूं इसे।” बड़बड़ाते हुए वह घूमकर ड्राइंग रूम की तरफ जाने लगी। 

उसके जाते ही किचन में रखे फ्रीज़र से निशा बाहर निकली और कैलेंडर से बोली, “कैलेंडर अंकल! कैलेंडर में आज की डेट मार्क कर लेना। आज प्रिया दी ने आपको अंडा फेंककर मारा है ना! हम बदला लेंगे।“ और वह भी किचन से बाहर निकल गई।

प्रिया ड्राइंग रूम में रखे फोन तक पहुँची और रिसीवर उठाकर बरसने लगी, “ऋषभ! अब तुमने मुझे कॉल किया ना, तो तुम्हारे पापा से कंप्लेन करूंगी। वही तुम्हारी आशिकी का भूत उतारेंगे।”

प्रिया चुप हुई, तो दूसरी तरफ से जो आवाज उसे सुनाई पड़ी, उसे सुनकर वह सन्न रह गई।

क्रमश:

किसने किया है प्रिया के घर पर कॉल? कौन थे वे चार साये? जानने के लिए Pyar Ki Ajab Kahani Fatasy Romance Novel In Hindi 

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