व्यवस्था का राजदार विष्णु प्रभाकर की कहानी | Vyavastha Ka Razdar Vishnu Prabhakar Ki Kahani

व्यवस्था का राजदार विष्णु प्रभाकर की कहानी Vyavastha Ka Razdar Vishnu Prabhakar Ki Kahani Hindi Story 

Vyavastha Ka Razdar Vishnu Prabhakar Ki Kahani

प्रथम श्रेणी के डिब्बे के ‘सी’ कक्ष के द्वार खोलकर युवती ने देखा कि एक बर्थ पर पुलिस-कांस्टेबल लेटा हुआ है, दूसरी पर एक बच्ची के साथ एक वयोवृद्ध भद्र पुरुष अधलेटे-से कुछ पढ़ रहे हैं। उसने उन भद्र पुरुष के पास जाकर कहा– “कृपया जरा ठीक से बैठिए। इस बर्थ पर तीन व्यक्ति बैठ सकते हैं।”

भद्र पुरुष ने पुस्तक से दृष्टि उठाकर युवती की ओर देखा और पूछा– “और उस बर्थ पर कितने बैठ सकते हैं?”

सहज भाव से युवती बोली– “व्यवस्था का कोई राजदार नहीं होता।”

**समाप्त**

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