चैप्टर 8 सेवासदन उपन्यास मुंशी प्रेमचंद

Chapter 8 Sevasadan Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters गजाधरप्रसाद की दशा उस मनुष्य की-सी थी, जो चोरों के बीच में अशर्फियों की थैली लिए बैठा हो। सुमन का वह मुख-कमल, जिस पर वह कभी भौंरे की भांति मंडराया करता था, अब उसकी आँखों में जलती हुई आग के समान था। … Read more