चैप्टर 32 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 32 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 32 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters सूरदास के मुकदमे का फैसला सुनने के बाद इंद्रदत्ता चले, तो रास्ते में प्रभु सेवक से मुलाकात हो गई। बातें होने लगी। इंद्रदत्ता-तुम्हारा क्या विचार है, सूरदास निर्दोष है या नहीं? प्रभु सेवक-सर्वथा निर्दोष। मैं तो आज उसकी साधुता पर कायल हो … Read more