चैप्टर 18 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास

Chapter 18 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters सोफ़िया घर आई, तो उसके आत्मगौरव का पतन हो चुका था; अपनी ही निगाहों में गिर गई थी। उसे अब न रानी पर क्रोध था, न अपने माता-पिता पर। केवल अपनी आत्मा पर क्रोध था, जिसके हाथों उसकी इतनी दुर्गति हुई थी, … Read more