चैप्टर 12 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास

Chapter 12 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters प्रभु सेवक ताहिर अली के साथ चले, तो पिता पर झल्लाए हुए थे-यह मुझे कोल्हू का बैल बनाना चाहते हैं। आठों पहर तम्बाकू ही के नशे में डूबा पड़ा रहूँ, अधिकारियों की चौखट पर मस्तक रगड़ूँ, हिस्से बेचता फिरूं, पत्रों में विज्ञापन … Read more