कमजोर अंतोन चेखव की कहानी | Kamjor Anton Chekhov Ki Kahani

कमजोर अंतोन चेखव की कहानी, Kamjor Anton Chekhov Ki Kahani Russian Story In Hindi 

Kamjor Anton Chekhov Ki Kahani

Kamjor Anton Chekhov Ki Kahani

आज मैं अपने बच्चों की अध्यापिका यूलिमा वार्सीयेव्जा का हिसाब चुकता करना चाहता था।

”बैठ जाओ, यूलिमा वार्सीयेव्जा।” मेंने उससे कहा, ”तुम्हारा हिसाब चुकता कर दिया जाए। हाँ, तो फैसला हुआ था कि तुम्हें महीने के तीस रूबल मिलेंगे, हैं न?”

”नहीं,चालीस।”

”नहीं तीस। तुम हमारे यहाँ दो महीने रही हो।”

”दो महीने पाँच दिन।”

”पूरे दो महीने। इन दो महीनों के नौ इतवार निकाल दो। इतवार के दिन तुम कोल्या को सिर्फ सैर के लिए ही लेकर जाती थीं और फिर तीन छुट्टियाँ… नौ और तीन बारह, तो बारह रूबल कम हुए। कोल्या चार दिन बीमार रहा, उन दिनों तुमने उसे नहीं पढ़ाया। सिर्फ वान्या को ही पढ़ाया और फिर तीन दिन तुम्हारे दाँत में दर्द रहा। उस समय मेरी पत्नी ने तुम्हें छुट्टी दे दी थी। बारह और सात, हुए उन्नीस। इन्हें निकाला जाए, तो बाकी रहे… हाँ इकतालीस रूबल, ठीक है?”

यूलिया की आँखों में आँसू भर आए।

“कप-प्लेट तोड़ डाले। दो रूबल इनके घटाओ। तुम्हारी लापरवाही से कोल्या ने पेड़ पर चढ़कर अपना कोट फाड़ डाला था। दस रूबल उसके और फिर तुम्हारी लापरवाही के कारण ही नौकरानी वान्या के बूट लेकर भाग गई। पाँच रूबल उसके कम हुए… दस जनवरी को दस रूबल तुमने उधार लिए थे। इकतालीस में से सताईस निकालो। बाकी रह गए चौदह।”

यूलिया की आँखों में आँसू उमड़ आए, ”मैंने सिर्फ एक बार आपकी पत्नी से तीन रूबल लिए थे….।”

”अच्छा, यह तो मैंने लिखा ही नहीं, तो चौदह में से तीन निकालो। अबे बचे ग्यारह। सो, यह रही तुम्हारी तनख्वाह। तीन,तीन… एक और एक।”

”धन्यवाद!” उसने बहुत ही हौले से कहा।

”तुमने धन्यवाद क्यों कहा?”

”पैसों के लिए।”

”लानत है! क्या तुम देखती नहीं कि मैंने तुम्हें धोखा दिया है? मैंने तुम्हारे पैसे मार लिए हैं और तुम इस पर धन्यवाद कहती हो। अरे, मैं तो तुम्हें परख रहा था… मैं तुम्हें अस्सी रूबल ही दूँगा। यह रही पूरी रकम।”

वह धन्यवाद कहकर चली गई। मैं उसे देखता हुआ सोचने लगा कि दुनिया में ताकतवर बनना कितना आसान है।

**समाप्त**

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