घर पर अंतोन चेखव की कहानी | Home Anton Chekhov Russian Story in Hindi 

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Ghar Par Anton Chekhov Ki Kahani

“ग्रिगोरिएफ के यहां से कोई एक किताब लेने आया था, मैंने कह दिया था कि आप घर पर नहीं हैं। डाकिया समाचार पत्र और दो चिट्ठियां दे गया है। और, साहब, मैं चाहती हूं कि आप सेरिओझा की ओर ध्यान दें। मैंने उसे आज सिगरेट पीते देखा था, और परसों भी। जब मैंने उससे कहा कि ये कितना गलत है तो, जैसा वो हमेशा करता है, उसने अपने कानों में अपनी अंगुलियां डाल लीं और जोर-जोर से गाने लगा, जिससे कि मेरी आवाज़ डूब जाए।”

यूजीन बिकोफ्स्की ने गवर्नेस की ओर देखा, जो उन्हें ये सब बातें बता रही थी, और हंस पड़े। वे जिला न्यायालय में वकील थे, और अभी-अभी न्यायालय से आकर अपने अध्ययन कक्ष में अपने दस्ताने उतार रहे थे।

“अच्छा तो सेरिओझा सिगरेट पीता है!” उन्होंने अपने कंधे उचकाकर कहा, “मोचो भी मुंह में सिगरेट दबाए वो जरा-सा भिखमंगा! उसकी उम्र ही कितनी है।”

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“सात साल का है। आपको ये बात मामूली लग रही है, लेकिन उस उम्र में सिगरेट पीना बहुत ही बुरी बात है, एक नुकसानदेह आदत; बुरी लत को तो शुरू होते ही दबा देना चाहिए।’

“तुम बिलकुल ठीक कह रही हो। उसे तंबाकू कहां से मिला?”

“आपकी मेज़ से।”

“उसकी यह जुर्रता। ऐसा किया है, तो उसे मेरे पास भेजो।’

जब गवर्नेस चली गई, तो वे अपनी पढ़ने की मेज़ के पास आराम कुर्सी पर बैठ गए, और सोचने लगे। तम्बाकू के धुएं में घिरे, मुंह में एक बड़ी-सी सिगरेट, करीब एक गज़ लम्बी लिए उनके अपने सेरिओझा की छवि उनके सामने उभर आई और यह कल्पना करते ही उन्हें हंसी आ गई। उसी समय गवर्नेस के गम्भीर परेशान चेहरे ने उनके बहुत पहले गुजरे, भूले-बिसरे दिनों की यादें ताजा कर दीं, जब स्कूलों और शिशुघरों में सिगरेट पीना, अभिभावकों और शिक्षकों में एक विचित्र, न समझ में आने वाला खौफ पैदा कर देता था। वास्तव में खौफ ही था वह। बच्चों को निर्दयती से मारा जाता था और स्कूल से निकाल दिया जाता था, उनकी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती थी। हालांकि एक भी शिक्षक, या किसी भी पिता को धूम्रपान से होने वाली हानियों और अपराध का ठीक से ज्ञान नहीं था। अत्यन्त विद्वान लोग भी उस बुरी आदत को नेस्तानाबूद करने से नहीं हिचकते थे, जिसे वो समझते तक नहीं थे।

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बिकोफ्स्की को अपने स्कूल के प्रिंसिपल याद आए, एक उच्च शिक्षित, अच्छे स्वभाव के बूढ़े व्यक्ति जब कभी उन्हें कोई छात्र सिगरेट पीता दिख जाता, उनका रंग एकदम ज़र्द हो जाता, और वे तुरन्त ही स्कूल बोर्ड की मीटिंग बुलाकर उस छात्र को निष्कासित कर दिया करते थे। इसमें संदेह नहीं है कि यह समाज का एक नियम है – जिस बुराई को जितना कम समझा जाता है, उम्र पर उतना ही तीखा और सख्त प्रहार किया जाता है।

वकील को उन दो-तीन लड़कों की याद आई, जिन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था। उनकी उसके बाद की जिंदगी ये दर्शाती थी कि अक्सर अपराध के कारण पनपने के बजाए बुराई सज़ाओं के कारण पनपती है। इस तरह के विचार बिकोफ्स्की के दिमाग में आए – हल्के-फुल्के, क्षण भंगुर विचार जो केवल एक थके मांदे, आराम फरमा रहे मस्तिष्क में आते हैं। न तो यह समझ में आता है कि कहां से आ रहे हैं वे, न ही पता चलता है कि क्यों आ रहे हैं, और बस वे बहुत थोड़ी देर ही ठहरते हैं और मस्तिष्क की सतह पर फैलने से लगते हैं, बिना गहराइयों में उतरे। उन सब लोगों के लिए जिनके दिलो-दिमाग दिनों-दिन काम की ही बातें सोचने को मजबूर रहते हैं, जो हमेशा एक ही रास्ते पर चलते हैं – ये बाधा रहित विचार, एक तरह का सुकून और एक अलग ही तरह की खुशनुमा आराम देते हैं।

नौ बजे का समय था। ऊपर की मंजिल पर कोई आगे-पीछे चल रहा था, और उसके भी ऊपर, यानी तीसरी मंजिल पर चार हाथ प्यानो पर सरगम बजा रहे थे। जो आदमी लगातार चहल-कदमी कर रहा था, उसकी चाल से ऐसा महसूस हो रहा था कि या तो वो दुःखदाई विचारों से ग्रस्त है या फिर उसे दांत का दर्द है। उसकी कदम ताल और पिआनो के नीरस स्वरों ने शाम के उस शान्त वातावरण में ऐसा उनींदापन भर दिया था जो मन को बेमतलब के विचारों की ओर बहाए जा रहा था।

वहां से दो कमरों की दूरी पर, बच्चों के कमरे में सेरिओझा और उसकी गवर्नेस के बीच बातचीत चल रही थी।

“पापा आ गए हैं, पापा आ गए हैं, पापा,” लड़का गा रहा था।

गवर्नेस कुछ चिल्लाई, जैसे डरी चिड़िया चीं-चीं कर रही हो।“मुझे उसमे क्या कहना चाहिए?” बिकोफ्स्की ने सोचा। लेकिन इससे पहले कि क्या कहना है, ये सोचने का समय उसे मिलता, उसका बेटा कमरे में आ चुका था। वो एक ऐसा छोटा-सा बालक था, उसके कपड़ों से ही उसके लड़का होने का पता लगता था -अन्यथा वह बेहद कोमल, उजला और नाजुक-सा था। उसका सब कुछ आश्चर्यजनक रूप से बहुत कोमल और नाजुक दिखता था -उसकी चाल, उसके घुघराले बाल और उसकी निगाहें “गुड ईवनिंग पापा”, उसने बहुत शिष्टता से अपने पिता के घुटनों पर चढ़कर फुर्ती से उनका गला चूमते हुए कहा, “आपने मुझे बुलाया था?”

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“थोड़ा ठहरो, थोड़ा ठहरो बच्चे” वकील ने उसे अलग करते हुए कहा, “इससे पहले कि हम और तुम एक दूसरे को प्यार करें, हमें एक बात करनी है, एक गम्भीर बात। मैं तुमसे नाराज़ हूं, और अब तुम्हें प्यार नहीं करता। तुम समझ गए न, मैं तुम्हें प्यार नहीं करता और तुम मेरे बेटे भी नहीं हो।”

सेरिओझा ने अपने पिता की ओर एकटक देखा, फिर मेज़ की ओर देखकर कंधे उचकाए।

‘‘मैंने क्या किया है?’ उसने परेशान होकर, पलकें झपकाते हुए पूछा, “मैं तो आज एक बार भी आपके अध्ययन-कक्ष में नहीं गया, और मैंने किसी भी चीज़ को नहीं छुआ।”

‘‘मिस नताली अभी मुझसे शिकायत कर रही थीं कि तुम सिगरेट पीते हो; ऐसा है क्या? तुम सिगरेट पीते हो क्या?”

“हां, मैंने एक बार पी थी।”

“तो, तुम अब झूठ भी बोल रहे हो।” वकील ने अपनी मुस्कान को, गुस्से में छिपाते हुए कहा, “मिस नताली ने तुम्हें दो बार सिगरेट पीते देखा है। इसका मतलब यह हुआ कि तुम तीन गलत काम करते पकड़े गये हो – सिगरेट पिया, मेरी मेज से तम्बाकू लिया, जो तुम्हारा नहीं था, और झूठ बोला। तीन इल्जाम हैं।”

“ओह हां! …’ सेरिओझा को याद आया और उसकी आंखें मुस्कुरा उठीं, “ये सच है, ये सच है! मैंने दो बार सिगरेट पी थी -आज और एक बार और।”

“यानी कि दो बार ऐसा किया था तुमने, एक बार नहीं। मैं तुमसे बहुत नाराज़ हूं। तुम अच्छे बच्चे हुआ करते थे, लेकिन अब बुरे और शैतान हो गए हो।’

बिकोफ्स्की ने सेरिओझा का छोटा सा कॉलर सीधा किया और सोचा कि अब आगे उससे क्या कहना चाहिए।

“हां, ये बहुत गलत था।” उसने जारी रखा, “मैंने तुमसे ऐसी आशा कभी नहीं की थी। पहली बात तो तुम्हें तम्बाकू लेने का अधिकार ही नहीं था, क्योंकि वो तुम्हारा नहीं था। लोगों को सिर्फ अपनी ही चीजें इस्तेमाल करने का अधिकार होता है। अगर कोई आदमी दूसरे लोगों की चीजें लेता है, तो वह बुरा कहलाता है।(बिकोफ्स्की ने सोचा – ‘मुझे उससे यह नहीं कहना चाहिए था।’ ) उदाहरण के लिए, मिस नताली के पास एक सन्दूक है, जिसमें कपड़े हैं। ये सन्दूक उसका है। और हमें, यानी तुम्हें और मुझे, उसे छूने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये हमारा नहीं है। तुम्हारे पास छोटे-छोटे घोड़े और तस्वीरें हैं। मैं उन्हें कभी नहीं लेता, लेता हूं क्या? शायद मैं लेना चाहूं, लेकिन वो मेरी नहीं हैं, वो तुम्हारी हैं।”

“अगर आप चाहें तो ले सकते हैं।” सेरिओझा ने भौंहें चढ़ाते हुए कहा, ”निश्चिन्त रहिए पापा, आप उन्हें ले सकते हैं। वो छोटा पीला कुत्ता जो आपकी मेज़ पर है, मेरा है; लेकिन वो यहां रहे तो भी मुझे फिक्र नहीं है।”

“तुम मेरी बात समझ नहीं रहे हो।” बिकोफ्स्की ने कहा, “तुमने मुझे उपहार दिया था वो छोटा कुत्ता। अब वो मेरा है और मैं जो चाहूं इसके साथ कर सकता हूं। ( ‘मैं उसे ठीक से समझा नहीं पा रहा हूं,’ वकील ने सोचा ) अगर मैं वो तम्बाकू पीना चाहूं, जो मेरा नहीं है तब पहले मुझे ऐसा करने के लिए इजाजत लेनी होगी।”

और इस तरह धीरे-धीरे वाक्य से वाक्य जोड़ते हुए और बच्चे की तरह बातचीत करते हुए बिकोफ्स्की अपने बेटे को अपना अधिकार होने का अर्थ समझाते रहे। सेरिओझा की आंखें, अपने पिता के सीने पर टिकी थीं और वो ध्यान से सुन रहा था। ( शाम के समय उसे अपने पिता से बातें करना अच्छा लगता था। फिर उसने कोहनियां मेज के किनारे पर रख दीं, और अपनी अधमिची आंखों से कागज़ और कलमदाने को ध्यान से देखने लगा। उसकी नज़रें मेज़ पर घूमने लगीं और गोंद की बोतल पर आकर ठहर गईं।

“पापा गोंद किस चीज़ से बनती है?” उसने अचानक बोतल को उठाकर अपनी आंखों के सामने लाते हुए पूछा।

बिकोफ्स्की ने बोतल उससे लेकर अपनी पहले वाली जगह पर रख दी और बात जारी रखीः

“और फिर तुम सिगरेट पीते रहे हो। यह सच में शैतानी की बात है। अगर मैं सिगरेट पीता हूं, तो इसका मतलब यह नहीं कि सिगरेट पीना अच्छा है। जब मैं सिगरेट पीता हूं, तो जानता हूं कि ये मूर्खता है और मैं स्वयं से नाराज़ होता हूँ, और ऐसा करने के लिए अपने आप को दोष देता हूं। ( ‘ओह, मैं कैसा चालाक शिक्षक हूं!’ वकील ने सोचा ) तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है, और इसे पीनेवाला जल्दी मर जाता है। ये और भी बुरा है, खासतौर पर जब सिगरेट पीने वाला तुम्हारे जितना छोटा हो तुम्हारा सीना कमज़ोर है, तुम अभी तक मज़बूत नहीं हुए हो; और तम्बाकू से कमजोर लोगों को क्षयरोग तथा अन्य बीमारियां हो जाती हैं। तुम्हारे चाचा इगनेशियस क्षयरोग से ही मरे थे। अगर वो धूम्रपान नहीं करते तो शायद आज भी जिन्दा होते।”

सेरिओझा ने सोचते हुए लैम्प की ओर देखा, लैम्पशेड को छुआ और लम्बी सांस ली।

“चाचा इगनेशियस वायलिन बजाया करते थे।’ उसने कहा, “ग्रिगोशिएफ के घर में है वह वायलिन अब।”

सेरिओझा ने फिर से अपनी कोहनियां मेज़ के किनारे पर झुकाई और विचारों में खो गया। उसके चेहरे के भावों से लगता था कि वो कुछ सुन रहा है, या खुद अपने विचारों की श्रृंखला में खोया हुआ है। उदासी और डर जैसा कुछ, उसकी बड़ी-सी अपलक खुली आंखों में आया; वह शायद मृत्यु के विषय में सोच रहा था, जो कुछ ही समय पहले उसकी मां और चाचा को ले गई थी। मृत्यु मांओं और चाचाओं को दूसरी दुनिया में ले जाती है, और उनके बच्चे तथा वॉयलिन यहीं पृथ्वी पर रह जाते हैं। मृत लोग स्वर्ग में कहीं सितारों के पास रहते हैं। और वहां से वे नीचे पृथ्वी को देखते हैं। क्या वो ये जुदाई बरदाश्त कर सकते हैं?

“मुझे उससे क्या कहना चाहिए?”

बिकोफ्स्की ने सोचा, “वह सुन नहीं रहा है। यह तो स्पष्ट है कि वह अपने अपराध को कोई महत्व नहीं दे रहा, और न ही मेरे तर्को को। मैं ऐसा क्या कह सकता हूं, जो उसे छू जाए।” वकील उठा और कमरे में टहलने लगा।

वह सोच रहा था, ‘हमारे समय में ऐसे प्रश्नों का निपटारा करने का एक सरल तरीका था। अगर कोई छोटा बच्चा धूम्रपान करते पकड़ा जाता, तो उसकी जोरों की धुनाई होती थी। डरपोक और कायर बच्चे वास्तव में इससे धूम्रपान छोड़ देते थे, लेकिन चालाक और दिलेर लड़का पिटाई होने के बाद तंबाकू अपने जूते में छुपाकर रखता था और बाहर जाकर सिगरेट पीता था। अगर वहां भी पकड़ा जाता, तो फिर से पिटाई होती, तब वह नदी के किनारे जा कर पीता था, और किस्सा इसी तरह चलता रहता, जब तक कि वह बड़ा नहीं हो जाता था। मेरी मां धूम्रपान से दूर रहने के लिए मुझे मिठाई और पैसे देती थी। इस प्रकार के उपाय आज कमज़ोर तथा अनैतिक लगते हैं।

एक तार्किक दृष्टिकोण लेकर आज के शिक्षक बच्चे में ‘सही व गलत’ के प्रारम्भिक सिद्धांत बैठाने की कोशिश करते हैं तथा उन्हें समझने में बच्चे की मदद करते हैं – उसके डर को या पुरस्कार प्राप्त करने की इच्छा को जगाकर नहीं।

जब वो टहल रहा था और ध्यान मग्न था, सेरिओझा ऊपर चढ़ा और मेज़ के पास की कुर्सी पर खड़ा होकर चित्र बनाने लगा। मेज़ पर एक नीली पैंसिल और कागजों की गड्डी खासकर उसके लिए ही रखी गई थी जिससे कि वो किसी ज़रूरी कागज़ पर न लिखे और न ही स्याही को छुए।

“खाना बनाने वाली ने पत्तागोभी काटते हुए आज अपनी अंगुली काट ली।” सेरिओझा ने भौंहें चढ़ाकर मकान का चित्र बनाते हुए कहा, “वो इतनी जोर से चीखी कि सब डर गए और रसोई घर की ओर भागे। वो कितनी बुद्धू है! मिस नताली ने उससे अंगुली ठंडे पानी में डालने के लिए कहा, लेकिन वो उसे चूसती रही। वो अपनी गंदी अंगुली अपने मुंह में कैसे रख सकती है। पापा ये ठीक नहीं था न?”

फिर वो बताने लगा कि कैसे एक बाजा बजाने वाला, शाम के खाने के समय उनके आंगन में आया। उसके साथ एक छोटी लड़की थी, जो संगीत के साथ नाच-गा रही थी।

“वो अपने ही विचारों में मग्न है।” वकील ने सोचा। ‘‘उसके दिमाग में उसका अपना छोटा-सा संसार है। वह जानता है कि उसके लिए क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं। कोई उसके ध्यान और चेतना को केवल उसकी भाषा की नकल करके धोखा नहीं दे सकता, खुद को उसी की तरह सोचने के योग्य भी होना चाहिए। वो मुझे ठीक से समझ गया होता, अगर मैं तंबाकू के लिए अफसोस करता, नाराज़ हो जाता और आंसू बहाने लगता। यही वजह है कि शिक्षा देने में मां का स्थान कोई और नहीं ले सकता क्योंकि वो बच्चों के साथ उसे अनुभव को उसी तरह अनुभव कर सकती है, हंस सकती है और उन्हीं की तरह रो सकती है। तर्क और नीतिशास्त्र से कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। ठीक है लेकिन मैं उससे क्या कहूं।”

बिकोफ्स्की को यह बात बड़ी हास्याप्रद और विचित्र लगी कि उसके जैसा कानून का विद्यार्थी, जिसने आधी जिंदगी अपराध को रोकने और सजा के हर पहलू का अध्ययन करने में लगा दी, एक बच्चे से क्या कहना चाहिए, यह सोचने में पूरी तरह अयोग्य है।

“सुनो मुझे वचन दो कि तुम अब सिगरेट नहीं पियोगे,” उसने कहा।

“वचन व-च-न …” सेरिओझा गाने लगा।

‘मुझे शक है कि वो तो वचन का मतलब भी नहीं जानता।’ बिकोफ्स्की ने स्वयं से कहा, ‘नहीं-नहीं मैं एक बुरा शिक्षक हूं।’ अगर इस समय कोई शिक्षाविद या विधिवेत्ता मेरे सिर के अन्दर झांक के देखे, तो शायद मुझे बाल की खाल निकालने के लिए दोषी ठहराए। लेकिन तथ्य ये है कि इस प्रकार के मुश्किल सवाल घर के बजाए स्कूल में या न्यायालय में कहीं अधिक आसानी से हल हो जाते हैं। यहां घर में ऐसे लोगों के साथ सामना होता है, जिन्हें हम बेवजह बहुत प्यार करते हैं, और ये प्यार ही चीजों को मुश्किल और जटिल बना देता है। अगर ये बच्चा मेरा बेटा न होकर, मेरा शिष्य या कैदी होता, तो मैं इतनी कायरता से पेश नहीं आता और मेरे विचार भी इस तरह नहीं भटकते जैसा कि इस वक्त हो रहा है।

बिकोफ्स्की मेज़ पर बैठ गए और उन्होंने सेरिओझा का एक चित्र अपनी ओर खींचा, चित्र में – ‘एक टेढ़ी-सी छत वाला छोटा-सा मकान था, जिसकी चिमनी से टेढ़ा-मेढ़ा धुंआ निकल कर ऊपर कागज़ के किनारे तक जा रहा था। घर के पास एक सिपाही खड़ा था, जिसकी आंखों की जगह दो बिन्दु बने हुए थे, और जिसकी संगीन चार के अंक जैसी थी।’

“कोई भी आदमी एक मकान से ऊंचा हो ही नहीं सकता, और देखो यहां तो तुम्हारे मकान की छत सिपाही के कंधे तक ही पहुंच रही है।” वकील ने कहा।

सेरिओझा अपने पिता की गोद में चढ़ गया और देर तक कुलबुलाता रहा, वह आराम से बैठने की कोशिश कर रहा था।

“नहीं पापा,” उसने अपने चित्र को ध्यान से देखते हुए कहा, “अगर सिपाही छोटा बना दिया तो उसकी आंखें नहीं दिखेंगी।”

मुझे उसकी गलती निकालने की क्या जरूरत थी? अपने बेटे को रोज़ देखकर वकील ने समझ लिया था कि आदिम लोगों की तरह बच्चों का भी अपना ही कलात्मक दृष्टिकोण होता है और उनकी अपनी अनोखी आवश्यकताएं होती हैं जो वयस्क बुद्धिमत्ता के क्षेत्र से परे होती हैं। बारीकी से देखने पर सेरिओझा एक वयस्क को असामान्य लगेगा क्योंकि उसे मकान से ऊंचा आदमी बनाना उचित और सम्भव लगा; उसने न सिर्फ अपने मन में आया विषय पैंसिल के हवाले किया पर उस विषय को देखने का अपना नजरिया भी। इसी प्रकार उसने वाद्यवृन्द की आवाज़ को गोले धुंए के धब्बे, सीटी की आवाज़ को घुमावदार धागे से प्रदर्शित किया; ध्वनि, उसके मन में रंगों और शक्लों से गहन रूप से जुड़ी हुई थी। इसीलिए अक्षरों को भी वह उनकी ध्वनि के कारण एक रंग विशेष से रंगता था – ‘ल’ पीला, ‘म’ लाल, ‘अ’ काला और इसी तरह अन्य भी।

चित्र को एक ओर फेंककर सेरिओझा गोद में ही बैठे-बैठे इधर उधर हुआ, फिर आराम से बैठकर पापा की दाढ़ी की ओर ध्यान देने लगा। पहले उसने दाढ़ी को सावधानी से एकसार किया, फिर उसे अलग अलग करके लंबी कलमों में बांट दिया।

“अब आप इवान स्टेपेनोविच लग रहो हो।” उसने धीरे से कहा, “और अब एक मिनट में आप दिखने लगोगे अपने चौकीदार की तरह।” फिर उसने अगली सवाल दाग दिया, “पापा चौकीदार दरवाजे पर क्यों खड़े होते हैं? डाकुओं को अन्दर आने से रोकने के लिये?”

वकील ने बच्चे की सांसें अपने चेहरे पर महसूस की, बच्चे के मुलायम बाल उसके गालों को छू रहे थे, और एक तृप्तता, एक कोमलता उसके हृदय में समा गई और उसे लगा मानो कि सेरिओझा के सिर पर उसने अपना हाथ नहीं, बल्कि आत्मा ही रख दी हो।

उसने बच्चे की बड़ी-बड़ी काली आंखों की गहराइयों में देखा और उसे लगा मां, पत्नी और वो हर कोई जिसे उसने कभी प्यार किया था उन आंखों की पुतलियों में से झांक रहा है। “उसे कोई कैसे पीट सकता है?” उसने सोचा, “कोई किस तरह उसे मज़ा दे सकता है? नहीं, हमें यह दिखावा नहीं करना चाहिए कि बच्चो को किस तरह शिक्षा देना, ये हम जानते हैं। पहले लोग अधिक सीधे होते थे; और सोचते भी कम थे, इसलिए वे अपनी समस्याओं को अधिक साहस के साथ सुलझा लेते थे। लेकिन हम लोग बहुत अधिक सोचते हैं और तर्क के झांसे में आसानी से आ जाते हैं। कोई व्यक्ति जितना अधिक प्रबुद्ध होगा वो उतना ही अधिक चिन्तन एवं नुक्ताचीनी करेगा, उसमें उतना ही अधिक नैतिक संकोच होगा, वह उतना ही अधिक अनिश्चित होगा और किसी भी काम को वह डरते-डरते करेगा। और अगर गंभीरता से सोचें, तो हमें कितनी हिम्मत और अपने पर कितने ज्यादा भरोसे की ज़रूरत नहीं होगी – किसी और को शिक्षा देने के लिए, या किसी बात के लिए फैसला सुनाने के लिए, या फिर एक भारी भरकम किताब लिखने के लिए।

घड़ी ने दस का घंटा बजाया।

“आओ बेटे सोने का वक्त हो गया,” वकील ने कहा, “गुडनाइट कहो, फिर जाओ।”

“नहीं पापा, मैं थोड़ी देर और ठहरना चाहता हूं, मुझे कुछ बताइए; अच्छा, एक कहानी सुनाइए।” सेरिओझा ने कहा।

“बहुत अच्छा, लेकिन जैसे ही कहानी समाप्त होगी, हम सोने चले जाएंगे।” जब भी शाम को वह व्यस्त नहीं होता वकील को अपने बेटे को कहानियां सुनाने की आदत थी। अधिकतर व्यस्त लोगों की तरह, उसे ने तो कोई कविता याद थी और न ही वो कोई कहानी जानता था; इसलिये उसे हर बार तत्काल कुछ नया गढ़ना पड़ता था। सामान्यतः वह ‘एक समय की बात है’ से शुरू करता और फिर एक के ऊपर एक अर्थहीन मासूम घटनाओं का अम्बार लगाता जाता, शुरुआत करते समय उसे न तो मध्य का पता होता था, और न ही यह मालूम होता था कि अन्त में क्या होगा। दृश्य, चरित्र और घटनाएं वो कहीं से भी ले लेता था, और कथानक तथा सबक अपने आप आ टपकते थे, कहानी सुनाने वाले का उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता था।

सेरिओझा को ये आशु रचनाएं बहुत पसंद थीं। वकील ने ध्यान किया था कि कथानक जितना अधिक सीधा-सादा और सरल होता, वह सेरिओझा को उतना ही अधिक प्रभावित करता था।

“सुनो,” उसने अपनी आंखें छत की ओर उठाते हुए कहा – ‘‘एक समय की बात है, एक बूढ़ा, बहुत बूढ़ा राजा रहता था। उसके लम्बी, सफेद दाढ़ी और, ये बड़ी-बड़ी मूंछे थीं। यह राजा एक क्रिस्टल के महल में रहता था, जो सूर्य की रोशनी में बर्फ के एक बड़े-से टुकड़े की तरह चमकता और चारों ओर प्रकाश बिखेरता था। बेटे, ये महल एक बड़े से बगीचे में था, जिसमें संतरे और नाशपाती और चैरी और ट्यूलिप और गुलाब उगते थे, और भड़कीले रंग बिरंगे पंछी वहां गाया करते थे। और हां, पेड़ों पर क्रिस्टल की छोटी-छोटी घंटियां टंगी रहती थीं। जब हवा चलती तो वे इतना मधुर स्वर देती थीं कि उन्हें सुनकर कोई कभी उकता नहीं सकता था।”

“क्रिस्टल धातु से अधिक कोमल और मधुर स्वर देता है। ठीक, और यही नहीं, उस बाग में फव्वारे भी थे। तुम्हें याद है न तुमने एक बार सोनिया आंटी के घर में एक फव्वारा देखा था। उसी तरह के फव्वारे राजा के बाग में थे, पर बहुत-बहुत बड़े और उनकी फुहार सबसे ऊंचे पोपलर पेड़ की चोटी तक पहुंचती थी।”

बिकोफ्स्की ने एक क्षण सोचा और कहानी को आगे बढ़ाया — “बूढ़े राजा के सिर्फ एक बेटा था जो उसके राज्य का उत्तराधिकारी था। एक छोटा लड़का, बिल्कुल तुम्हारे जितना छोटा। वह एक अच्छा लड़का था; वह कभी भी मचलता नहीं था और वो जल्दी ही सो जाता था। अपने पापा की मेज़ से कोई भी चीज़ नहीं छूता था – और वो हरेक तरह से ही उतना अच्छा था, जितना ज्यादा अच्छा वो हो सकता था। उसमें बस सिर्फ एक कमी थी — वह सिगरेट पीता था।”

सेरिओझा बहुत ध्यान से, पापा की आंखों में दृढ़ता से देखते हुए, सुन रहा था। वकील ने अपने आप से पूछा ‘आगे किस तरह बढ़ाया जाए इसे?’ वह बहुत देर तक सोचता रहा और फिर कहानी को इस तरह समाप्त कियाः

“क्योंकि वह सिगरेट पीता था इसलिए राजा का बेटा बीमार हो गया, उसे क्षयरोग हो गया; और बीस साल की उम्र में वह मर गया। बूढ़ा राजा बीमार और कमजोर हो गया था, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा था, और उसके महल की रक्षा करने वाला या राज्य पर शासन करने वाला भी कोई नहीं रहा। दुश्मन आए, उन्होंने राजा को मार दिया और महल को नष्ट कर दिया, और अब न तो वहां बाग में चेरी के पेड़ बचे थे, और न कोई चिड़िया, और न ही घंटियां, और इसीलिए बेटे…।”

इस तरह का अन्त बिकोफ्स्की को कलाविहीन और बेहूदा लगा, लेकिन कहानी ने सेरिओझा पर गहरा प्रभाव डाला था। दु:ख तथा खौफ जैसा कुछ एक बार फिर उसकी आंखों में झलका, वह एक मिनट तक अंधेरी खिड़की से बाहर देखता रहा और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “मैं अब और सिगरेट नहीं पीऊंगा।”

जब वह गुडनाइट कह कर सोने चला गया तो उसके पिता धीमे-धीमे फर्श पर चहल-कदमी कर रहे थे, और मुस्कुरा रहे थे।

‘यह कहा जाएगा कि इस किस्से में सुन्दरता और कलात्मक स्वरूप ही प्रभाव डालने वाले थे,’ वह मनन कर रहा था, ‘शायद ऐसा ही था, परन्तु यह कोई तसल्ली की बात नहीं। आखिरकार, प्रभाव डालने के वास्तविक साधन ये तो नहीं हो सकते। ऐसा क्यों होता है कि सत्य और सदाचार को उनके अनगढ़ रूप में प्रस्तुत न करके मिश्रित चाशनी चढ़ाकर, कलई करके ही, मीठी गोली के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह उचित नहीं है। यह मिथ्याकरण, चालाकी और धोखा है।

उसे ज्यूरी के उन सब लोगों की याद आई जिनके सामने शुरुआती वक्तव्य में हर बार ज़ोरदार तकरीर करनी पड़ती थी, उसे जनता की याद आई जो इतिहास को केवल पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक उपन्यासों और कविताओं के माध्यम से ही आत्मसात कर सकती है।

दवा को मीठा होना चाहिए और सत्य को सुंदर; आदम के ज़माने से यही इंसान की कमी रही है। फिर शायद यह एक बिलकुल कुदरती बात हो और ऐसा ही होना चाहिए। आखिर कुदरत के पास भी अपना काम बनवाने के कई होशियारी भरे तरीके हैं. कई प्रपंच हैं!

वह अपने काम पर फिर से बैठ गया, पर वो सुस्त घरेलू ख्यालात देर तक उसके मन में आते रहे। ऊपर से आने वाली सुरों की ध्वनि अब सुनाई नहीं पड़ रही थी – पर दूसरी मंजिल के रहवासी की चहल-कदमी जारी थी।

**समाप्त**

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