अनोखा रोमांस अंतोन चेखव की कहानी | Anokha Romance Anton Chekhov Ki Kahani

अनोखा रोमांस अंतोन चेखव की कहानी, Anokha Romance Anton Chekhov Ki Kahani , Anokha Romance Anton Chekhov Story

Anokha Romance Anton Chekhov Ki Kahani

संगीतकार स्मिसकोव नगर से राजकुमार बिबुलोव के महल को जा रहा था, जहाँ एक सगाई के उपलक्ष्य में शाम को संगीत और नृत्य का कार्यक्रम रखा गया था। चमड़े के केस में अपना भीमकाय डबल बास बाजा बन्द किये और पीठ पर लादे, वह एक नदी के तट से गुजर रहा था। स्मिसकोव ने सोचा – ‘क्यों न एक डुबकी लगा ली जाए?’ विवस्त्र हो वह शीतल जल में कूद पड़ा।

वह बड़ी सुहावनी सन्ध्या थी। स्मिसकोव की कवित्वमय आत्मा वातावरण के साथ एक हो चुकी थी। अभी वह सौ कदम ही तैरकर आगे बढ़ा था कि उसका हृदय पुलकित हो उठा – तट की ढलान पर उसे एक अत्यन्त सुन्दर लड़की बैठी दिखाई दी। वह मछलियाँ पकड़ रही थी। उसने बदलती हुई भावनाओं में डूबी अपनी साँस को रोक लिया।

जब से उसने मानवता में विश्वास खो दिया था (जबसे उसकी प्रिय पत्नी उसके एक मित्र के साथ भाग गयी थी), उसका हृदय खाली पड़ा था और वह लोगों से घृणा करने लगा था।

किन्तु अब उस सो रही सुन्दरी (उसकी आँखें बन्द थीं) के कदमों में उसे अपनी इच्छा के विपरीत, प्रेम जैसी किसी भावना का अनुभव हुआ। वह देर तक उस सुन्दरी के रूप का पान करता रहा।

“अब काफी हो चुका!” उसने एक लम्बी साँस ली, “विदा, रे आकर्षक दृश्य! दावत में जाने का समय हो रहा है।”

और उस ओर अन्तिम बार देखकर वह वहाँ से तैरकर हटना ही चाहता था कि उसे एक विचार सूझा।

“कोई ऐसी वस्तु छोड़ जाओ कि यह सुन्दरी भी याद रखे कि यहाँ कोई आया था। मैं बंसी के गुल्ले में कुछ अटका देता हूँ।”

धीमे से स्मिसकोव तैरकर तट पर पहुँचा, पानी के कुछ फूल इकट्ठा किये, उन्हें एक में बाँधकर बंसी के गुल्ले में बाँध दिया।

फूलों का गुच्छा डूब गया, साथ ही बंसी का गुल्ला भी।

जब वह तट पर पहुँचा, तो उसे बड़ा आघात लगा। उसके वस्त्र कहीं भी दिखलाई नहीं पड़ रहे थे। वे चुरा लिये गये… जब वह उस सुन्दर लड़की के रूप की प्रशंसा कर रहा था, कुछ बदमाश उसके सभी वस्त्र लेकर भाग गये थे। छोड़ गये थे, उसका भीमकाय बाजा और हैटमात्र।

“ये बदमाश जहन्नुम को जाएँगे!” स्मिसकोव चिल्लाया, “मुझे वस्त्र चुरा लिये जाने का दुख नहीं। वस्त्र तो शरीर का ही होता है, किन्तु अब मुझे उस दावत में विवस्त्र होकर ही जाना पड़ेगा।”

वह अपने डबल बास बाजे पर बैठ गया।

“मैं विवस्त्र होकर राजकुमार बिबुलोव की दावत में जा भी तो नहीं सकता। वहाँ महिलाएँ भी तो होंगी। और हाँ, मैं बाजा बजा भी तो नहीं सकता, ‘रोजीन’ तो पैण्ट की जेब में ही थी।”

वह बड़ी देर तक सोचता रहा। आखिरकार उसे याद आया कि तट से जरा हटकर ही झाड़ियों में एक पैदल-पुल है। मैं अँधेरा होने तक वहाँ छिपा बैठा रहूँगा। उसके बाद पहली काटेज तक पहुँच जाऊँगा…

अब बाजा पीठ पर लादकर, हैट सिर पर रखकर पुल की ओर चलने लगा। वह कोई पौराणिक उपदेवता लग रहा था।

अच्छा, मेरे पाठको, अब हम अपने नायक को पुल के नीचे छोड़कर मछली मारने वाली लड़की की ओर ध्यान दें। उसका क्या हुआ? आँखें खुलने पर जब उस सुन्दरी ने बंसी के गुल्ले को पानी पर नहीं देखा, तो उसने बंसी खींची। वह भारी लगी-कँटीला तार और गुल्ला दिखलाई नहीं पड़ रहे थे। स्मिसकोव के पुष्प गुच्छ भारी होकर पानी की सतह के नीचे डूब गये थे।

“लगता है, बड़ी मछली आ फँसी है,” लड़की ने सोचा, “अथवा कँटीला तार कहीं किसी वस्तु में फँस गया है।”

जोर से खींचने पर भी गुल्ला ऊपर नहीं उठ पाया, तो वह दुखी हो गयी। अन्ततः बिना झिझक अपने वस्त्रों को उतारकर अपने सुन्दर शरीर को उसने पानी के हवाले कर दिया। बड़ी कठिनाई से वह पुष्प गुच्छ को गुल्ले से अलग कर पायी और विजय की मुसकान लिये पानी के बाहर निकली।

किन्तु दुर्भाग्य उसकी बाट देख रहा था! बदमाश, जो स्मिसकोव के वस्त्र ले भागे थे, उसके वस्त्र भी चुरा ले गये थे।

“हे भगवान! अब क्या करूँ?” उसकी आँखों से आँसुओं की अविरल धारा बहने लगी। “क्या मुझे ऐसी दशा में जाना होगा? नहीं, कभी नहीं! ऐसे जाने की अपेक्षा मैं मृत्यु पसन्द करूँगी। शाम होने तक मैं इन्तजार करूँगी। उसके बाद वृद्धा अगाथा के पास जाकर उसे घर से वस्त्र लाने को कहूँगी… इस बीच मैं अपने आपको पुल के पीछे छिपा लूँगी।”

नायिका दौड़कर पुल तक गयी और घास के पीछे छिप गयी।

पुल की नीचे सरकते ही उसे एक रोयेंदार छाती वाला एक नग्न व्यक्ति दिखलाई पड़ा, जिसे देखते ही वह बेहोश हो गयी।

स्मिसकोव भी घबरा गया। उसने उसे कोई जलपरी समझा।

हो सकता है कि यह कोई मायाविनी हो, जो मुझे छलने को आयी है, और उसे इसका विश्वास भी हो गया, क्योंकि वह अपने को काफी आकर्षक मानता था, ‘किन्तु यदि यह कोई मानवी ही हो, तो ऐसी हालत में क्यों है, यहाँ पुल के नीचे?’

और जब वह हतप्रभ-सा खड़ा सोच रहा था, वह उसके करीब आ पहुँची। ‘मुझे मारो नहीं।’ वह बुदबुदायी, ‘मैं राजकुमारी बिबुलोवा हूँ। तुम्हें बड़ा इनाम मिलेगा। मैं नदी में से अपनी बंसी का काँटा छुड़ा रही थी कि कुछ चोर मेरे नये वस्त्र, जूते, सबकुछ उठा ले गये।’

“मादाम” स्मिसकोव ने विनीत भाव से कहा, “वे मेरे वस्त्र भी चुरा ले गये, मेरा ‘रोजीन’ तक उन्होंने नहीं छोड़ा।”

थोड़ी देर के उपरान्त वह पुनः बोला, “मादाम, मेरे कारण आप अजीब स्थिति में पड़ गयी हैं, किन्तु जिस प्रकार ऐसी अवस्था में आप नहीं जा सकतीं, मैं भी नहीं जा सकता। मेरा सुझाव है कि आप मेरे भीमकाय बाजे के केस में लेटकर ढक्कन बन्द कर लें।”

और इन शब्दों के साथ उसने बाजा केस में से निकाल दिया।

सुन्दरी केस में लेटकर उसकी नजरों से ओझल हो गयी। स्मिसकोव ने अपने आपको अपनी बुद्धिमानी पर बधाई दी।

“मादाम, अब आप मेरी दृष्टि से ओझल हैं, घबराने की तनिक भी आवश्यकता नहीं। अँधेरा होते ही मैं आपको आपके पिता के घर पहुँचा दूँगा। उसके बाद मैं बाजा लेने वापस आऊँगा।”

अँधेरा होते ही केस को बन्द कर पीठ पर लादकर स्मिसकोव बिबुलोव के महल की ओर चला। उसकी योजना थी कि वह पहली काटेज में पहुँचकर अपने लिए कोई वस्त्र माँग लेगा।

‘हर बुराई के पीछे एक अच्छाई भी होती है’, उसने सोचा। ‘बिबुलोव अवश्य ही मुझे पुरस्कृत करेंगे।’

“आप आराम से तो हैं न?” उसने शेखी में आकर पूछा।

किन्तु तभी उसे लगा कि उसके सामने से अँधेरे में दो मानव आकृतियाँ चली आ रही हैं। उनके नजदीक आने पर उसने देखा कि वे कुछ पुलिन्दे लिये हुए थे। बिजली की-सी तेजी से उसे विचार आया कि हो न हो, वे उसके वस्त्र चुराने वाले चोर ही हैं।

बास बाजे के केस को जमीन पर रखकर वह उनके पीछे भागा और चिल्लाया, ‘पकड़ो, पकड़ो!’

उन दोनों ने जब देखा कि उनका पीछा किया जा रहा है, तो निकल भागे। राजकुमारी ने कुछ देर तक भागनेवाले कदमों की आवाज सुनी, ‘पकड़ो’ की आवाज सुनी और सब कुछ शान्त हो गया।

स्मिसकोव उनके पीछे भागता ही रहा। सुन्दरी को उस केस में सड़क के पास के खेत में पड़ा रहना होता, किन्तु भाग्य ने उसका साथ दिया। उस समय, उसी सड़क से दो अन्य संगीतकार भी, जो स्मिसकोव के मित्र थे, बिबुलोव की दावत में जा रहे थे। केस से ठोकर लगते ही वे भौचक्के रह गये।

“यह बास बाजा है!” मुखोव बोला, “किन्तु यह तो अपने मित्र स्मिसकोव का है, यहाँ कैसे आया?”

“स्मिसकोव किसी दुर्घटना का शिकार हो गया लगता है। या तो वह अधिक पी गया, अथवा डकैती का शिकार बना। जो भी हो, उसका बाजा हम साथ लेते चलेंगे।” दूसरा मित्र बोला।

उनमें से एक ने उसे पीठ पर लाद लिया। कुछ दूर जाकर वह बोला, “कितना वजनदार है!”

राजकुमार बिबुलोव के महल में पहुँचकर उन्होंने वह केस एक कोने में रख दिया और दावत में शरीक होने चले गये।

हाल में रोशनी जलायी जाने लगी। बीच में खड़ा हुआ एक रूपवान आकर्षक युवक लाकेच, जो दरबार में एक अधिकारी था, और राजकुमारी का भावी पति था, काउण्ट स्कालीकोव से संगीत की चर्चा कर रहा था।

“आप जानते हैं, काउण्ट, मेरी मुलाकात एक ऐसे वायलिन-वादक से हुई थी, जो जादू करता था… आप विश्वास नहीं करेंगे, वह मामूली बास पर ऐसी धुनें बजाता था कि क्या कहने!”

“मुझे तो सन्देह है,” काउण्ट ने कहा।

“यकीन मानिए! उसने उस पर ‘लिज्ट राफ्सोडी’ की ऐसी धुन बजायी कि मैं मन्त्रमुग्ध रह गया। मैं उसके बगलवाले कमरे में रहता था। सो मैंने भी सीख लिया।”

“मजाक कर रहे हो…”

“आप विश्वास नहीं कर रहे?” लाकेच ने हँसकर कहा, “तो चलिए, आपको बजाकर सुनाता हूँ।”

राजकुमारी का भावी पति काउण्ट के साथ उस कोने में जा पहुँचा। और केस का ढक्कन खोलते ही उन्होंने जो देखा… वह लोमहर्षक था।

तो अब पाठकों को संगीत-चर्चा की उनकी कल्पना पर छोड़कर हम स्मिसकोव के पास लौटते हैं। बेचारा संगीतकार चोरों को पकड़ने में असफल होकर वापस उसी स्थान पर पहुँचा, जहाँ उसने केस रखा था, किन्तु उसे वह बहुमूल्य बोझ वहाँ नहीं दीखा। अचरज में डूबा वह सड़क पर कभी आगे जाता, कभी पीछे लौटता। अन्त में उसने सोचा कि वह गलत सड़क पर आ गया है।

‘क्या भयानक दुर्घटना है!’ उसने मस्तक पर से पसीना पोंछते हुए सोचा। उसका रक्त अब तक बर्फ बन चुका था। ‘वह उस केस में घुटकर मर जाएगी। मैं हत्यारा हूँ।’

अर्ध रात्रि तक वह केस की खोज में भटकता रहा। जब एकदम थककर चूर-चूर हो गया, तो पुल की ओर चल पड़ा।

‘अब मैं प्रातः होने पर खोज करूँगा’, उसने निश्चय किया।

किन्तु प्रातःकालीन खोज का परिणाम भी वही निकला। अब स्मिसकोव ने निश्चय किया कि अँधेरा होने पर वह पुल के नीचे खोज करेगा…

‘मैं उसे खोज कर रहूँगा!’ पसीना पोंछते हुए, हैट उतारते हुए वह बुदबुदाया, ‘चाहे एक वर्ष ही लग जाए।’

और आज भी उस क्षेत्र में रहनेवाले किसान बतलाते हैं कि किस तरह रात को पैदल पुल के पास वे हैट पहने हुए, लम्बे बालों वाली एक नंगी आकृति देखते हैं। और कभी-कभी उस पुल के नीचे से बास बाजे की मधुर ध्वनि भी सुनाई पड़ा करती है।

**समाप्त**

प्यार व्यार शादी वादी अंतोन चेखव की कहानी

एक छोटा सा मज़ाक अंतोन चेखव की कहानी

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