वैशाली की नगरवधु आचार्य चतुरसेन शास्त्री की कहानी | Vaishali Ki Nagarvadhu Acharya Chatursen Shastri Novel | Vaishali Ki Nagarvadhu Acharya Chatursen Shastri Ka Upanyas
Vaishali Ki Nagarvadhu Acharya Chatursen Shastri Novel
वैशाली की नगरबधू का सारांश
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का उपन्यास “वैशाली की नगरबधू” एक ऐतिहासिक कालखंड पर आधारित मार्मिक कहानी है। यह उपन्यास वैशाली नगर की राजकुमारी और एक साधारण युवक के प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द घूमता है।
उपन्यास की नायिका एक राजकुमारी है, जो अपने उच्च वर्ग के जीवन से ऊब चुकी है। वह एक साधारण युवक से प्रेम करती है, जो समाज में निम्न वर्ग का माना जाता है। उनकी प्रेम कहानी सामाजिक असमानता और रूढ़िवादी विचारधारा से जूझती है। समाज उनकी इस प्रेम को स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। दोनों प्रेमियों को अपने प्यार के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपने परिवार, समाज और रीति-रिवाजों के खिलाफ खड़ा होना पड़ता है।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने इस उपन्यास के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार किया है और प्रेम और समानता के महत्व को रेखांकित किया है।
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