नाग पूजा ~ मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Naag Pooja Munshi Premchand Ki kahani

 Naag Pooja Munshi Premchand Ki kahani (१) प्रात:काल था। आषढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे ऐसे निखर गये थे, जैसे साबुन से मैने कपड़े निखर जाते हैं। उन पर एक विचित्र आध्यात्मिक शोभा छायी हुई थी मानो … Read more