चैप्टर 6 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास

Chapter 6 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters धर्मभीरुता में जहाँ अनेक गुण हैं, वहाँ एक अवगुण भी है; वह सरल होती है। पाखंडियों का दाँव उस पर सहज ही में चल जाता है। धर्मभीरु प्राणी तार्किक नहीं होता। उसकी विवेचना-शक्ति शिथिल हो जाती है। ताहिर अली ने जब से … Read more