चैप्टर 46 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 46 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand
Chapter 46 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters चारों आदमी शफाखाने पहुँचे, तो नौ बज चुके थे। आकाश निद्रा में मग्न, आँखें बंद किए पड़ा हुआ था, पर पृथ्वी जाग रही थी। भैरों खड़ा सूरदास को पंखा झल रहा था। लोगों को देखते ही उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे। … Read more