चैप्टर 28 रंगभूमि मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास | Chapter 28 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand

Chapter 28 Rangbhoomi Novel By Munshi Premchand Prev | Next | All Chapters सोफिया के चले जाने के बाद विनय के विचार-स्थल में भाँति-भाँति की शंकाएँ होने लगीं। मन एक भीरु शत्रु है, जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है। जब तक सोफी सामने बैठी थी, उसे सामने आने का साहस न हुआ। … Read more