परीक्षा गुरु लाला श्रीनिवास दास का उपन्यास | Pareeksha Guru Lala Shrinivas Das Ka Upanyas Novel In Hindi Read Online
Pareeksha Guru Lala Shrinivas Das Ka Upanyas
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Summary
लाला श्रीनिवास दास द्वारा 1882 में लिखा गया “परीक्षा गुरु” हिंदी का पहला उपन्यास माना जाता है। यह उपन्यास समाज सुधार और नैतिक शिक्षा पर केंद्रित है, जिसमें तत्कालीन भारतीय समाज की बुराइयों, विशेषकर दिखावे, आडंबर और विलासिता के दुष्परिणामों को उजागर किया गया है।
उपन्यास का नायक लाला मदनमोहन एक संपन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, लेकिन वे अपने परिवार के साथ दिखावे और अनावश्यक खर्च में लिप्त रहते हैं। वे शानो-शौकत और विलासिता में इतना डूब जाते हैं कि कर्ज़ में फंस जाते हैं। उनकी यह आदत धीरे-धीरे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को बर्बाद कर देती है। इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें अपनी गलतियों का एहसास होता है। अंततः वे सादगी और ईमानदारी का मार्ग अपनाकर अपने जीवन को सुधारते हैं।
यह उपन्यास तत्कालीन भारतीय समाज के रीति-रिवाजों, परंपराओं और अंग्रेजी शासन के प्रभाव को भी दर्शाता है। इसमें नैतिक शिक्षा का गहरा प्रभाव है, जो पाठकों को सिखाता है कि दिखावे और अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए तथा परिश्रम, ईमानदारी और सादगी का जीवन अपनाना चाहिए।
परीक्षा गुरु हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है, जो समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास करता है। यह उपन्यास पाठकों को आत्मनिरीक्षण करने और सही मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है।
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