ईदगाह कहानी का सारांश – मुंशी प्रेमचंद (Idgah Story Summary In Hindi )
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ईदगाह मुंशी प्रेमचंद की एक भावनात्मक और कालजयी हिंदी कहानी है, जो एक छोटे से अनाथ बच्चे हामिद की करुणा, समझदारी और त्याग की मिसाल पेश करती है। यह कहानी दर्शाती है कि सच्चा प्रेम क्या होता है — और कैसे एक बच्चा भी अपने कार्यों से बड़ों को हैरान कर सकता है।
कहानी ईद के दिन की है। सभी बच्चे नए कपड़े पहनकर मेले में जाते हैं और मिठाइयाँ व खिलौने खरीदते हैं। लेकिन हामिद के पास केवल तीन पैसे होते हैं और पुराने कपड़े। इसके बावजूद, वह खुश रहता है। जब उसके दोस्त खिलौने और मिठाई खरीदते हैं, हामिद एक लोहे का चिमटा खरीदता है — ताकि उसकी दादी, जो तवे से रोटियाँ बनाते हुए हाथ जला लेती हैं, अब सुरक्षित रहें।
हामिद का यह त्याग और भावनात्मक समझ उसकी दादी को गहरे छू जाता है, और अंत में कहानी एक ऐसे भावनात्मक मोड़ पर पहुँचती है, जहाँ पाठक की आँखें नम हो जाती हैं।
मुख्य बिंदु
- लेखक: मुंशी प्रेमचंद
- मुख्य पात्र: हामिद और उसकी दादी अमीना
- स्थान: गाँव और मेला
- विषय: त्याग, सच्चा प्रेम, संवेदना, बच्चों की मासूम सोच
ईदगाह कहानी में हामिद का चरित्र-चित्रण
हामिद ईदगाह कहानी का नायक है। वह लगभग चार–पाँच साल का अनाथ बच्चा है, जो अपनी बूढ़ी दादी अमीना के साथ रहता है। उसके पास पैसे नहीं हैं, नए कपड़े नहीं हैं, फिर भी वह संतोष और उम्मीद से भरा हुआ है। उसकी सबसे बड़ी विशेषता है — उसकी समझदारी, संवेदनशीलता और त्याग की भावना। जब सारे बच्चे मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते हैं, वह अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है।
उसका यह निर्णय बताता है कि वह उम्र में भले ही छोटा हो, लेकिन सोच में परिपक्व है। वह स्वार्थ से ऊपर उठकर सच्चे प्रेम और सेवा भावना का परिचय देता है।
ईदगाह कहानी में दादी का चरित्र-चित्रण
ईदगाह कहानी में हामिद की दादी अमीना एक ममतामयी, त्यागमयी और भावनाशील ग्रामीण महिला के रूप में चित्रित की गई हैं। वह अकेले हामिद की परवरिश कर रही हैं। अपनी गरीबी और उम्र के बावजूद वह हामिद के लिए हर संभव खुशी देने की कोशिश करती हैं।
ईद के दिन वह खुद भूखी रह जाती हैं, लेकिन हामिद को मेले में भेजने के लिए तीन पैसे देती हैं। यह उनके त्याग को दर्शाता है। जब हामिद खिलौनों की जगह चिमटा खरीदकर लौटता है, तो पहले वह क्रोधित होती हैं, लेकिन जब उसे हामिद की भावना समझ आती है, तो वह भावुक हो जाती हैं और उसे गले से लगा लेती हैं।
दादी का चरित्र भारतीय नारी के उन गुणों का प्रतीक है जो त्याग, प्रेम, ममता और सहनशीलता से परिपूर्ण हैं। वह इस कहानी की आत्मा हैं — जिनकी मूक पीड़ा और प्रेम पाठक के मन को छू जाता है।
ईदगाह कहानी का मूल संदेश
ईदगाह कहानी का मूल संदेश यह है कि सच्चा प्रेम त्याग में होता है। मुंशी प्रेमचंद इस कहानी के माध्यम से दिखाते हैं कि एक छोटा बच्चा भी अपने कार्यों और सोच से बड़े-बड़ों को सीख दे सकता है।
हामिद द्वारा अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदना इस बात का प्रतीक है कि भावनाओं की गहराई उम्र से नहीं, दिल से होती है। जब बाकी बच्चे अपनी खुशियों में मग्न हैं, हामिद अपने पैसे अपनी दादी की तकलीफ को कम करने के लिए खर्च करता है। यह निःस्वार्थ प्रेम, जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का प्रतीक है।
कहानी यह भी सिखाती है कि असली खुशी सिर्फ पाने में नहीं, बल्कि दूसरों के लिए कुछ करने में होती है। “ईदगाह” केवल एक बाल कहानी नहीं है, यह मानवीय मूल्यों और रिश्तों की महानता का प्रतीक है।
ईदगाह कहानी का उद्देश्य
ईदगाह कहानी का उद्देश्य पाठकों को यह दिखाना है कि सच्चा प्रेम और संवेदना केवल बड़े लोगों में नहीं, बल्कि छोटे बच्चों में भी हो सकती है। मुंशी प्रेमचंद इस कहानी के माध्यम से त्याग, निःस्वार्थ सेवा और भावनात्मक समझ को उजागर करते हैं।
लेखक यह बताना चाहते हैं कि एक गरीब और अनाथ बच्चा भी अपनी सोच और कार्यों से समाज को प्रेरणा दे सकता है। कहानी हामिद की मासूम सोच और दादी के प्रति उसके प्रेम के ज़रिए पाठकों के मन में मानवीय संवेदनाओं को जगाती है।
इसका उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि यह सिखाना भी है कि असली खुशी अपने लिए कुछ पाने में नहीं, बल्कि अपनों के लिए त्याग करने में है।
ईदगाह कहानी की विशेषताएँ
- भावनात्मक गहराई: यह कहानी सरल होते हुए भी गहरी भावनाओं को छू जाती है — विशेषकर हामिद और उसकी दादी के रिश्ते को लेकर।
- साधारण परिवेश, असाधारण भाव: गाँव, मेला और गरीब परिवार जैसे साधारण परिवेश में भी लेखक ने असाधारण संवेदनाएँ रची हैं।
- बाल मनोविज्ञान की झलक: हामिद के ज़रिए प्रेमचंद ने बच्चों की सोच, संवेदना और समझदारी को बड़े प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
- नैतिक संदेश: कहानी यह सिखाती है कि त्याग, सच्चा प्रेम और निःस्वार्थ भावना जीवन के सबसे बड़े मूल्य हैं।
- सरल भाषा व प्रभावशाली शैली: मुंशी प्रेमचंद ने सहज, प्रांजल भाषा में ऐसा प्रभाव उत्पन्न किया है जो बच्चों और बड़ों दोनों को छूता है।
- चरित्र चित्रण: हामिद और अमीना (दादी) दोनों पात्र गहराई से उभरे हैं और पाठकों के दिल में बस जाते हैं।
ईदगाह कहानी से क्या सीख मिलती है?
ईदगाह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्रेम निःस्वार्थ होता है और त्याग ही उसका सबसे बड़ा रूप है। हामिद के माध्यम से यह बताया गया है कि प्रेम और संवेदनशीलता केवल उम्र से नहीं, बल्कि दिल से उपजती है।
जब हामिद अपने लिए मिठाई या खिलौने न लेकर अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है, तो वह यह दर्शाता है कि दूसरों की खुशी के लिए कुछ छोड़ देना ही असली इंसानियत है।
कहानी यह भी सिखाती है कि गरीबी के बावजूद इंसान यदि सहानुभूति, समझदारी और ममता से भरा हो तो वह समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।
ईदगाह कहानी का निष्कर्ष
ईदगाह एक ऐसी मार्मिक कहानी है जो पाठकों को संवेदना, त्याग और सच्चे प्रेम के वास्तविक अर्थ से परिचित कराती है। कहानी के अंत में जब हामिद अपनी दादी के लिए चिमटा लाता है, तो यह स्पष्ट होता है कि भावनाओं की गहराई उम्र से नहीं, दिल से मापी जाती है।
मुंशी प्रेमचंद ने इस कहानी में बाल मनोविज्ञान, पारिवारिक प्रेम और समाज के भावनात्मक पहलुओं को बड़ी सादगी और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
इसका निष्कर्ष यही है कि जीवन की सच्ची खुशियाँ दूसरों के लिए जीने और त्याग करने में छिपी होती हैं — और एक छोटा सा बच्चा भी उस प्रेम की परिभाषा बन सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न: ईदगाह कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: यह कहानी सिखाती है कि प्रेम का असली रूप त्याग में छिपा होता है। हामिद का निःस्वार्थ भाव और दादी के लिए सोचने की उसकी क्षमता दिल को छू जाती है।
प्रश्न: ईदगाह कहानी के मुख्य पात्र कौन-कौन हैं?
उत्तर: कहानी के दो मुख्य पात्र हैं – हामिद (एक छोटा अनाथ बच्चा) और उसकी दादी अमीना।
प्रश्न: हामिद ने चिमटा क्यों खरीदा?
उत्तर: हामिद ने अपने तीन पैसों से चिमटा इसलिए खरीदा ताकि उसकी दादी को रोटियाँ सेंकते समय तवे से हाथ न जलाना पड़े।
प्रश्न: ईदगाह का लेखक कौन है?
उत्तर: इस कहानी के लेखक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद हैं।
प्रश्न: ईदगाह का अर्थ क्या है?
उत्तर: ‘ईदगाह’ एक विशेष स्थान होता है जहाँ मुसलमान समुदाय ईद के दिन सामूहिक रूप से नमाज़ अदा करते हैं।
प्रश्न: हामिद का चरित्र हमें क्या सिखाता है?
उत्तर: हामिद का चरित्र बताता है कि सच्चा प्रेम स्वार्थ रहित होता है। वह अपनी छोटी उम्र में भी जिम्मेदारी, संवेदना और त्याग की मिसाल पेश करता है।