चैप्टर 7 फ़रीदी और लियोनार्ड इब्ने सफ़ी का उपन्यास जासूसी दुनिया सीरीज़ | Chapter 7 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

Chapter 7 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

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हमीद फ़रीदी की आदत से अच्छी तरह वाकिफ़ था। उसे गहरी सोच में डूबा हुआ देखकर उसने और ज्यादा छेड़ना मुनासिब न समझा। वह यह भी जानता था कि फ़रीदी पर इस किस्म की सोच के दौरे कभी-कभी पड़ा करते थे और उसके बाद वह ऐसे भयानक-भयानक काम कर डालता था, जिनके खयाल ही से अच्छे अच्छों को हैरानी हो जाती थी।

खाने के दौरान भी उन दोनों में कोई बात नहीं हुई। खाना खाने के बाद थोड़ी देर आराम करके दोनों दफ्तर रवाना हो गए।

अभी फ़रीदी अच्छी तरह बैठने भी न पाया था कि जैक्सन के यहाँ से बुलावा आया।

“क्यों भाई खैरियत तो है। आज तुम्हारा चेहरा बहुत उतरा हुआ है।” जैक्सन ने कहा।

“क्या बताऊं, आज बड़ी गहरी चोट हो गई।” फ़रीदी ने नर्म आवाज में कहा। उसके बाद उसे सारी कहानी जैक्सन को बता दी।

“तुमने बहुत बड़ी गलती की।” जैक्सन ने हाथ मलते में कहा, “तुम्हें इस लड़की को फौरन हिरासत में ले लेना चाहिए था। अफ़सोस, बहुत अच्छा शिकार हाथ से निकल गया। अगर वह गिरफ्तार हो जाती, तो शायद लियोनार्ड भी न बच सकता।”

“मैं आपसे एक बार फिर कहूंगा कि लियोनार्ड को गिरफ्तार कर लेना हँसी-ठट्टा नहीं।”

“खैर मैं दुनिया में किसी बात को भी नामुमकिन नहीं समझता।” जैक्सन ने कहा।

“लेकिन साहब, मुझे तो उसकी गिरफ्तारी नामुमकिन ही नज़र आ रही है।” फ़रीदी मायूसी से बोला।

“मुझे हैरत है।” जैक्सन ने ताज़्जुब से कहा, “मैंने कभी तुम्हारे मुँह से इस तरह के मायूस जुमले नहीं सुने।

“पहले कभी इतने भयानक आदमी से मुकाबला भी नहीं हुआ।”

“कुछ भी सही।” जैक्सन ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, “लेकिन कम से कम तुम्हारे मुँह से इस किस्म के जुमले कुछ अच्छे मालूम नहीं होते।”

“यह आपकी मोहब्बत है कि आप मुझे इस काबिल समझते हैं।” फ़रीदी ने कहा, “लेकिन मैं इसी में अपनी भलाई समझता हूँ कि खामोशी से बैठ जाऊं।”

“क्या मतलब?” जैक्सन ने चौंककर कहा, “क्या तुम इसके हाथ उठाना चाहते हो?”

“जी हाँ!” फ़रीदी ने कहा, “अगर इस पर मेरे अफ़सर राज़ी न हुए, तो मजबूरन मुझे इस्तीफा देना पड़ेगा।”

“भई आज मैं तुम्हारे मुँह से बड़ी अजीब अजीब बातें सुन रहा हूँ।” जैक्सन ने उसे आँखें फाड़-फाड़ कर देखते हुए कहा, “आखिर तुम्हें डर किस बात का है?”

“ज़रा यह तस्वीर देखिए।” फ़रीदी ने उसकी तरफ एक तस्वीर बढ़ा दी।

जैक्सन तस्वीर देखकर उछल पड़ा। कभी वह फ़रीदी की तरफ देखता था और कभी तस्वीर की तरफ।

“यह तो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की बीवी है…तो क्या तुम…!”

“जी हाँ! मुझे पागल कुत्ते ने काटा है कि इस बूढ़ी औरत के साथ…”

“तो फिर इसका मतलब क्या है?” जैक्सन ने हैरत से कहा।

“इसका यह मतलब है कि अगर मैंने इस केस से हाथ न उठाया, तो लियोनार्ड इस तस्वीर की एक कॉपी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास भिजवा देगा।”

“यह तुम्हें मिले कैसे?” जैक्सन ने पूछा।

फ़रीदी ने सारा वाकया सुना दिया।

“तो इसका यह मतलब है कि फिर अदनान को शक की बिना पर हिरासत में ले लेना चाहिए।”

“यह काम आसान नहीं। हमारे पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं और फिर सबसे बड़ी बात यह है कि वह इराक़ के शाही खानदान से ताल्लुक रखता है।”

“कहीं वही लियोनार्ड न हो।” जैक्सन जल्दी से बोला।

“ख़ुदा बेहतर जानता है।” फ़रीदी ने कहा, “उसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।”

“वाकई यह मामला बहुत पेचीदा है।”

“और इसलिए मैं माफी चाहता हूँ।” फ़रीदी ने कहा।

“तुम अजीब आदमी हो।” जैकसन ने कहा, “बस इस तस्वीर से डर गए। अरे मियां, ऐसे चमत्कार तो हर अच्छा फोटोग्राफर दिखा सकता है।”

“लेकिन कोई शौहर उसे मानने के लिए तैयार न होगा।” फ़रीदी ने कहा।

“अंग्रेज शौहर इतने सख्त नहीं होते।” जैक्सन ने गर्व से कहा।

“न होते हो, लेकिन अगर इसी तरह किसी हिंदुस्तानी शौहर से वास्ता पड़ गया, तो फिर मैं कहीं का न रहूंगा।”

“आखिर तुम डरते क्यों हो?” जैक्सन बोला, “मैं तो मौजूद हूँ।”

“नहीं साहब! बात दरअसल यह है कि अब मैं अपनी नौकरी से कुछ तंग आ गया हूँ।”

“यह और बात है!” जैक्सन ने कहा, “लेकिन मैं तुम्हें किसी तरह इसकी राय नहीं दूंगा कि तुम इस मामले को अधूरा छोड़ कर अलग हो जाओ। इससे तुम्हारे पिछले कारनामों पर भी खाक पड़ जायेगी।”

“साहब कुछ समझ में नहीं आता कि क्या करूं।” फ़रीदी ने कुढ़ कर कहा।

“अपनी छानबीन जारी रखो। अगर तुम यह काम अंजाम दे दिया, तो सारी दुनिया में तुम्हारा नाम हो जाएगा।”

“यह लालच मेरे लिए कम नहीं।” फ़रीदी ने कहा, “खैर मैं कोशिश करूंगा। वैसे मुझे कामयाबी की एक फ़ीसदी भी उम्मीद नहीं।”

“तुम नवाब रशीदुज्जमा से मिलकर इस चीज की तस्दीक क्यों नहीं करते कि क्या तुम्हें धोखा देने वाली हकीकत में उनकी लड़की ही थी।”

“मेरे खयाल से तो यह बिल्कुल बेकार होगा, क्योंकि इस किस्म की कोई भी लड़की अपना सही पता ठिकाना नहीं बता सकती।”

“तुम्हारा यह ख़याल भी सही मालूम होता है।” जैक्सन ने कहा, “फिर आखिर अब क्या करोगे?”

“न्यू स्टार के दफ्तर की निगरानी।” फ़रीदी ने कहा, “यह बात अब मंजिल को पहुँच गई है कि लियोनार्ड इसी अखबार के जरिये अपना जाल फैला रहा है।”

“पहले मैं भी इसे तुम्हारा शक समझता था।” जैक्सन बोला, “लेकिन अब मुझे भी कुछ कुछ यकीन आ गया है।”

“लेकिन मैं एक बार फिर कहूंगा कि इस तरह भी हम लियोनार्ड को न पा सकेंगे। ये और बात है कि उसके कुछ एजेंट गिरफ्तार हो जाये। वह खुद मालूम नहीं किस तहखाने में बैठा अपना काम क्या करता है।”

“बहरहाल कुछ भी हो। तुम्हें हिम्मत नहीं हारना चाहिए।” जैक्सन ने कहा।

“सच पूछिए, तो मैं आप ही के हिम्मत दिलाने पर अब तक डटा हुआ हूँ। वरना कभी का अलग हो गया होता।”

“बात यह है कि मैं तुम्हें सारी दुनिया में मशहूर देखना चाहता हूँ।” जैक्सन ने कहा।

“शुक्रिया?” फ़रीदी ने उठते हुए कहा, “मैं एक बात और कहना चाहता हूँ कि अब मैं तीन-चार दिन तक दफ्तर न आ सकूंगा।

“क्यों?” जैक्सन ने चौंककर कहा।

“मैं न्यू स्टार के दफ्तर के कोने-कोने से जानकारी हासिल करना चाहता हूँ।’ फ़रीदी बोला।

“लेकिन वहाँ तुम वहाँ किस हैसियत से रहोगे।” जैक्सन ने कहा, “यह भी बता दो ताकि वहाँ तुम्हारी हिफ़ाज़त की जा सके।”

“मैं वहाँ मामूली मजदूर के भेष में रहूंगा।” फ़रीदी ने कुछ सोचते हुए कहा, “घनी सफेद दाढ़ी…फूली हुई नाक और माथे पर गहरे जख्म के निशान।”

जैक्सन खुशी से सिर हिलाया और फ़रीदी उठ कर चला गया।

उसी दिन रात को फ़रीदी घर पर सार्जेंट हमीद को हिदायत दे रहा था।

उसने हमीद को अपनी पूरी स्कीम बता दी।

“लेकिन मैं वहां खपूंगा कैसे?” हमीद ने कहा, “अगर इस शक्ल का वहाँ कोई और हो तो?”

“अगर वहाँ इस शक्ल का कोई आदमी न होता, तो मैं यह प्रोग्राम ही न बनाता।” फ़रीदी ने कहा।

“तो फिर आदमी को वहाँ जाने से कैसे रोकेंगे?” हमीद ने कहा।

“अरे भई..? वह सब मैं कर लूंगा। अच्छा तुम फौरन तैयार हो जाओ। मैं तुम्हें उस शख्स से मिलाना चाहता हूँ, ताकि तुम अच्छी तरह उसकी सूरत ज़ेहन में बिठाल लो।”

थोड़ी देर के बाद दोनों शहर के घटिया से शराब खाने में पहुँचे। यह शराब खाना भी था और होटल भी। बाहर से आए हुए कम हैसियत वाले मुसाफिरों के लिए यहाँ सस्ते कमरे भी मिल जाते थे।

फ़रीदी और हमीद को देखते ही होटल का मैनेजर लपक कर उनके करीब आ गया।

“खैरियत तो है।” उसने मुस्कुराकर कहा।

“मेरे कमरे की कुंजी।” फ़रीदी ने कहा, “और हाँ फज़लू को भेज देना।”

मैनेजर ने फ़रीदी को एक कुंजी लाकर दे दी। फ़रीदी और हमीद सीढ़ियाँ चढ़कर एक बंद कमरे के सामने आकर रुक गये। फ़रीदी ने ताला खोला और दोनों अंदर दाखिल हो गये।

फ़रीदी ने माचिस जलाकर ताक पर रखी हुई मोमबत्ती जलाई।

“यह आपका कमरा है?” हमीद ने हैरत से पूछा।

“हाँ, ऐसे बहुतेरे कमरे मैंने शहर के अलग-अलग हिस्सों में ले रखे हैं।” फ़रीदी ने कहा।

“और मुझे इनके बारे में नहीं मालूम।” हमीद ने पलकें झपकाते हुए कहा।

“हाँ, यूं ही मौका पड़ने पर तुम्हें भी धीरे-धीरे इनके बारे में मालूम हो जायेगी।” फ़रीदी ने कहा, “जानते होटल का मैनेजर कौन है?”

“नहीं!”

“एक बदमाश और दस नंबर का आदमी। मगर है बड़े काम का।” फ़रीदी ने कहा।

सीढ़ी पर आवाज सुनाई दी और कुछ ही देर बाद एक बूढ़ा आदमी कमरे में आया और सलाम करके एक तरफ खड़ा हो गया।

“फज़लू तुम न्यू स्टार प्रेस में ही काम करते हो ना?” फ़रीदी ने कहा।

“जी हुजूर!”

“अच्छा देखो तुम्हें कुछ दिन तक इसी कमरे में रहना होगा और तुम्हारे भेष में यह तुम्हारा काम करेंगे।”

“अरे हुजूर कोई खास काम हो, तो मुझे ही बताइए।” बूढ़ा बोला।

“नहीं, तुम न कर सकोगे।”

“जैसी आपकी मर्जी!” बूढ़े ने कहा, “एक घंटे बाद मुझे काम पर जाना होगा। आज कल नाइट ड्यूटी में हूँ।”

“अच्छा हमीद, तुम तैयार हो जाओ…मैं अभी तुम्हें फज़लू बना देता हूँ।” फ़रीदी ने कहा और कमरे में रखे हुए एक बड़े संदूक को खोलकर उसमें से भेष बदलने का सामान निकालने लगा।

थोड़ी देर बाद उस कमरे में एक ही शक्ल के दो बूढ़े खड़े हुए थे। उनमें एक बूढ़ा बाहर चला गया। दूसरा वहीं खड़ा रहा।

“हाँ तो फज़लू, जब तक तुम्हें मेरी तरफ से कोई खबर न मिले, तुम यहीं इसी कमरे में रहना। मैंने इंतज़ाम कर दिया है। तुम्हारी ज़रूरत की सारी चीजें यहीं पहुँचती रहेंगी।”

अब फ़रीदी ने भी भेष बदलना शुरू किया। लगभग आधे घंटे के बाद उसकी जगह एक अधेड़ उम्र का मिलिट्री अफसर खड़ा सिगार पी रहा था।

फज़लू उसे हैरत से देख रहा था।

“फज़लू मुझे खबर मिली है कि तुमने फिर से कोकीन का कारोबार शुरू कर दिया है।” फ़रीदी ने कहा।

“अब सरकार से क्या पर्दा!” फज़लू ने सिर खुजलाते हुए कहा, “प्रेस की नौकरी में इतना नहीं मिलता, जिससे पेट पल सके। महीने में हजार रुपये तो सिर्फ बाल बच्चों के लिए गाँव भेज देना पड़ता है।”

“खैर, लेकिन इस बात का ख़याल रखना कि मामला मेरे हाथ में पहुँचने न पाये। वरना मैं मजबूर हो जाऊंगा।” फ़रीदी ने कहा।

“अरे नहीं सरकार, ज्यादा नहीं बस धेला दमड़ी का रोजगार हो जाता है।” फज़लू ने सिर हिलाकर कहा।

“खैर, तुम लोगों का धेला दमड़ी मैं अच्छी तरह समझता हूँ।” फ़रीदी ने सिर हिलाकर कहा।

फजलू दांत निकालकर हँसने लगा।

“अच्छा अब मैं चला। देखो, जो कुछ समझा दिया है, उसके खिलाफ़ न होने पाये।”

“मजाल है सरकार…इसके खिलाफ हो जाए। आपके लिए जान भी जाए, तो हाजिर है।” फज़लू ने कहा।

फ़रीदी मिलिट्री ऑफिसर के भेष में हाथ में एक सूटकेस  मलटकाए बाहर आया और टैक्सी करके रेलवे स्टेशन की तरफ रवाना हो गया।

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