चैप्टर 25 : मेरी ज़ात ज़र्रा-ए-बेनिशान नॉवेल | Chapter 25 Meri Zaat Zarra-e-Benishan Urdu Novel In Hindi Translation

Chapter 25 Meri Zaat Zarra-e-Benishan Novel

Chapter 25 Meri Zaat Zarra-e-Benishan Novel

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“आफ़रीन! यह सब नहीं होगा। कम से कम मेरी ज़िन्दगी में नहीं होगा। मैं तारीख को अपने आप को दोहराने नहीं दूंगी। तुम होते कौन हो, अपने बेटे के साथ सारा के मंगनी करने वाले?”

अक्सा आफ़रीन से यह सुनते हुए गजबनाक (कुपित, गुस्से से भरा हुआ) हो गई थी कि उसने सारा की मंगनी हैदर से कर दी है। वह आज ही पाकिस्तान आई थी और आते ही सारा से मिलने के लिए आफ़रीन के यहाँ गई थी। अगर सारा वहाँ न होती, तो वह कभी आफ़रीन के यहाँ ना जाती। दिल में कुछ ऐसी ही दरारें पड़ चुकी थी। सारा से मिलने के बाद आफ़रीन उन्हें कोई ज़रूरत की बात करने के लिए अपने कमरे में ले आया था और वहाँ उन्होंने सारा की मंगनी का इंकिसाफ कर दिया (ग्रहण लगा दिया)।

“अक्सा! जो कुछ हो चुका है, उसे भूल जाओ। जो गलती मुझसे हुई है, मैं उसकी भरपाई करना चाहता हूँ। फिर सबा खुद सारा को मेरे हवाले करके गई है।”

आफ़रीन ने उसे समझाने की कोशिश की।

“हर गलती की भरपाई नहीं हो सकती और तुम लोगों ने कोई गलती नहीं की थी, तुम लोगों ने गुनाह किया था। मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं कि सबा उसे तुम्हारे सुपुर्द करके गई थी। उसके साथ जो कुछ हुआ था, वह उसकी सादगी की वजह से ही हुआ था। उसे बार-बार एतबार करने की आदत थी। उसे बार-बार माफ़ करने की आदत थी और उसी आदत ने उसे इस उम्र में कब्र में पहुँचा दिया। मुझमें यह दोनों आदतें नहीं है और मैं सारा के साथ वह सब नहीं होने दूंगी, जो आपी साथ हुआ।”

“अक्सा! यह मंगगनी सिर्फ हैदर की मर्ज़ी से हुई नहीं हुई, इसमें सारा की भी पसंद शामिल है। तुम ये रिशता तोड़ कर उसे तकलीफ़ पहुँचाओगी।” आफ़रीन अक्सा के सामने बेबस नज़र आ रहे थे।

“सारा की पसंद…सारा को माज़ी के बारे में कुछ पता नहीं होगा, वरना वह तुम्हारे बेटे पर थूकना भी पसंद ना करती।” अक्सा के लहज़े में जहर बढ़ता ही गया, “मैं उसे सब कुछ बता दूंगी। फिर वह ख़ुद ही रिश्ता तोड़कर जायेगी।”

“अस्का! यह मत करना सब आने उससे सब कुछ छुपा कर रखा है। फिर तुम्हें क्या हक पहुँचता है, उसे कुछ कहने का। तुम फ्रेंच नहीं जानती हो, लेकिन यह खत किसी से पढ़वा लो, देखो  इसमें क्या लिखा है – ‘सारा को अपने पास रख लेना, उसे मेरे खानदान के पास मत भेजना। माज़ी दोहराने की ज़रूरत नहीं है, बस इसका ख़याल रखना।’ यह सब मैंने नहीं लिखा है, उसने लिखा है। अक्सा याद रखो, वह मुझे और मेरे घर वालों को माफ़ कर चुकी थी। लेकिन उसने तुम लोगों को माफ़ नहीं किया था। जो कुछ मेरे खानदान ने उसके साथ किया था, तुम सब ने भी वही किया था। तुम लोगों ने भी उस पर यकीन नहीं किया था। अगर उसकी ज़िन्दगी बर्बाद हुई थी, तो उसमें तुम लोगों का भी हाथ हिस्सा है। क्यों उसकी शादी होने दी? क्यों नहीं उसे बचाया? क्यों उसे तबाह होने दिया?” आफ़रीन भी बिगड़ गये।

“अक्सा! अब माज़ी को माज़ी ही रहने दो। सारा को पिछले चौबीस साल से कुछ नहीं मिला। अब अगर उसे कुछ मिल रहा है, तो उसे उससे मत छीनो। उसे सबा का माज़ी बताकर तुम बाकी ज़िन्दगी के लिए रुलाती रहोगी। यह सब मत करो।”

अक्सा उसकी बात पर ख़ामोश हो गई।

“सारा! तुमने मुझे फोन पर नहीं बताया कि तुम्हारी मंगनी हो गई है। आफ़रीन के कमरे से निकलकर जाते हुए अक्सा ने सारा से पूछा। इस सवाल पर सारा के चेहरे पर फैलती हुई धनक देख कर वह हैरान रह गई।

“मैं बताना चाहती थी, लेकिन आफ़रीन अंकल ने मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह खुद आपको यह सब बतायेंगे। मैं तो मंगनी भी आपके पाकिस्तान आने के बाद ही करना चाहती थी। लेकिन आफ़रीन अंकल को जल्दी थी।” उसने कुछ झेंपते हुए कहा।

अक्सा ने आफ़रीन को देखा। वह नज़र चुरा गए थे। फिर उसने सारा से पूछा, “तुम हैदर को पसंद करती हो।”

सारा और झेंप गई। उसके चेहरे पर फैलती शफ़क़ (प्रेम, हमदर्दी) ने अक्सा का चेहरा तारीक (डार्क) कर दिया। अक्सा को याद आया कि आफ़रीन के ज़िक्र पर सबा भी इसी तरह गुलाबी पड़ जाती थी। सारा की छिपी हुई मुस्कुराहट ने अक्सा को बे-इख्तियार सबा की याद दिला दी थी।

“शादी कब करोगे?” अक्सा ने आफ़रीन से पूछा।

“चंद साल बाद।”

“शादी से पहले यहाँ किस हैसियत से रहेगी।”

“जैसे पहले रहती थी।”

“पहले की बात और थी। अब हैदर से मंगनी के बाद तो उसके यहाँ रहने का सवाल ही पैदा नहीं होता। तुम या तो उसे मेरे साथ जाने दो या फिर बाकायदा उसकी शादी करवाकर अपने घर लाओ।”

अक्सा ने वही खड़े-खड़े अपना फैसला सुना दिया। सारा अक्सा की ज़िद पर डर गईं आफ़रीन भी ख़ामोश थे।

“ठीक है। में हैदर से बात करता हूँ और फिर कल तुम्हें बता दूंगा।” फिर कुछ सोचकर आफ़रीन ने कहा, “अक्सा तुम होटल में रहने की जगह यहाँ आकर आ सकती हो या फिर अपने घर जा सकती हो। वह अभी भी खाली है।”

अक्सा ने चंद लम्हे सोचने के बाद कहा, “ठीक है मैं अपने घर में रहूंगी।”

“मैं आपको इत्तला दे दूंगा। तुम जब चाहे वहाँ चली जाना।” आफ़रीन उसे गाड़ी तक छोड़ने आये, तो यह बात कही।

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