Chapter 18 Neele Parindey Novel By Ibne Safi
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उसी शाम इमरान रूशी और फैयाज़ रॉयल होटल में चाय पी रहे थे। फैयाज़ का चेहरा उतरा हुआ था। इमरान कह रहा था, “मुझे उसी वक्त यकीन हो गया था कि सलीम शौकत से नाराज़ नहीं है, जब उसने जेल से निकलने के बाद जावेद मिर्ज़ा की कोठी का रुख किया था।
“मगर ईंधन के गोदाम से क्या बरामद हुआ है?” रूशी ने कहा, “तुमने वह बात अधूरी छोड़ दी थी।”
“वहाँ से एक जहरीला डिब्बा बरामद हुआ है, जिसमें वायरस है और नीले रंग की परिंदों का एक ढेर – रबड़ के तीन परिंदे, गोंद की एक बोतल और इंजेक्शन की तीन सुइयाँ…क्या समझी? वह हकीकत में परिंदा नहीं था, जिसे जमील ने अपनी गर्दन से खींचकर खिड़की से बाहर फेंका था, बल्कि रबड़ का परिंदा था, जिस पर गोंद से नीले रंग के पर चिपकाए गए थे। उसके पेट में वह थैली भरी गई थी, जिसमें वायरस थे। परिंदे की चोंच की जगह इंजेक्शन लगाने वाली खोखली सुई फिट की गई थी। पहले जमील पर बाहर से खिड़की के जरिये एक परिंदा ही फेंका गया था। जो उसके कंधे से टकराकर उड़ गया था। फिर वह नकली परिंदा फेंका गया, जिस में लगी सुई ही उसके गर्दन में घुस गई। ज़ाहिर है कि वह बदहवास हो गया होगा। जैसे ही उसने उसे पकड़ा होगा, दबाव पड़ने से सुई के रास्ते उसकी गर्दन में वायरस दाखिल हो गया होगा। फिर उसने बौखलाहट में उसे खींचकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। पहले नीले रंग का एक परिंदा उसके कंधे से टकराकर उड़ चुका था। इसलिए उसने उसे भी परिंदा ही समझा। और पिछली रात…वाह… वह भी अजीब इत्तेफ़ाक था। मैं जमील ही कोठी में घुसा। सईदा को क्लोरोफॉर्म के जरिये बेहोश करके उसके चेहरे पर अपनी एक ईज़ाद आज़माई, जिसे मेकअप के सिलसिले में और ज्यादा तरक्की देने का ख़याल रखता हूँ। फिर क्लोरोफॉर्म का असर बेकार होने का इंतज़ार रहा। यह सवाल इसलिए किया था कि घरवालों पर इसका असर देख सकूं। खासतौर से सज्जाद का तरफ ख़याल भी नहीं था। जैसे ही मैंने महसूस किया कि क्लोरोफॉर्म का असर बेकार हो रहा है, मैंने उसके बाजू में सुई चुभोई और पलंग के नीचे घुस गया। फिर हंगामा खड़ा हो गया। सज्जाद ही सबसे ज्यादा बदहवास दिख रहा था। ज़ाहिर है उसे कोई अहमियत नहीं दी जा सकती थी क्योंकि सईदा उसकी बेटी ठहरी। लेकिन जब मैंने उसे घरवालों को वहीं छोड़कर एक तरफ भागते देखा, तो तुम खुद सोचो फैयाज़! भला उस वक्त ईंधन के गोदाम में जाने का क्या तुक था। बहरहाल सज्जाद ही ने बेकरी में अपने खिलाफ सबूत मुझे मुहैया करा दिये। दरअसल उसकी मुसीबत ही आ गई थी, वरना उन चीजों को रख छोड़ने की क्या ज़रूरत थी।”
“अच्छा बेटा! वह सब तो ठीक है!” फैयाज़ ने लंबी अंगड़ाई लेकर कहा, “पर तुम्हारा वह आई कार्ड!”
“यह हकीकत है कि मैं तुम्हारा अफसर हूँ। मेरा ताल्लुक सीधे होम डिपार्टमेंट से है और होम सेक्रेटरी सर मुल्तान ने मुझे तैनात किया है, लेकिन खबरदार खबरदार!! इसकी जानकारी डैडी को न होने पाये, वरना तुम्हारी मिट्टी पलीद कर दूंगा समझे!”
फैयाज़ का चेहरा लटक गया। उसके लिए यह नई जानकारी बड़ी तकलीफदेह थी।
“तुमने मुझे भी आज तक इससे बेखबर रखा।” रूशी ने झल्लायी हुई आवाज में कहा।
“अरे! किस की बातों में आई हो रूशी डियर?” इमरान बुरा सा मुँह बनाकर बोला, ” यह इमरान बोल रहा है….इमरान, जिसने सच बोलना सीखा ही नहीं…मैं तो फैयाज़ को घिस रहा था।”
इमरान के इस आखिरी जुमले पर फैयाज़ को भरोसा नहीं था और वह किसी सोच में डूबा हुआ नज़र आ रहा था।
***समाप्त***
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